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This Article is From Jul 30, 2023

सिंगापुर के 7 उपग्रहों को लेकर इसरो के रॉकेट श्रीहरिकोटा से भरी उड़ान

पीएसएलवी-सी56/डीएस-एसएआर एसटी इंजीनियरिंग, सिंगापुर के लिए न्यूस्पेस इंडिया लिमिटेड (एनएसआईएल) का डेडिकेटेड कॉमर्शियल मिशन है.

सिंगापुर के 7 उपग्रहों को लेकर इसरो के रॉकेट श्रीहरिकोटा से भरी उड़ान
लॉन्च सुबह करीब साढ़े छह बजे के आस पास हुआ. (फाइल फोटो)
श्रीहरिकोटा:

इंडियन स्पेस रिसर्च ऑर्गनाइजेशन ने रविवार को सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र (एसडीएससी) शार, श्रीहरिकोटा से पीएसएलवी-सी56 समेत छह अन्य उपग्रहों को लॉन्च किया. लॉन्च सुबह करीब साढ़े छह बजे के आस पास हुआ.  

पीएसएलवी की यह उड़ान कुल मिलाकर 58वीं और कोर अलोन कॉन्फ़िगरेशन का उपयोग करते हुए 17वीं उड़ान है. रॉकेट के ऊपरी चरण को उसके छोटे कक्षीय जीवन को सुनिश्चित करने के लिए सभी उपग्रहों को इंजेक्ट करने के बाद निचली कक्षा में स्थापित किया जाएगा. 

इसरो के अनुसार, पीएसएलवी-सी56 को श्रीहरिकोटा के सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र (एसडीएससी) में पहले लॉन्च पैड (एफएलपी) से लॉन्च किया गया था. 

पीएसएलवी-सी56/डीएस-एसएआर एसटी इंजीनियरिंग, सिंगापुर के लिए न्यूस्पेस इंडिया लिमिटेड (एनएसआईएल) का डेडिकेटेड कॉमर्शियल मिशन है. डीएस-एसएआर, एक रडार इमेजिंग अर्थ ऑब्जर्वेशन उपग्रह, मिशन का प्राथमिक उपग्रह है. इसके अलावा, छह सह-यात्री ग्राहक उपग्रह भी सिंगापुर के हैं. इसरो की एक विज्ञप्ति में कहा गया है कि सभी उपग्रहों को 5 कक्षीय झुकाव के साथ 535 किमी के गोलाकार में इंजेक्ट किया जाएगा. 

अंतरिक्ष एजेंसी के मुताबिक ‘कोर अलोन कॉन्फ़िगरेशन' रॉकेट का अभिप्राय ऐसे रॉकेट से होता है जो ठोस ‘स्ट्रैप ऑन मोटर' का इस्तेमाल पहले चरण में नहीं करता, जैसा कि इससे अन्य संस्करण पीएसएलवी-एक्सएल, क्यूएल और डीएल करते हैं, जो क्रमश: छह, चार या दो बूस्टर का इस्तेमाल करते हैं.

इसरो ने बताया कि पीएसएलवी को ‘इसरो का वर्कहॉर्स' का तमगा प्राप्त है, जो लगातार उपग्रहों को पृथ्वी की निचली कक्षा में स्थापित कर रहा है. एजेंसी ने कहा कि कल का मिशन पृथ्वी की निचली कक्षा में स्थापित करने का गवाह बनेगा.

डीएस-एसएआर में इजराइल एयरोस्पेस इंडस्ट्रीज द्वारा विकसित सिंथेटिक एपर्चर रडार (एसएआर) लगाया गया है. यह उपग्रह को सभी मौसमों में दिन और रात तस्वीर लेने में सक्षम बनाता है. अन्य उपग्रहों में वेलोक्स-एएम 23 किलोग्राम का सूक्ष्म उपग्रह, एआरसीएडीई (एटमॉस्फेरिक कपलिंग और डायनेमिक्स एक्सप्लोरर), प्रायोगिक उपग्रह स्कूब-2, 3यू नैनोसैटेलाइट, गैलासिया-2, ओआरबी-12 स्ट्राइडर शामिल हैं. 

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