इंडियन सुपर लीग (आईएसएल) के पहले संस्करण में अब तक सर्वश्रेष्ठ भारतीय खिलाड़ी चुनने की बात आती है तो सर्वाधिक ध्यान गोलकीपर अपनी ओर खींचते हैं।
अपनी खेल प्रतिभा के बल पर भारतीय गोलकीपरों ने आईएसएल में विदेशी गोलकीपरों से खुद को जरा भी कमतर नहीं होने दिया है और इसी वजह से टूर्नामेंट राष्ट्रीय स्तर पर बेहद लोकप्रियता हासिल करता जा रहा है।
विदेशों से आए गोलकीपर जहां शारीरिक रूप से बेहद फुर्तीले हैं, वहीं उनके पास अंतरराष्ट्रीय स्तर पर खेलने का अनुभव और ख्याति भी है, लेकिन भारतीय गोलकीपरों ने इन सबसे इतर अपने शानदार प्रदर्शन के बल पर सभी का ध्यान अपनी ओर खींचा है।
एफसी गोवा के गोलकीपर चेक गणराज्य के जैन सेडा ने अपनी सतर्कता से गोवा के लिए कई बार अहम अंक बचाए हैं।
दूसरी ओर, इंग्लिश प्रीमियल लीग के बेहद सफल रहे गोलकीपर डेविड जेम्स की प्रतिभा उन्हें उम्र की सीमा से भी पार ले जाती है। 44 वर्षीय जेम्स ने केरला ब्लास्टर्स के लिए टूर्नामेंट में अब तक अहम योगदान दिया है।
सेडा और जेम्स जैसे अंतरराष्ट्रीय ख्याति प्राप्त गोलकीपरों से तो विशेष प्रदर्शन की उम्मीद की ही जा रही थी, लेकिन भारतीय गोलकीपरों के प्रदर्शन ने सभी को विशेष तौर पर प्रभावित किया है।
मुंबई सिटी एफसी के गोलकीपर सुब्रता पॉल, नॉर्थईस्ट युनाइटेड के रेहनेश टीपी और एटलेटिको डी कोलकाता के सुभाशीष रॉय चौधरी ने चमकदार प्रदर्शन किया है।
भारतीय फुटबॉल टीम के पूर्व गोलकीपर देबाशीष मुखर्जी ने कहा, विदेशी गोलकीपर शारीरिक तौर पर कहीं बेहतर हैं और उनके पास अनुभव भी काफी है। इसी वजह से उनके पास मैच की स्थितियों को पहले से समझ लेने और मुश्किल समय में भी धैर्य रखने का हुनर है।
देबाशीष मुंबई सिटी एफसी के गोलकीपिंग कोच भी हैं। उन्होंने कहा, भारतीय गोलकीपर लेकिन बेहद फुर्तीले और तेज-तर्रार हैं और रेहनेश, सुभाशीष, सुब्रता पॉल और अरिंदम चौधरी जैसे कुछ गोलकीपर तो बेहद प्रतिभाशाली हैं।
प्रदर्शन के आधार पर देखें तो सुब्रता पॉल अपनी टीम को सर्वाधिक बार क्लीन शीट दिलाने वाले गोलकीपरों में सबसे ऊपर हैं। सुब्रता के नाम छह क्लीन शीट हैं। सुब्रता सर्वाधिक गोल बचाने वाले गोलकीपरों में दिल्ली डायनामोज के क्रिस्टोफ वैन हाउट के बाद दूसरे नंबर पर हैं।
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