चीन के धौंस जमाने वाले व्यवहार को लेकर बढ़ती वैश्विक चिंताओं के बीच, विदेश मंत्री एस जयशंकर ने शुक्रवार को कहा कि भारत का बढ़ता प्रभाव यह सुनिश्चित करेगा कि विश्व व्यवस्था में संपूर्ण संतुलन स्वतंत्रता, खुलापन, पारदर्शिता और नियम आधारित व्यवस्था के पक्ष में बना रहे. ‘निक्की एशिया फ्यूचर ऑफ एशिया फोरम' को डिजिटल माध्यम से संबोधित करते हुए जयशंकर ने भू-राजनीतिक चुनौतियों का जिक्र करते हुए एशिया व हिंद-प्रशांत क्षेत्र में अंतरराष्ट्रीय कानून एवं समझौतों के प्रति असम्मान तथा आर्थिक प्रभाव के इस्तेमाल के बारे में बातें कीं. उनकी टिप्पणियों को बीजिंग की कार्रवाई और नीतियों के स्पष्ट संदर्भ में देखा जा रहा है.
जयशंकर ने कहा, ‘‘वर्तमान में, विश्व बदलाव के दौर से गुजर रहा है, जो भू-राजनीति, भू-अर्थव्यवस्था और भू-प्रौद्योगिकीय विकास द्वारा संचालित हो रहा तथा भारत द्वारा अपनाये जाने वाले विकल्प के भविष्य में महत्वपूर्ण प्रभाव होंगे. लेकिन हम जो कुछ देख रहे हैं वह महज परिवर्तन नहीं है, बल्कि कहीं अधिक जोखिम भी लिया जा रहा है.''
उन्होंने कहा, ‘‘यूक्रेन में संघर्ष, पश्चिम एशिया में हिंसा तथा एशिया एवं हिंद-प्रशांत में अंतरराष्ट्रीय कानून और समझौतों का असम्मान किये जाने में यह नजर आ रहा है. इसके शायद कहीं अधिक चिंताजनक आर्थिक पहलू हैं.''
विदेश मंत्री ने कहा कि आपूर्ति श्रृंखला चुनौती, वैश्वीकरण से उत्पन्न अत्यधिक सकेंद्रण और राष्ट्रों द्वारा आर्थिक वर्चस्व का इस्तेमाल जोर पकड़ रहा है.
मंत्री ने कहा कि समान रूप से प्रौद्योगिकी चुनौती भी महत्वपूर्ण है, जिसने अंतर-निर्भरता के एक नये स्तर का निर्माण किया है, जिसके परिणामस्वरूप कृत्रिम बुद्धिमत्ता (एआई), इलेक्ट्रिक व्हीकल (ईवी), हरित एवं स्वच्छ प्रौद्योगिकियों ने उम्मीद एवं चिंता बढ़ाई है. उन्होंने कहा कि राष्ट्रीय सुरक्षा कई आर्थिक संबंधों में महत्वपूर्ण बन गई है.
जयशंकर ने कहा कि भारत का एक शक्तिशाली देश के रूप में उभरना एशिया में बहुध्रुवीयता को मजबूत करने के लिए जरूरी है, जो बहुध्रुवीय विश्व के लिए आवश्यक है. उन्होंने कहा, ‘‘भारत का बढ़ता प्रभाव यह सुनिश्चित करेगा कि विश्व व्यवस्था में संपूर्ण संतुलन स्वतंत्रता, खुलापन, पारदर्शिता और नियम आधारित व्यवस्था के पक्ष में बना रहे.''
उन्होंने उल्लेख किया, ‘‘समान रूप से, इसकी जिम्मेदारी की अधिक भावना और अधिक योगदान भी एक अंतर पैदा कर रहा है. भारतीय नौसेना के पोत वर्तमान में लाल सागर में संचालित हो रहे हैं, ताकि समुद्री नौवहन की सुरक्षा की जा सके.'' विदेश मंत्री ने कहा कि भारत हिंद महासागर में और कभी-कभी इससे बाहर भी प्राकृतिक आपदाएं आने पर सबसे पहले राहत सहायता पहुंचाता रहा है.
उन्होंने कहा कि अनिश्चित विश्व के प्रति भारत के दृष्टिकोण ने हमारे व्यापक क्षेत्र, व्यापक हितों और सुधारवादी एजेंडे के जरिये आकार लिया है. जयशंकर ने कहा, ‘‘हमारा मानना है कि एक स्वतंत्र, खुला, सुरक्षित, शांतिपूर्ण, समृद्ध और स्थिर हिंद-प्रशांत विश्व की शांति, सुरक्षा और समृद्धि के लिए एक आवश्यक पूर्व शर्त है.''
उन्होंने कहा कि अब, भारत अनुकरणीय नेतृत्व करना चाहता है और देश में मौजूदा चुनाव इस बात को रेखांकित करता है कि लोकतंत्र वास्तव में कल्याणकारी हो सकता है.
NDTV.in पर ताज़ातरीन ख़बरों को ट्रैक करें, व देश के कोने-कोने से और दुनियाभर से न्यूज़ अपडेट पाएं