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ऑपरेशन सिंदूर: बालाकोट तो ट्रेलर था, पढ़िए कैसे भारत ने इस बार पाकिस्तान को पूरी पिक्चर दिखा दी

भारत की सेनाओं ने मंगलवार-बुधवार की दरमयानी रात पाकिस्तान में आतंक के ठिकानों पर हमला किया. इस ऑपरेशन को ऑपरेश सिंदूर नाम दिया गया. भारत की सेनाओं ने 1971 के बाद पहली बार पाकिस्तान में घुसकर कार्रवाई की है. आइए जानते हैं कि यह हमला बालाकोट हमले से कितना अलग था.

ऑपरेशन सिंदूर: बालाकोट तो ट्रेलर था, पढ़िए कैसे भारत ने इस बार पाकिस्तान को पूरी पिक्चर दिखा दी
नई दिल्ली:

पहलगाम आतंकी हमले के 15 दिन के अंदर ही भारत ने इसका बदला ले लिया है. बुधवार देर रात भारतीय सेनाओं ने 'ऑपरेशन सिंदूर' चलाकर पाकिस्तान और पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर में नौ आतंकी ठिकानों पर हमला किया. इसमें करीब 100 आतंकियों के मारे जाने की खबर है. हमले के बाद भारत की ओर से जारी बयान में कहा गया है,''इस ऑपरेशन में पाकिस्तान और पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर में आतंकी ढांचे को निशाना बनाया गया है, जहां से भारत पर आतंकी हमलों की योजना बनाई गई थी और उन्हें अंजाम दिया गया था.''ऑपरेशन सिंदूर के लिए जिन लक्ष्यों को चुना उनमें से चार पाकिस्तान में और पांच पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर में हैं. भारत ने इसी तरह का हमला फरवरी 2019 में उस समय किया था, जब जम्मू कश्मीर के पुलवामा में सीआरपीएफ के एक काफिले को निशाना बनाया गया था. इस हमले का बदला लेने के लिए भारत ने पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर के बालाकोट में हमला कर आतंक के ठिकानों को तबाह कर दिया था.इस ऑपरेशन को नाम दिया गया था, 'ऑपरेशन बंदर'.बुधवार तड़के हुई कार्रवाई को पाकिस्तान ने युद्ध की कार्रवाई बताया है. उसका कहना है कि उसके पास जवाबी कार्रवाई का हक है. आइए देखते हैं कि 'ऑपरेशन बंदर'और 'ऑपरेशन सिंदूर'में क्या अंतर है.

कैसे क्या हुआ 
 

  • रात 1.20 मिनटः पाकिस्तान में 9 आतंकी ठिकानों पर एयरस्ट्राइक
  • रात 1.51 मिनटः भारतीय सेना ने हमले ट्वीट कर जानकारी दी
  • रात 2.00 बजेः पाक के पंजाब प्रांत में इमर्जेंसी घोषित की गई
  • सुबह 3 बजेः  भारतीय सेना का आधिकारिक बयान आया 
  • सुबह 3.10 बजेः  अमेरिकी राष्ट्रपति ट्रंप हमले पर बयान देते हैं
  • सुबह 3.15 बजे: डोभाल अमेरिकी विदेश मंत्री से बात करते हैं

 
साल 1971 के युद्ध के बाद पहली बार है कि भारत की सेनाओं ने पाकिस्तान में घुसकर कार्रवाई को अंजाम दिया था. इससे पहले 2016 में हुए उड़ी हमला और 2019 के पुलवामा हमले के बाद भारतीय सेनाओं ने पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर में घुसकर कार्रवाई की थी. इन हमलों को सर्जिकल स्ट्राइक बताया था. भारत ने इस आत्मरक्षा के अधिकार के तहत की गई कार्रवाई बताया था. इसमें भारतीय सेनाओं ने पाकिस्तान में कोई निशाना नहीं बनाया था.

भारतीय सेनाओं ने पहली बार पाकिस्तान के पंजाब प्रांत में हमला किया. इससे पहले सेनाओं ने पंजाब में किसी ठिकानों को निशाना नहीं बनाया था. यह भारत की तीनों सेनाओं का एक संगठित प्रयास था. 

पाकिस्तान के कितने ठिकानों पर हुआ हमला

भारत ने कहा है, ''इस ऑपरेशन में पाकिस्तान और पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर में आतंकी ढांचे को निशाना बनाया गया है, जहां से भारत पर आतंकी हमलों की योजना बनाई गई थी और उन्हें अंजाम दिया गया था.कुल नौ ठिकानों को निशाना बनाया गया है." सूत्रों का कहना है कि सभी नौ ठिकानों पर हमले सफल रहे. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने ऑपरेशन सिंदूर की बारीकी से निगरानी की.

ऑपरेशन सिंदूर को थल और वायु सेना ने मिलकर अंजाम दिया. पाकिस्तान में रात 01.44 मिनट पर घुसकर एयर स्ट्राइक की गई है. ऑपरेशन सिंदूर में भारतीय सुरक्षा बलों ने पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर के अलावा पाकिस्तान में भी आंतकी ठिकानों को निशाना बनाया है.ऑपरेशन सिंदूर के लिए जिन लक्ष्यों को चुना उनमें से चार पाकिस्तान में और पांच पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर में हैं.

कौन से आतंकी संगठनों को बनाया गया निशाना  

पाकिस्तान में जिन नौ ठिकानों को निशाना बनाया गया उनमें बहावलपुर में जैश-ए-मोहम्मद का मुख्यालय और मुरीदके में लश्कर-ए-तैयबा का मुख्यालय शामिल है. ये दोनों पाकिस्तान के पंजाब में हैं. लाहौर से थोड़ी दूरी पर स्थित मुरीदके, एक विशाल मरकज यानी लश्कर-ए-तैयबा (एलईटी) का अड्डा है. वहीं बहावलपुर जैश-ए-मोहम्मद का मुख्य गढ़ है.अन्य लक्ष्यों में कोटली और मुजफ्फराबाद पीओके के क्षेत्र हैं, जहां लश्कर और जैश दोनों के लंबे समय से आतंकी शिविर और प्रशिक्षण सुविधाएं हैं.

वायुसेना ने जिन ठिकानों को निशाना बनाया उनमें बहावलपुर का मरकज सुभान अल्लाह, तेहरा कलां का सरजल, कोटली का मरकज अब्बास और मुजफ्फराबाद का सैयदना बिलाल कैंप शामिल हैं. ये सभी ठिकाने जैश-ए-मोहम्मद के हैं. इस अभियान में लश्कर-ए-तैयबा के जिन ठिकानों को निशाना बनाया गया, उनमें मुरिदके का मरकज तैयबा, बरनाला का मरकज अहले-हदीस और मुजफ्फराबाद का शवावाई नाला कैंप शामिल हैं.
कोटली में मक्का राहील शाहिद और सियालकोट में मेहमूना जोया को निशाना बनाया गया. यहां पर हिजबुल मुजाहिदीन के शिविर और प्रशिक्षण केंद्र मौजूद हैं. 

पाकिस्तान में जिन नौ आतंकी ठिकानों को निशाना बनाया गया, वो इस प्रकार हैं- 

बहावलपुर: पाकिस्तान के अंदर 100 किलोमीटर

मुरीदके: पाकिस्तान के अंदर 30 किलोमीटर

गुलपुर: पाकिस्तान के अंदर 35 किलोमीटर

सवाई कैंप: पाकिस्तान के अंदर 30 किलोमीटर

बिलाल कैंप: दूरी निर्दिष्ट नहीं

कोटली कैंप: पीओके के अंदर 15 किलोमीटर

बरनाला कैंप: पीओके के अंदर 10 किलोमीटर

सरजाल कैंप: पीओके के अंदर 8 किलोमीटर

मेहमूना कैंप: पीओके के अंदर 15 किलोमीटर


भारत की इस सैन्य कार्रवाई के नाम में 'सिंदूर' को जोड़ने का एक संदर्भ यह है कि भारतीय परंपरा में विवाहित महिलाएं अपनी मांग में सिंदूर लगाती हैं और इसे उनके सुहागन होने का एक प्रतीक माना जाता है. पहलगाम आतंकी हमले में भारतीय नौसेना के एक अधिकारी समेत कई लोगों को उनकी पत्नियों के सामने मार दिया गया था.

कब हुआ था 'ऑपरेशन बंदर'.

जम्मू कश्मीर के पुलवामा में 14 फरवरी 2019 की शाम करीब तीन बजे सीआरपीएफ के एक काफिले को श्रीनगर-जम्मू हाईवे पर आतंकी हमला हुआ था. इस काफिले की 78 बसों में करीब 2500 जवान थे.पुलवामा के पास एक कार ने काफिले में शामिल हो एक बस को टक्कर मार दी थी. इस हमले में 40 जवान शहीद हो गए थे. इस हमले का बदला लेने के भारत ने हवाई हमले का विकल्प चुना था. यह 1971 के बाद यह पहली बार था, जब भारतीय वायुसेना पाकिस्तान में हवाई हमला करने जा रही थी.वायुसेना ने हवाई हमले के लिए बालाकोट का चयन किया था. 

कुनहर नदी के तट पर बसा बालाकोट पाकिस्तान के खैबर पख्तूनख्वा प्रांत के मनशेरा जिले में है. यह लाइन ऑफ कंट्रोल से करीब 50 किलोमीटर दूर है.यह जगह इस्लामाबाद से 160 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है. वहां पुलवामा हमले की जिम्मेदारी लेने वाले जैश-ए-मोहम्मद के प्रमुख मसूद अजहर का करीबी यूसुफ अजहर रहता था.वह तालीम-उल-कुरान नाम के मदरसे की आड़ में आतंक की फैक्ट्री चलाता था.

बालाकोट को क्यों चुना गया था

बालाकोट कैंप का चुनाव इसलिए किया गया था कि वह एक पहाड़ी की चोटी पर स्थित था. उसके आसपास कोई नागरिक नहीं था. यानी हमले से नागरिकों को कोई नुकसान नहीं होगा और वह कोई मदरसा नहीं था, इसलिए वहां कोई बच्चा नहीं होगा. वहां केवल आतंकवादी और उनके आका होंगे. इसलिए ही बालाकोट का चुनाव किया गया था. 

भारत ने 25-26 फरवरी की रात हवाई हमला करना चुना था. इसके लिए मध्य प्रदेश के ग्वालियर एयरबेस से 20 मिराज-2000 विमानों ने उड़ान भरी थी. इन विमानों पर इजराइली लेजर गाइडेड बम लगे हुए थे. इनमें से 12 विमानों ने सुबह करीब पौन चार बजे अंतरराष्ट्रीय सीमा पार कर पाकिस्तान में प्रवेश किया. और अपने निशानों पर बम बरसाए.भारतीय वायुसेना ने इस ऑपरेशन को केवल 21 मिनट में अंजाम दे दिया था.इस ऑपरेशन को अंजाम दिया था एयर मार्शल हरि कुमार ने. वह पश्चिमी वायु कमान के एयर ऑफिसर कमांडिंग इन चीफ थे. खास बात यह थी कि वह फरवरी में ही रिटायर होने वाले थे. हमले से पहले उन्हें फेयरवेल पार्टी भी दी गई थी. इन हमलों में 250 से अधिक आतंकी मारे गए थे.

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