निजी पूर्वानुमान एजेंसी स्काईमेट वेदर ने सोमवार को कहा कि भारत में इस साल मानसून की सामान्य से कम बारिश होने की संभावना है और ला नीना की स्थिति समाप्त होने और अल नीनो के प्रभावित होने की आशंका के कारण सूखे की 20 प्रतिशत संभावना है. मानसून के मौसम के दौरान लगातार चार वर्षों तक सामान्य और सामान्य से अधिक बारिश के बाद, यह पूर्वानुमान कृषि क्षेत्र के लिए चिंता का विषय है. कृषि क्षेत्र फसल उत्पादन के लिए मानसून की बारिश पर बहुत अधिक निर्भर करता है.
स्काईमेट का अनुमान है कि जून से सितंबर की चार महीने की अवधि के लिए मानसून की बारिश 868.6 मिमी के दीर्घकालिक औसत (एलपीए) का लगभग 94 प्रतिशत होगी. यह भी भविष्यवाणी की कि देश के उत्तरी और मध्य हिस्सों में बारिश की कमी देखी जा सकती है. उसके मुताबिक गुजरात, मध्य प्रदेश और महाराष्ट्र में जुलाई और अगस्त के मुख्य मानसून महीनों के दौरान अपर्याप्त बारिश होने की उम्मीद है.
उत्तर भारत के कृषि प्रधान क्षेत्र पंजाब, हरियाणा, राजस्थान और उत्तर प्रदेश में सीजन के दूसरे भाग के दौरान सामान्य से कम बारिश होने की संभावना है.स्काईमेट ने एक बयान में कहा कि सूखे की 20 प्रतिशत संभावना है.
बयान में कहा गया है कि अधिक बारिश की कोई संभावना नहीं है जबकि सामान्य से अधिक बारिश की 15 प्रतिशत संभावना, सामान्य बारिश की 25 प्रतिशत संभावना और सामान्य से कम वर्षा की 40 प्रतिशत संभावना है.भारत मौसम विज्ञान विभाग (आईएमडी) ने अभी तक मानसून के मौसम के लिए अपना पूर्वानुमान जारी नहीं किया है, लेकिन उसने अप्रैल से जून तक देश के अधिकांश हिस्सों में सामान्य से अधिक अधिकतम तापमान और लू चलने की भविष्यवाणी की है.
स्काईमेट के प्रबंध निदेशक जतिन सिंह ने कहा कि अल नीनो की वापसी से इस साल कमजोर मानसून की आशंका जताई जा सकती है. अल नीनो मानसूनी हवाओं के कमजोर होने और भारत में कम वर्षा से जुड़ा हुआ है. अल नीनो की वजह से तापमान गर्म होता है.अब, ला नीना समाप्त हो गया है. अल नीनो की संभावना बढ़ रही है और मॉनसून के दौरान इसके एक प्रमुख श्रेणी बनने की संभावना बढ़ रही है. अल नीनो की वापसी एक कमजोर मॉनसून की भविष्यवाणी कर सकती है.
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