
इरोम ने AFSPA के खिलाफ 16 साल लंबा संघर्ष किया था (फाइल फोटो)
कोडइकनाल:
साल 2000 से लेकर 2016 तक मणिपुर में सशस्त्र बल विशेष अधिकार अधिनियम (आफ्सपा) के विरोध में लंबा संघर्ष करने वाली इरोम शर्मिला ने शादी के बंधन में बंधने का फैसला किया है. इरोम ने तमिलनाडु के हिल स्टेशन कोडइकनाल में उप रजिस्ट्रार राजेश के कार्यालय में लंबे समय से प्रेमी रहे डेसमंड कुटान्हो के साथ शादी का आवेदन दिया है. इरोम ने बीते साल 9 अगस्त को अपना अनशन खत्म किया था.
शर्मिला ने हिंदू विवाह अधिनियम के तहत आवेदन दायर किया है. उप रजिस्ट्रार ने उन्हें बताया कि यह एक अंतर-धार्मिक विवाह है, इसलिए उन्हें विशेष विवाह अधिनियम के तहत आवेदन दायर करना होगा.
उप रजिस्ट्रार राजेश ने कहा कि उनके आवेदन को नोटिस बोर्ड पर लगाया जाएगा और 30 दिनों के नोटिस की अवधि पूरी होने के बाद ही शादी होगी.
शर्मिला मणिपुर से कोडइकनाल शिफ्ट हो गई हैं और वह पिछले कुछ समय से अपने दोस्त के साथ ही रह रही हैं. शर्मिला ने बताया कि वह कोडइकनाल शांति की तलाश में आई थीं और उन्हें यह जगह पसंद आई. हालांकि, वह अपनी लड़ाई हार गई हैं लेकिन उन्होंने अपना मकसद नहीं छोड़ा है.
शर्मिला आफ्सपा हटाने की मांग को लेकर अपनी जिंदगी का बड़ा हिस्सा अनशन पर गुजार चुकी हैं. आफ्सपा नहीं हटा और अंतत: उन्हें अपना अनशन तोड़ना पड़ा था. इसके बाद उन्हें अपनी पार्टी 'प्रजा' बनाकर मणिपुर में विधानसभा का चुनाव लड़ा, लेकिन यहां भी उन्हें करारी हार का सामना करना पड़ा था. खुद इरोम को केवल 90 वोट मिले थे. अब इन सब बातों को छोड़कर वे अपना निजी जीवन व्यवस्थित तरीके से गुजारना चाहती हैं.
(इनपुट आईएएनएस से)
शर्मिला ने हिंदू विवाह अधिनियम के तहत आवेदन दायर किया है. उप रजिस्ट्रार ने उन्हें बताया कि यह एक अंतर-धार्मिक विवाह है, इसलिए उन्हें विशेष विवाह अधिनियम के तहत आवेदन दायर करना होगा.
उप रजिस्ट्रार राजेश ने कहा कि उनके आवेदन को नोटिस बोर्ड पर लगाया जाएगा और 30 दिनों के नोटिस की अवधि पूरी होने के बाद ही शादी होगी.
शर्मिला मणिपुर से कोडइकनाल शिफ्ट हो गई हैं और वह पिछले कुछ समय से अपने दोस्त के साथ ही रह रही हैं. शर्मिला ने बताया कि वह कोडइकनाल शांति की तलाश में आई थीं और उन्हें यह जगह पसंद आई. हालांकि, वह अपनी लड़ाई हार गई हैं लेकिन उन्होंने अपना मकसद नहीं छोड़ा है.
शर्मिला आफ्सपा हटाने की मांग को लेकर अपनी जिंदगी का बड़ा हिस्सा अनशन पर गुजार चुकी हैं. आफ्सपा नहीं हटा और अंतत: उन्हें अपना अनशन तोड़ना पड़ा था. इसके बाद उन्हें अपनी पार्टी 'प्रजा' बनाकर मणिपुर में विधानसभा का चुनाव लड़ा, लेकिन यहां भी उन्हें करारी हार का सामना करना पड़ा था. खुद इरोम को केवल 90 वोट मिले थे. अब इन सब बातों को छोड़कर वे अपना निजी जीवन व्यवस्थित तरीके से गुजारना चाहती हैं.
(इनपुट आईएएनएस से)
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