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This Article is From Feb 28, 2023

1901 के बाद से सबसे गर्म फरवरी : अभी गर्मी करेगी और सितम, लू के थपेड़े करेंगे परेशान

मौसम एक्‍सपर्ट्स का कहना है कि आने वाले 3 महीनों में गर्मी लोगों के लिए परेशानी का कारण बन सकती है. 1 मार्च से मौसम विभाग पूरे देश के लिए हीटवेव के लिए कलर-कोड वाली चेतावनी भी जारी करेगा.

1901 के बाद से सबसे गर्म फरवरी : अभी गर्मी करेगी और सितम, लू के थपेड़े करेंगे परेशान
आने वाले दिनों में तापमान में और बढ़ोतरी दर्ज की जाएगी.
नई दिल्ली:

जनवरी का महीना खत्म होते-होते उत्तर भारत में गर्मी महसूस होने लगी है. फरवरी में तो इस गर्मी ने 122 साल का रिकॉर्ड ही तोड़ दिया है. इस दौरान दिन का औसत तापमान सामान्‍य से 1.73 डिग्री सेल्सियस अधिक रहा. इससे पहले फरवरी में ऐसा तापमान 1901 में रिकॉर्ड किया गया था, जब औसत तापमान सामान्‍य से 0.81 डिग्री सेल्सियस अधिक रहा था. 

मौसम एक्‍सपर्ट्स का कहना है कि आने वाले 3 महीनों में गर्मी लोगों के लिए परेशानी का कारण बन सकती है. 1 मार्च से मौसम विभाग पूरे देश के लिए हीटवेव के लिए कलर-कोड वाली चेतावनी भी जारी करेगा.

हीटवेव चलने की आशंका
ब्लूमबर्ग की एक रिपोर्ट के मुताबिक, देश के कई इलाकों में तापमान पिछले सालों की तुलना में अधिक रहने और हीटवेव (Heatwave) चलने की आशंका है. दिन का तापमान सामान्‍य से अधिक रहने की संभावना जताई गई है. मौसम एक्‍सपर्ट का कहना है कि उत्‍तरी-पूर्वी, पूर्वी और मध्‍य भारत के साथ ही नार्थ वेस्‍ट रीजन में मार्च से तापमान में औसत की तुलना में बढ़ोतरी हो जाएगी. 

जनजीवन पर पड़ेगा असर
भारत में अगले तीन महीनों में गर्मी के कारण जनजीवन पर असर पड़ेगा. देश के कई हिस्‍सों में खासतौर पर दक्षिण भारत, मध्‍य भारत के कुछ हिस्‍सों, पश्चिमी भारत और उत्‍तर भारत के कई इलाकों में हीटवेव का असर देखा जाएगा. इसके अलावा मार्च में देश के ज्यादातर हिस्सों में अधिकतम तापमान सामान्य से काफी ऊपर रहने की उम्मीद है.


रात का तापमान भी औसत से ज्‍यादा रहने की आशंका
रिपोर्ट के मुताबिक, आने वाले 3 महीनों के दौरान दिन में झुलसा देने वाली गर्मी रहेगी. रात का तापमान भी औसत से ज्‍यादा रहने की आशंका है. कर्नाटक, आंध्रप्रदेश, तमिलनाडु और केरल के कुछ इलाकों में भीषण गर्मी रहने की आशंका है. जबकि गुजरात, महाराष्‍ट्र, उत्‍तर प्रदेश और राजस्‍थान में लू चलने और रात का तापमान अधिक रह सकता है.

भारत का मौसम
भारत जलवायु परिवर्तन के प्रति सबसे संवेदनशील देशों में से एक है. अधिक चरम मौसम की घटनाओं जैसे हीटवेव, भीषण बाढ़ और सूखे के कारण हर साल हजारों लोगों की मौत हो जाती है. ऐसे मौसम से कृषि उत्पादकता कम हो जाती है, जिससे आर्थिक कठिनाइयां बढ़ती हैं. इसके साथ ही ये जीवाश्म ईंधन की मांग को बढ़ाकर और जलविद्युत के स्रोतों को सुखाकर देश की ऊर्जा आपूर्ति पर बोझ डालता है.

आयातित कोयले पर चलने वाले बिजली संयंत्रों को पहले ही गर्मियों के दौरान तीन महीने तक पूरी क्षमता से काम करने के लिए कहा गया है, ताकि ब्लैकआउट से बचने और घरेलू आपूर्ति पर दबाव कम करने में मदद मिल सके. एयर कंडीशनर और सिंचाई पंपों की बढ़ती मांग को पूरा करने के लिए जेनरेटर अधिक बिजली का उत्पादन कर रहे हैं.

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