नई दिल्ली:
बोफोर्स घोटाले के बाद पैदा हुए गतिरोध को तोड़ते हुए भारत और अमेरिका ने 145 एम-777 हल्के होवित्जर तोपों की खरीद के लिए 5000 करोड़ रुपये के सौदे पर हस्ताक्षर किए. इन्हें चीन के साथ सीमा के निकट तैनात किया जाएगा. 1980 के दशक में हुए बोफोर्स घोटाले के बाद से तोपों की खरीद के लिए यह पहला सौदा है.
सूत्रों ने बताया, 'भारत ने आज स्वीकृति पत्र पर हस्ताक्षर किया जो इन तोपों के लिए भारत और अमेरिका के बीच अनुबंध को औपचारिक रूप देता है.' सुरक्षा मामलों की मंत्रिमंडलीय समिति ने तकरीबन 5000 करोड़ रुपये की लागत से 145 हल्के होवित्जर तोपों की खरीद से संबंधी सौदे को हरी झंडी दे दी थी. सौदे पर यहां शुरू हुई भारत-अमेरिका सहयोग समूह (एमसीजी) की दो दिवसीय बैठक में हस्ताक्षर किया गया.
भारत-अमेरिका एमसीजी एक मंच है, जिसकी स्थापना रणनीतिक और संचालन के स्तर पर एचक्यू इंटिग्रेटेड डिफेंस स्टाफ और अमेरिकी पैसिफिक कमान के बीच रक्षा सहयोग को बढ़ाने के लिए किया गया था. बैठक अमेरिकी सह-अध्यक्ष लेफ्टिनेंट जनरल डेविड एच बर्जर, कमांडर अमेरिकी नौसैनिक कोर बल, पैसिफिक के लेफ्टिनेंट जनरल सतीश दुआ, सीआईएससी, एचक्यू आईडीएस से मुलाकात के साथ शुरू हुई. एमसीजी बैठक की सह-अध्यक्षता एयर मार्शल एएस भोंसले डीसीआईडीएस (ऑपरेशंस), एच क्यू आईडीएस ने की.
अमेरिकी रक्षा बलों का 260 सदस्यीय प्रतिनिधिमंडल और भारतीय पक्ष की तरफ से तीन सेनाओं के एचक्यू और एचक्यू आईडीएस के कई अधिकारी द्विपक्षीय कार्यक्रम में हिस्सा ले रहे हैं. एम-777 के मुद्दे पर सूत्रों ने बताया कि भारत ने अमेरिकी सरकार को एक अनुरोध पत्र भेजा था, जिसमें तोपों की खरीद को लेकर दिलचस्पी जताई गई थी. इन तोपों को अरुणाचल प्रदेश के उंचाई वाले क्षेत्रों और चीन की सीमा से लगे लद्दाख के क्षेत्र में तैनात किया जाएगा.
अमेरिका ने स्वीकृति पत्र के साथ इसका जवाब दिया था और रक्षा मंत्रालय ने जून में सौदे की शर्तों पर गौर किया और इसे मंजूरी दे दी. जहां 25 तोप भारत में तैयार अवस्था में आएंगी, वहीं बाकी तोपों को महिंद्रा के साथ भागीदारी में भारत में स्थापित किए जाने वाली हथियार प्रणाली के लिए असेंबली इंटिग्रेशन एंड टेस्ट फैसिलिटी में जोडकर तैयार किया जाएगा.
(हेडलाइन के अलावा, इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है, यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)
सूत्रों ने बताया, 'भारत ने आज स्वीकृति पत्र पर हस्ताक्षर किया जो इन तोपों के लिए भारत और अमेरिका के बीच अनुबंध को औपचारिक रूप देता है.' सुरक्षा मामलों की मंत्रिमंडलीय समिति ने तकरीबन 5000 करोड़ रुपये की लागत से 145 हल्के होवित्जर तोपों की खरीद से संबंधी सौदे को हरी झंडी दे दी थी. सौदे पर यहां शुरू हुई भारत-अमेरिका सहयोग समूह (एमसीजी) की दो दिवसीय बैठक में हस्ताक्षर किया गया.
भारत-अमेरिका एमसीजी एक मंच है, जिसकी स्थापना रणनीतिक और संचालन के स्तर पर एचक्यू इंटिग्रेटेड डिफेंस स्टाफ और अमेरिकी पैसिफिक कमान के बीच रक्षा सहयोग को बढ़ाने के लिए किया गया था. बैठक अमेरिकी सह-अध्यक्ष लेफ्टिनेंट जनरल डेविड एच बर्जर, कमांडर अमेरिकी नौसैनिक कोर बल, पैसिफिक के लेफ्टिनेंट जनरल सतीश दुआ, सीआईएससी, एचक्यू आईडीएस से मुलाकात के साथ शुरू हुई. एमसीजी बैठक की सह-अध्यक्षता एयर मार्शल एएस भोंसले डीसीआईडीएस (ऑपरेशंस), एच क्यू आईडीएस ने की.
अमेरिकी रक्षा बलों का 260 सदस्यीय प्रतिनिधिमंडल और भारतीय पक्ष की तरफ से तीन सेनाओं के एचक्यू और एचक्यू आईडीएस के कई अधिकारी द्विपक्षीय कार्यक्रम में हिस्सा ले रहे हैं. एम-777 के मुद्दे पर सूत्रों ने बताया कि भारत ने अमेरिकी सरकार को एक अनुरोध पत्र भेजा था, जिसमें तोपों की खरीद को लेकर दिलचस्पी जताई गई थी. इन तोपों को अरुणाचल प्रदेश के उंचाई वाले क्षेत्रों और चीन की सीमा से लगे लद्दाख के क्षेत्र में तैनात किया जाएगा.
अमेरिका ने स्वीकृति पत्र के साथ इसका जवाब दिया था और रक्षा मंत्रालय ने जून में सौदे की शर्तों पर गौर किया और इसे मंजूरी दे दी. जहां 25 तोप भारत में तैयार अवस्था में आएंगी, वहीं बाकी तोपों को महिंद्रा के साथ भागीदारी में भारत में स्थापित किए जाने वाली हथियार प्रणाली के लिए असेंबली इंटिग्रेशन एंड टेस्ट फैसिलिटी में जोडकर तैयार किया जाएगा.
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