केंद्र सरकार पर वायु प्रदूषण (Air Pollution) से निपटने में ‘खराब नीति-निर्माण' का आरोप लगाते हुए कांग्रेस (Congress) ने रविवार को मांग की कि आगामी केंद्रीय बजट में इस ‘गंभीर सार्वजनिक स्वास्थ्य संकट' से निपटने के लिए देश के स्थानीय निकायों, राज्य सरकारों और केंद्र को संसाधन संपन्न बनाने का मार्ग प्रशस्त किया जाना चाहिए.
कांग्रेस महासचिव जयराम रमेश (Jairam Ramesh) ने एक्स पर पोस्ट किए गए एक बयान में कहा है कि, "इस महीने की शुरुआत में एक अध्ययन से पता चला कि भारत में होने वाली सभी मौतों में से 7.2% वायु प्रदूषण से जुड़ी हैं. हर साल सिर्फ 10 शहरों में लगभग 34,000 मौतें होती हैं. दिल्ली में सेंटर फॉर साइंस एंड एनवायरनमेंट की ओर से किए गए एक नए अध्ययन में राष्ट्रीय स्वच्छ वायु कार्यक्रम (NCAP) का मूल्यांकन किया गया है. इसमें नीतिगत अव्यवस्था को उजागर किया गया है, जिसके परिणामस्वरूप यह सार्वजनिक स्वास्थ्य संकट पैदा हुआ है."
भारत का वायु प्रदूषण संकट नीतिगत विफलता का नतीजा है। विफल राष्ट्रीय स्वच्छ वायु कार्यक्रम (NCAP) और यहां से आगे बढ़ने के लिए आवश्यक कदमों पर हमारा बयान: pic.twitter.com/jPDKMZX78g
— Jairam Ramesh (@Jairam_Ramesh) July 21, 2024
जयराम रमेश ने कहा, ‘‘एनसीएपी का वर्तमान बजट लगभग 10,500 करोड़ रुपये है - जो 131 शहरों में फैला हुआ है. इसमें 15वें वित्त आयोग का अनुदान भी शामिल है. इसलिए इस कार्यक्रम के लिए बहुत कम धन उपलब्ध है - और फिर भी, इस अल्प राशि में से केवल 64 फीसदी धन का ही इस्तेमाल किया गया है.''
कांग्रेस नेता ने कहा कि एनसीएपी का प्रदर्शन मूल्यांकन और हस्तक्षेप - पीएम 10 (10 माइक्रोमीटर या उससे कम व्यास वाले कणों) पर अधिक केंद्रित है, बजाय पीएम 2.5 (2.5 माइक्रोमीटर या उससे कम व्यास के कण) के, जो कहीं अधिक खतरनाक होते हैं.
रमेश ने बताया कि उपयोग किए गए कोष का 64 प्रतिशत हिस्सा सड़क की धूल को कम करने पर खर्च किया गया, जबकि उद्योगों (कोष का 0.61 फीसदी), वाहनों (कोष का 12.63 प्रतिशत) और बायोमास जलाने (कोष का 14-51 फीसदी) से होने वाले दहन-संबंधी उत्सर्जन को नियंत्रित करने पर इतनी राशित खर्च नहीं की गई.
उन्होंने कहा कि ये उत्सर्जन मानव स्वास्थ्य के लिए कहीं अधिक खतरनाक हैं. उन्होंने कहा कि एनसीएपी के अंतर्गत आने वाले 131 शहरों में से अधिकतर के पास वायु प्रदूषण संबंधी कोई आंकड़े नहीं हैं. जिन 46 शहरों के पास आंकड़े हैं, उनमें से केवल आठ शहर ही एनसीएपी के निम्न लक्ष्य को प्राप्त कर पाए हैं, जबकि 22 शहरों में वायु प्रदूषण की स्थिति और भी बदतर हो गई है.
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