कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गांधी ( फाइल फोटो)
लखनऊ:
कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गांधी के अमेठी का दौरा का आज दूसरा दिन है. पहले दिन यानी बुधवार को उन्होंने एक पंचायत कर केंद्र की मोदी सरकार पर जमकर निशाना साधा और कहा कि अगर सत्ता नहीं संभाल पा रहे हैं तो उनको दे दें. लेकिन उनके अमेठी दौरे के इस खास बात यह है कि वह गुजरात की तरह यहां भी माथा टेकते नजर आए. रात को गेस्ट हाउस की ओर जाते समय रास्ते में दुर्गा पूजा के लिए एक पंडाल में उन्होंने माथा टेका और टीका लगवाया. इससे पहले वह गुजरात में एक ही दिन में चार मंदिरों के दर्शन कर चुके हैं. इतना ही नहीं एक मंदिर में तो वह करीब 1500 सीढ़िय़ां फांद गए थे.
कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गांधी ने 15 मिनट में चढ़ डालीं 1000 सीढ़ियां, जानें क्या था मकसद...
ध्यान देने वाली बात यह है कि अभी तक इस तरह की राजनीति पर बीजेपी का ही एकाधिकार रहा है. लेकिन अब राहुल गांधी भी मंदिर जाने लगे है. राजनीतिक विश्लेषकों का कहना है कि राहुल गांधी अब हिंदू वोटने को साधने में जुटे हैं. ऐसा इसलिए भी हो सकता है क्योंकि लोकसभा चुनाव में हार के कारणों को जानने के लिए बनी एंटनी समिति में कहा गया था कि पार्टी की करारी हार के पीछे मुस्लिम तुष्टीकरण भी हो सकता है. हालांकि कुछ कांग्रेस के नेताओं ने इस बात को नकार दिया था.
वीडियो : दुर्गा पंडाल में टेका माथा
वहीं गुजरात कांग्रेस ने इस बात को स्वीकार किया है कि राज्य में बीजेपी के हिंदुत्व का सामना करने के लिए कांग्रेस अब नरम हिंदुत्व की ओर जाएगी. जबकि कुछ कांग्रेस नेताओं का कहना है कि राहुल से पहले सोनिया, राजीव और इंदिरा गांधी भी मंदिर जाती थीं. इसमें नया कुछ भी नहीं है.
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ध्यान देने वाली बात यह है कि अभी तक इस तरह की राजनीति पर बीजेपी का ही एकाधिकार रहा है. लेकिन अब राहुल गांधी भी मंदिर जाने लगे है. राजनीतिक विश्लेषकों का कहना है कि राहुल गांधी अब हिंदू वोटने को साधने में जुटे हैं. ऐसा इसलिए भी हो सकता है क्योंकि लोकसभा चुनाव में हार के कारणों को जानने के लिए बनी एंटनी समिति में कहा गया था कि पार्टी की करारी हार के पीछे मुस्लिम तुष्टीकरण भी हो सकता है. हालांकि कुछ कांग्रेस के नेताओं ने इस बात को नकार दिया था.
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वहीं गुजरात कांग्रेस ने इस बात को स्वीकार किया है कि राज्य में बीजेपी के हिंदुत्व का सामना करने के लिए कांग्रेस अब नरम हिंदुत्व की ओर जाएगी. जबकि कुछ कांग्रेस नेताओं का कहना है कि राहुल से पहले सोनिया, राजीव और इंदिरा गांधी भी मंदिर जाती थीं. इसमें नया कुछ भी नहीं है.
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