नई दिल्ली:
भारत सरकार ने इटालियन नौसैनिकों को वापस नहीं भेजने के मुद्दे पर इटली के साथ अपने संबंधों के कूटनीतिक, व्यापारिक और रक्षा समेत सभी पहलुओं की समीक्षा शुरू कर दी है, और सूत्रों ने बताया है कि इसके परिणामस्वरूप कूटनीतिक संबंधों में इटली का दर्जा घटाया जा सकता है।
विदेश मंत्रालय के आधिकारिक प्रवक्ता ने कहा कि इटली के साथ हमारे समूचे संवाद की समीक्षा की जा रही है। साथ ही उन्होंने जोर दिया कि इटली को उसके और सुप्रीम कोर्ट के बीच हुए समझौतों का सम्मान और पालन करना होगा। उन्होंने कहा, "प्रधानमंत्री ने जो संसद में कहा है, उसके बाद हमारे चल रहे प्रयासों के तहत हमने इटली के साथ अपने संवाद का अध्ययन शुरू कर दिया है। आंतरिक प्रक्रिया के समापन पर हम अपने संबंध के सभी पहलुओं पर गौर करने के बाद जो भी उचित होगा, वैसी कार्रवाई करेंगे।" वह इस सवाल का जवाब दे रहे थे कि क्या विदेश मंत्रालय 18 मार्च तक आगे की कार्रवाई के लिए इंतजार करेगा। गौरतलब है कि सुप्रीम कोर्ट ने इटालियनों को अपना जवाब 18 मार्च तक दाखिल करने को कहा है।
दरअसल, सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार को इटालियन राजदूत के बिना अनुमति भारत छोड़ने पर रोक लगा दी थी। दो भारतीय मछुआरों की हत्या के आरोपी मरीनों को भारत वापस भेजने से इटली सरकार के इनकार से नाखुश प्रधान न्यायाधीश की अध्यक्षता वाली पीठ ने राजदूत और दो मरीन मस्सीमिलियानो लातोर और साल्वातोर गिरोन को नोटिस जारी किया और उनसे 18 मार्च तक अपना जवाब दाखिल करने को भी कहा था।
अटॉर्नी जनरल जीई वाहनवती द्वारा इस मुद्दे को पीठ के समक्ष लाने के बाद शीर्ष अदालत ने नोटिस जारी किया। उन्होंने कहा, ''यह देश की सर्वोच्च अदालत को दिए गए शपथपत्र का उल्लंघन है और सरकार इस बारे में बेहद चिंतित है।'' दोनों मरीनों को शीर्ष अदालत ने चुनाव में मतदान करने के लिए इटली जाने की तब अनुमति दी थी, जब इटालियन राजदूत डैनियल मैन्सिनी ने इनके वापस लौट आने का लिखित आश्वासन दिया था।
इसके अतिरिक्त यूरोपीय संघ का दरवाजा खटखटाकर इस मामले में भारत के रुख की उसे जानकारी दी गई। सूत्रों ने कहा कि इटली में भारत के मनोनीत राजदूत बसंत कुमार गुप्ता फिलहाल इटली नहीं जा रहे हैं। पहले उन्हें कल रोम के लिए रवाना होना था। सूत्रों ने बताया कि इटली के राजदूत डैनियल मैन्सिनी को निष्कासित कर दिया जाए और गुप्ता को पद संभालना चाहिए या नहीं, इसका फैसला समीक्षा के बाद किया जाएगा।
प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने इटली को चेतावनी दी थी कि अगर उसने दो मरीन को भारत में मुकदमा का सामना करने के लिए नहीं भेजा तो द्विपक्षीय संबंधों के लिए यह ठीक नहीं होगा। संसद के दोनो सदनों में कठोर शब्दों वाले बयान में सिंह ने इटली पर कूटनीतिक बातचीत के प्रत्येक नियम का उल्लंघन करने का आरोप लगाते हुए आरोपी को वापस नहीं भेजने के उसके फैसले को 'अस्वीकार्य' बताया। गौरतलब है कि इस मुद्दे पर संसद में विपक्ष ने सरकार पर निशाना साधा था।
मैन्सिनी के भारत छोड़ने पर रोक लगाने वाले सुप्रीम कोर्ट के आदेश के संबंध में पूछे जाने पर प्रवक्ता ने कहा कि राजदूत को नोटिस देकर सुप्रीम कोर्ट ने विएना संधि के किसी भी पहलू का उल्लंघन नहीं किया है। विएना संधि से विभिन्न देशों के कूटनीतिक संबंध नियंत्रित होते हैं।
उल्लेखनीय है कि विएना संधि के अनुसार कूटनीतिक एजेंट या अधिकार क्षेत्र से छूट हासिल रखने वाले व्यक्ति द्वारा कार्यवाही शुरू किए जाने पर मूल दावे से सीधे तौर पर जुड़े किसी प्रतिदावे के संबंध में उसके अधिकार क्षेत्र से छूट हासिल करने पर रोक होगी। हालांकि, उसमें यह भी कहा गया है कि राजनयिक किसी भी तरह की गिरफ्तारी या हिरासत में नहीं लिए जाएंगे। उन्हें दीवानी या फौजदारी मुकदमे से छूट होगी। हालांकि, उन्हें भेजने वाला देश इस अधिकार को वापस ले सकता है।
उन्होंने कहा, ''अंतरराज्यीय संबंध या अंतरराष्ट्रीय जन कानून के संबंध में जहां तक हमारे लिए पहले कदम का सवाल है तो समझौतों का पालन किया जाना चाहिए और हमें उम्मीद है कि इटली समझौते का सम्मान करेगा, जिसे उसके राजदूत ने स्वेच्छा से भारत की सर्वोच्च अदालत में सौंपा था। वह मुद्दा जोखिम में है।'' उन्होंने कहा, ''बाकी सारी चीजें कम महत्व की हैं, क्योंकि हमारे लिए समझौतों का सम्मान और पालन किया जाना चाहिए और एक इतिहास वाले इटली जैसे देश से हम उम्मीद करते हैं कि वह समझौतों का पालन करेगा।''
इससे पहले गुरुवार को विदेशमंत्री सलमान खुर्शीद ने प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह से मुलाकात की थी, और उसके बाद संकेत दिए थे कि भारत में इटली के राजदूत के खिलाफ कार्रवाई की जाएगी। खुर्शीद ने कहा था कि यह सुनिश्चित करने के लिए प्रत्येक कदम उठाया जाएगा कि इस मामले में भारत की ''गरिमा एवं प्रतिष्ठा'' अक्षुण्ण रहे।
भारत और इटली के बीच कूटनीतिक गतिरोध पर यूरोपीय संघ को क्या जानकारी दी गई है, इस बारे में पूछे जाने पर सूत्रों ने बताया कि यूरोपीय संघ के यहां राजदूत को नई दिल्ली के रुख और नजरिये से अवगत कराया गया।
भारतीय मछुआरों की हत्या के आरोपी दो मरीन को लेकर पैदा हुए राजनयिक विवाद की पृष्ठभूमि में इटली ने कहा है कि इस मामले में अंतरराष्ट्रीय मध्यस्थता की मांग करने में कानूनी आधार पर उसका पक्ष बेहद मजबूत है।
इटालियन विदेशमंत्री गिउलियो तेरजी ने संवाददाताओं से कहा था, ''न्यायिक रूप से हमारे पास अंतरराष्ट्रीय मध्यस्थता की ओर बढ़ने की ठोस वजहें हैं।'' वह इस्राइली शहर हर्जीलिया में एक थिंक टैंक की ओर से आयोजित सम्मेलन में हिस्सा लेने पहुंचे थे। उन्होंने कहा, ''हमारी वजहों के बारे में भारत को जो कुछ भी जानने की जरूरत थी, उसे हमारे दूसरे बहुत सारे साझीदारों की तरह बता दिया गया है।''
विदेश मंत्रालय के आधिकारिक प्रवक्ता ने कहा कि इटली के साथ हमारे समूचे संवाद की समीक्षा की जा रही है। साथ ही उन्होंने जोर दिया कि इटली को उसके और सुप्रीम कोर्ट के बीच हुए समझौतों का सम्मान और पालन करना होगा। उन्होंने कहा, "प्रधानमंत्री ने जो संसद में कहा है, उसके बाद हमारे चल रहे प्रयासों के तहत हमने इटली के साथ अपने संवाद का अध्ययन शुरू कर दिया है। आंतरिक प्रक्रिया के समापन पर हम अपने संबंध के सभी पहलुओं पर गौर करने के बाद जो भी उचित होगा, वैसी कार्रवाई करेंगे।" वह इस सवाल का जवाब दे रहे थे कि क्या विदेश मंत्रालय 18 मार्च तक आगे की कार्रवाई के लिए इंतजार करेगा। गौरतलब है कि सुप्रीम कोर्ट ने इटालियनों को अपना जवाब 18 मार्च तक दाखिल करने को कहा है।
दरअसल, सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार को इटालियन राजदूत के बिना अनुमति भारत छोड़ने पर रोक लगा दी थी। दो भारतीय मछुआरों की हत्या के आरोपी मरीनों को भारत वापस भेजने से इटली सरकार के इनकार से नाखुश प्रधान न्यायाधीश की अध्यक्षता वाली पीठ ने राजदूत और दो मरीन मस्सीमिलियानो लातोर और साल्वातोर गिरोन को नोटिस जारी किया और उनसे 18 मार्च तक अपना जवाब दाखिल करने को भी कहा था।
अटॉर्नी जनरल जीई वाहनवती द्वारा इस मुद्दे को पीठ के समक्ष लाने के बाद शीर्ष अदालत ने नोटिस जारी किया। उन्होंने कहा, ''यह देश की सर्वोच्च अदालत को दिए गए शपथपत्र का उल्लंघन है और सरकार इस बारे में बेहद चिंतित है।'' दोनों मरीनों को शीर्ष अदालत ने चुनाव में मतदान करने के लिए इटली जाने की तब अनुमति दी थी, जब इटालियन राजदूत डैनियल मैन्सिनी ने इनके वापस लौट आने का लिखित आश्वासन दिया था।
इसके अतिरिक्त यूरोपीय संघ का दरवाजा खटखटाकर इस मामले में भारत के रुख की उसे जानकारी दी गई। सूत्रों ने कहा कि इटली में भारत के मनोनीत राजदूत बसंत कुमार गुप्ता फिलहाल इटली नहीं जा रहे हैं। पहले उन्हें कल रोम के लिए रवाना होना था। सूत्रों ने बताया कि इटली के राजदूत डैनियल मैन्सिनी को निष्कासित कर दिया जाए और गुप्ता को पद संभालना चाहिए या नहीं, इसका फैसला समीक्षा के बाद किया जाएगा।
प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने इटली को चेतावनी दी थी कि अगर उसने दो मरीन को भारत में मुकदमा का सामना करने के लिए नहीं भेजा तो द्विपक्षीय संबंधों के लिए यह ठीक नहीं होगा। संसद के दोनो सदनों में कठोर शब्दों वाले बयान में सिंह ने इटली पर कूटनीतिक बातचीत के प्रत्येक नियम का उल्लंघन करने का आरोप लगाते हुए आरोपी को वापस नहीं भेजने के उसके फैसले को 'अस्वीकार्य' बताया। गौरतलब है कि इस मुद्दे पर संसद में विपक्ष ने सरकार पर निशाना साधा था।
मैन्सिनी के भारत छोड़ने पर रोक लगाने वाले सुप्रीम कोर्ट के आदेश के संबंध में पूछे जाने पर प्रवक्ता ने कहा कि राजदूत को नोटिस देकर सुप्रीम कोर्ट ने विएना संधि के किसी भी पहलू का उल्लंघन नहीं किया है। विएना संधि से विभिन्न देशों के कूटनीतिक संबंध नियंत्रित होते हैं।
उल्लेखनीय है कि विएना संधि के अनुसार कूटनीतिक एजेंट या अधिकार क्षेत्र से छूट हासिल रखने वाले व्यक्ति द्वारा कार्यवाही शुरू किए जाने पर मूल दावे से सीधे तौर पर जुड़े किसी प्रतिदावे के संबंध में उसके अधिकार क्षेत्र से छूट हासिल करने पर रोक होगी। हालांकि, उसमें यह भी कहा गया है कि राजनयिक किसी भी तरह की गिरफ्तारी या हिरासत में नहीं लिए जाएंगे। उन्हें दीवानी या फौजदारी मुकदमे से छूट होगी। हालांकि, उन्हें भेजने वाला देश इस अधिकार को वापस ले सकता है।
उन्होंने कहा, ''अंतरराज्यीय संबंध या अंतरराष्ट्रीय जन कानून के संबंध में जहां तक हमारे लिए पहले कदम का सवाल है तो समझौतों का पालन किया जाना चाहिए और हमें उम्मीद है कि इटली समझौते का सम्मान करेगा, जिसे उसके राजदूत ने स्वेच्छा से भारत की सर्वोच्च अदालत में सौंपा था। वह मुद्दा जोखिम में है।'' उन्होंने कहा, ''बाकी सारी चीजें कम महत्व की हैं, क्योंकि हमारे लिए समझौतों का सम्मान और पालन किया जाना चाहिए और एक इतिहास वाले इटली जैसे देश से हम उम्मीद करते हैं कि वह समझौतों का पालन करेगा।''
इससे पहले गुरुवार को विदेशमंत्री सलमान खुर्शीद ने प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह से मुलाकात की थी, और उसके बाद संकेत दिए थे कि भारत में इटली के राजदूत के खिलाफ कार्रवाई की जाएगी। खुर्शीद ने कहा था कि यह सुनिश्चित करने के लिए प्रत्येक कदम उठाया जाएगा कि इस मामले में भारत की ''गरिमा एवं प्रतिष्ठा'' अक्षुण्ण रहे।
भारत और इटली के बीच कूटनीतिक गतिरोध पर यूरोपीय संघ को क्या जानकारी दी गई है, इस बारे में पूछे जाने पर सूत्रों ने बताया कि यूरोपीय संघ के यहां राजदूत को नई दिल्ली के रुख और नजरिये से अवगत कराया गया।
भारतीय मछुआरों की हत्या के आरोपी दो मरीन को लेकर पैदा हुए राजनयिक विवाद की पृष्ठभूमि में इटली ने कहा है कि इस मामले में अंतरराष्ट्रीय मध्यस्थता की मांग करने में कानूनी आधार पर उसका पक्ष बेहद मजबूत है।
इटालियन विदेशमंत्री गिउलियो तेरजी ने संवाददाताओं से कहा था, ''न्यायिक रूप से हमारे पास अंतरराष्ट्रीय मध्यस्थता की ओर बढ़ने की ठोस वजहें हैं।'' वह इस्राइली शहर हर्जीलिया में एक थिंक टैंक की ओर से आयोजित सम्मेलन में हिस्सा लेने पहुंचे थे। उन्होंने कहा, ''हमारी वजहों के बारे में भारत को जो कुछ भी जानने की जरूरत थी, उसे हमारे दूसरे बहुत सारे साझीदारों की तरह बता दिया गया है।''
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