नई दिल्ली:
चीन की सरकारी संवाद समिति शिन्हुआ का प्रतिनिधित्व कर रहे तीन चीनी पत्रकारों की वीज़ा अवधि बढ़ाने से भारत सरकार ने मना कर दिया है। सूत्रों के मुताबिक यह तीनों पत्रकार (शिन्हुआ के दिल्ली ब्यूरो के प्रमुख वू कियांग और मुंबई में दो संवाददाता तांग लू और मा कियांग) इस शक के घेरे में थे कि यह अपने आधिकारिक काम से अलग 'दूसरी गतिविधियों में भी संलग्न' हैं। इसी बाबत सुरक्षा एजेंसियों ने कई महीनों से इन पर नज़र रखी हुई थी।
रिश्तों में कड़वाहट
इनका वीज़ा जनवरी में समाप्त हो गया था जिसके बाद लगातार इनकी अवधि बढ़ाई जा रही थी। 31 जुलाई को इन्हें वापिस लौटना है। सूत्रों के मुताबिक चीन इन पत्रकारों की जगह भारत में दूसरे पत्रकारों को भेजने के लिए तैयार है। साथ ही उसने इस बात पर भी ज़ोर दिया है कि इस फैसले का चीन के भारत की एनएसजी सदस्यता का विरोध करने से कोई लेना देना नहीं होना चाहिए।
ऐसा माना जा रहा है कि इस फैसले से दोनों देशों के बीच तनाव में और इज़ाफा हो सकता है। गौरतलब है कि चीन द्वारा भारत की सदस्यता के विरोध को कई विशेषज्ञ अलग निगाह से देख रहे हैं। जानकारों का कहना है कि ऐसा करके बीजिंग, भारत के प्रभाव को कम करने की कोशिश करके अमेरिका के सामने अपनी ताकत का प्रदर्शन करना चाहता है। बता दें कि अमेरिका परमाणु आपूर्तिकर्ता समूह में भारत की सदस्यता का समर्थन कर रहा है।
रिश्तों में कड़वाहट
इनका वीज़ा जनवरी में समाप्त हो गया था जिसके बाद लगातार इनकी अवधि बढ़ाई जा रही थी। 31 जुलाई को इन्हें वापिस लौटना है। सूत्रों के मुताबिक चीन इन पत्रकारों की जगह भारत में दूसरे पत्रकारों को भेजने के लिए तैयार है। साथ ही उसने इस बात पर भी ज़ोर दिया है कि इस फैसले का चीन के भारत की एनएसजी सदस्यता का विरोध करने से कोई लेना देना नहीं होना चाहिए।
ऐसा माना जा रहा है कि इस फैसले से दोनों देशों के बीच तनाव में और इज़ाफा हो सकता है। गौरतलब है कि चीन द्वारा भारत की सदस्यता के विरोध को कई विशेषज्ञ अलग निगाह से देख रहे हैं। जानकारों का कहना है कि ऐसा करके बीजिंग, भारत के प्रभाव को कम करने की कोशिश करके अमेरिका के सामने अपनी ताकत का प्रदर्शन करना चाहता है। बता दें कि अमेरिका परमाणु आपूर्तिकर्ता समूह में भारत की सदस्यता का समर्थन कर रहा है।
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