रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने बृहस्पतिवार को कहा कि 1998 के पोकरण परमाणु परीक्षण ने दुनिया को यह संदेश दिया था कि यद्यपि भारत शांतिप्रिय देश है लेकिन वह किसी को भी उसकी संप्रभुता, अखंडता तथा एकता को नुकसान पहुंचाने की इजाजत नहीं देगा. रक्षा मंत्री ने पोकरण परमाणु परीक्षण की 25वीं वर्षगांठ के अवसर पर यह बात कही.
भारत ने 11 मई से 13 मई के बीच राजस्थान के पोकरण में परमाणु परीक्षण किया था. इसके साथ ही भारत उन राष्ट्रों की कतार में आ खड़ा हुआ था जो परमाणु हथियार विकसित करने में समक्ष हैं.
ये परीक्षण तत्कालीन प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी नीत सरकार के दौरान हुए थे और दुनिया के कई देशों ने इस पर कड़ी आपत्ति भी जताई थी. पूरी दुनिया का मुकाबला करते हुए भारत ने कहा था कि उसने ये परीक्षण ‘विश्वसनीय न्यूनतम प्रतिरोध' के लिए किया है और वह ‘‘परमाणु हथियार का इस्तेमाल पहले कभी नहीं करेगा.''
रक्षा मंत्री ने कहा कि इस परीक्षण ने दुनिया को एक संदेश दिया कि यद्यपि भारत शांतिप्रति राष्ट्र है और ‘वसुधैव कुटुंबकम' तथा ‘अहिंसा परमोधर्म' को मानता है लेकिन वह किसी को उसकी संप्रभुता, अखंडता तथा एकता को नुकसान पहुंचाने की इजाजत नहीं दे सकता.
सिंह ने कहा,‘‘ भारत न सिर्फ अपने लिए शांति चाहता है, बल्कि उसने पूरी दुनिया को भी यही संदेश दिया है. भगवान बुद्ध तथा राष्ट्रपिता महात्मा गांधी जैसे दूरद्रष्टा दुनिया को भारत की देन हैं.''
उन्होंने कहा, ‘‘ हमने किसी देश पर आक्रमण नहीं किया और न ही किसी को गुलाम बनाया, लेकिन पोकरण परीक्षण ने एक संदेश दिया कि हम हमारी गरिमा के खिलाफ उठाए गए किसी भी कदम का मुंहतोड़ जवाब देंगे.''
प्रत्येक वर्ष 11 मई को राष्ट्रीय प्रौद्योगिकी दिवस के तौर पर मनाया जाता है. राष्ट्रीय प्रौद्योगिकी दिवस की शुरूआत पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी ने 1999 में भारत के विज्ञान और प्रौद्योगिकी विकास के लिए काम करने वाले और मई 1998 में पोकरण में परमाणु परीक्षण की सफलता सुनिश्चित करने वाले भारतीय वैज्ञानिकों, इंजीनियरों तथा तकनीशियनों को सम्मानित करने के लिए की थी.
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