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उद्धव ठाकरे बनाम बागी एकनाथ शिंदे का गुट - किसके पक्ष में कितने हैं आंकड़े

महाराष्ट्र का सियासी घमासान जारी है. फिलहाल कोई समाधान निकलता नज़र नहीं आ रहा है. निस्संदेह, उद्धव ठाकरे सरकार संकट में फंसी हुई है.

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46 विधायकों के इस्तीफे के बाद सदन में बहुमत का नया आंकड़ा 121 हो जाएगा.
नई दिल्ली:

महाराष्ट्र का सियासी घमासान जारी है. फिलहाल कोई समाधान निकलता नज़र नहीं आ रहा है. निस्संदेह, उद्धव ठाकरे सरकार संकट में फंसी हुई है. मंत्री और शिवसेना के बागी नेता एकनाथ शिंदे ने आज सुबह NDTV को दिए एक विशेष इंटरव्यू में 46 विधायकों के समर्थन का दावा किया. इसके बाद करीब 2:30 बजे सवेरे वह अपने समर्थकों के साथ गुवाहाटी के लिए रवाना हो गए थे.

  1. महाराष्ट्र विधानसभा की कुल सदस्य संख्या 288 है. इस समय दो विधायक जेल में हैं और एक की मृत्यु हो गई है. नतीजतन यह संख्या घटकर 285 हो गई है. इसका मतलब है कि विश्वासमत की स्थिति में विधानसभा में बहुमत के लिए अब 143 विधायकों का समर्थन जरूरी है.
  2. शिवसेना, राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (NCP) और कांग्रेस की महा विकास अघाड़ी (MVA) सरकार के पास मौजूदा समय में 152 विधायक हैं.
  3. शिवसेना के पास 55 विधायक हैं. उनमें से 40 विधायक और छह निर्दलीयों के बारे में कहा जा रहा है कि वे गुवाहाटी के होटल में डेरा डाले हुए हैं. यदि मंत्री एकनाथ शिंदे के नेतृत्व में ये विधायक इस्तीफा देते हैं, तो शिवसेना की संख्या 15 हो जाती है. एकनाथ शिंदे को दलबदल विरोधी कानून से बचने के लिए कम से कम 37 विधायकों के समर्थन की जरूरत होगी.
  4. शिवसेना के दो-तिहाई विधायकों के समर्थन की वजह से बागियों को विधानसभा में एक अलग पार्टी के रूप में मान्यता मिल सकती है. एकनाथ शिंदे के नेतृत्व में बागी विधायक चुनाव आयोग के समक्ष शिवसेना के चुनाव चिह्न के लिए दावा पेश कर सकते हैं.
  5. चुनाव आयोग राजनीतिक दल में इस तरह के विवादों के मद्देनज़र निर्णायक फैसला ले सकती है. विधायकों और पदाधिकारियों के बहुमत के समर्थन के आधार पर चुनाव आयोग एक गुट को पार्टी के रूप में मान्यता देती है. जिस गुट को बहुमत का समर्थन प्राप्त है, उसे पार्टी का चिह्न दिया जाता है.
  6. इससे सदन में महा विकास अघाड़ी की संख्या घटकर 112 रह जाएगी. 46 विधायकों के इस्तीफे के बाद सदन में बहुमत का नया आंकड़ा 121 हो जाएगा.
  7. बीजेपी अब दावा कर रही है कि उसके पास बहुमत के लिए जरूरी विधायकों से ज्यादा का समर्थन है. लेकिन अगर शिवसेना के ये 40 विधायक पाला बदलने की कोशिश करते हैं, तो उन्हें दलबदल विरोधी कानून के तहत इस्तीफा देना होगा और उपचुनाव में फिर से निर्वाचित होना होगा.
  8. चंद्रबाबू नायडू ने एनटी रामाराव के खिलाफ विद्रोह किया था और 1995 में तेलुगु देशम पार्टी और राज्य सरकार पर कब्जा कर लिया था.
  9. ओ. पन्नीरसेल्वम ने वी.के. शशिकला के खिलाफ बगावत कर दी थी, जिसके बाद 2017 में चुनाव आयोग ने एआईएडीएमके के चुनाव चिह्न को फ्रीज़ कर दिया था.
  10. हाल ही में पशुपति कुमार पारस ने चिराग पासवान के खिलाफ विद्रोह किया था और 2021 में लोक जनशक्ति पार्टी पर कब्जा कर लिया.

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