केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री हर्षवर्धन ने कहा है कि इबोला वायरस को लेकर भारत सतर्क है, क्योंकि इस वायरस से प्रभावित पश्चिमी अफ्रीकी देशों में काम कर रहे भारतीयों के देश लौटने पर इस वायरस के यहां पहुंचने का खतरा हो सकता है।
भारत सरकार ने कहा है कि पश्चिम अफ्रीकी देशों में इस वायरस के प्रकोप के मद्देनजर देश में कई कदम उठाए गए हैं, जिनमें वहां से आ रहे यात्रियों की स्क्रीनिंग और उन पर नजर रखना शामिल है। सरकार ने अपने नागरिकों को अत्यंत आवश्यकता नहीं होने पर इन देशों की यात्रा नहीं करने की भी सलाह दी है।
विदेश मंत्री सुषमा स्वराज ने रिपब्लिक ऑफ गिनी, लाइबेरिया और सियेरा लियोन को इबोला वायरस से निपटने के लिए दवाएं खरीदने के लिए 50-50 हजार डॉलर की मदद की मंजूरी दी है। स्वास्थ्य मंत्री हर्षवर्धन ने संसद में सूचित किया कि प्रभावित देशों में करीब 45,000 भारतीय हैं। उन्होंने कहा कि अगर इन देशों में हालात बिगड़ते हैं, तो वहां रह रहे भारतीयों के वापस आने की संभावना है।
हर्षवर्धन ने बताया कि इबोला विषाणु रोग के लिए कोई टीका या उपचारात्मक थेरेपी नहीं है। फिर भी यदि हमारे देश में ऐसे मामलों की सूचना मिलती है, तो इन मामलों की शीघ्र पहचान करके और रोगी को अलग रखकर, संपर्कसंबंधी गतिविधि पर नजर रखने जैसी कड़ी प्रक्रिया अपनाकर वायरस के फैलने पर अंकुश लगाया जा सकता है।
मंत्री ने कहा कि सरकार स्थिति पर नजर रख रही है। इबोला वाइरस के मामलों का भारत में खतरा कम है, फिर भी इस वायरस के भारत में बाहर से आने पर रोक लगाने की तैयारियां पूरी कर ली गई हैं। उन्होंने कहा कि रक्षा मंत्रालय ने सूचित किया है कि अफ्रीकी महाद्वीप में लगभग 7,000 भारतीय सैनिक हैं, लेकिन ये प्रभावित देशों में नहीं हैं।
विश्व स्वास्थ्य संगठन ने बताया है कि पश्चिमी अफ्रीका में इबोला वायरस के प्रकोप से मरने वालों की संख्या 932 पहुंच गई है और इसके संक्रमण के 1700 से अधिक मामले सामने आए हैं। डब्ल्यूएचओ ने एक बयान में कहा कि पिछले शनिवार से सोमवार के बीच गिनी, लाइबेरिया, नाइजीरिया और सियेरा लियोन में इस विषाणु के संक्रमण के 108 नए मामले सामने आए और 45 लोगों की मौत हो गई।
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