- इंडिगो के सीईओ पीटर एल्बर्स से 12 दिसंबर को DGCA की अधिकारियों की कमेटी पूछताछ करेगी
- इंडिगो प्रभावित यात्रियों को फ्लाइट रद्द होने पर दस हजार रुपये के यात्रा वाउचर प्रदान करेगी
- DGCA ने इंडिगो के मुख्यालय से कंपनी के संचालन और रिफंड प्रक्रियाओं की निगरानी शुरू कर दी है
इंडिगो के CEO पीटर एल्बर्स कल DGCA के सामने पेश होंगे. DGCA की अधिकारियों की कमेटी 12 दिसंबर को उनसे पूछताछ करेगी. पूछताछ हाल ही में हुई फ्लाइट्सों में बड़ी गड़बड़ी और रद्दीकरण के कारण होने वाली है. कंपनी ने यह जानकारी SEBI के नियमों के तहत शेयर बाजार को दी है. इंडिगो ने कहा है कि इस सूचना को रिकॉर्ड में शामिल किया जाए.

वाउचर स्कीम क्या है
वहीं इंडिगो ने घोषणा की है कि फ्लाइट्स रद्द होने या विलंब के कारण प्रभावित यात्रियों को 10,000 रुपये के यात्रा ‘वाउचर' देगी. यह वाउचर तीन से पांच दिसंबर के दौरान फ्लाइट्सें रद्द होने से प्रभावित यात्रियों को दिया जाएगा. यह डीजीसीए के मानदंडों के तहत फ्लाइट्स रद्द होने पर यात्रियों को प्रदान की जाने वाली राशि के अतिरिक्त होगा. उधर, डीजीसीए के अधिकारियों ने बृहस्पतिवार से इंडिगो के मुख्यालय से विमानन कंपनी के संचालन, ‘रिफंड' और अन्य प्रक्रियाओं की निगरानी शुरू कर दी. सूत्रों ने यह जानकारी दी. उन्होंने कहा कि अधिकारियों से विमानन कंपनी की स्थिति पर दैनिक रिपोर्ट प्रस्तुत करने की अपेक्षा की जाती है.
क्यों रद्द हुई थीं फ्लाइट्स

इंडिगो पायलट एवं चालक दल के नए ‘ड्यूटी' मानदंडों के कार्यान्वयन से संबंधित योजनागत विफलताओं के कारण महत्वपूर्ण परिचालन बाधाओं से जूझ रही है. इसके परिणामस्वरूप उसने हजारों फ्लाइट्से रद्द की हैं. डीजीसीए ने बुधवार को इंडिगो के गुरुग्राम मुख्यालय में एक निगरानी समिति के दो सदस्यों को तैनात करने का फैसला किया था ताकि रद्द फ्लाइट्सों की स्थिति, कर्मचारियों की तैनाती, अनियोजित अवकाश एवं कर्मचारियों की कमी से प्रभावित मार्गों की निगरानी की जा सके.
अब क्या है स्थिति
विमानन कंपनी ने मंगलवार को कहा था कि उसका परिचालन स्थिर हो गया है और सामान्य स्तर पर लौट आया है. हालांकि फ्लाइट्सों के रद्द होने का सिलसिला जारी रहा और उसने पांच दिसंबर को एक ही दिन में रिकॉर्ड 1,600 फ्लाइट्सें रद्द कर दीं. वित्त वर्ष 2025-26 के शीतकालीन कार्यक्रम (शेड्यूल) के तहत विमानन कंपनी प्रतिदिन 2,200 से अधिक फ्लाइट्स संचालित कर रही थी. इसे नागर विमानन मंत्रालय के 10 दिसंबर के आदेश के अनुसार पहले ही 10 प्रतिशत तक कम कर दिया गया है.
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