नई दिल्ली. पूर्वी लद्दाख (Ladakh Clash) में भारत-चीन के बीच गतिरोध (India-China Standoff) अभी खत्म नहीं हुआ है. हाल ही में वहां कुछ पॉइंट पर चीन के नए मिलिट्री इंफ्रास्ट्रक्चर बनाने की खबरें आई थी. ऐसे में भारत भी मुस्तैद हो गया है. चीन को सबक सिखाने के लिए भारत न्योमा एयरफील्ड (Nyoma airfield) को अपग्रेड करने जा रही है. जब ये एयरफील्ड अपग्रेड कर दी जाएगी, तो भारतीय वायुसेना (Indian Air Force) की ताकत कई गुना बढ़ जाएगी. किसी भी संकट से निपटने के लिए उसका रिस्पॉन्स टाइम काफी कम हो जाएगा.
रिपोर्ट के मुताबिक, भारत जल्द ही पूर्वी लद्दाख में वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) से 50 किमी से कम लड़ाकू विमान संचालन के लिए न्योमा एयरफील्ड के अपग्रेड के लिए निर्माण कार्य शुरू करने जा रहा है. चीन के साथ गतिरोध के दौरान न्योमा एयरफील्ड का इस्तेमाल लोगों और सामग्रियों के परिवहन के लिए किया गया था. इस एयरफील्ड में चिनूक हेवी-लिफ्ट हेलीकॉप्टर्स और सी-130 जे स्पेशल ऑपरेशन विमानों का संचालन किया जा चुका है.
एक रक्षा अधिकारी ने न्यूज एजेंसी ANI को बताया, 'एलएजी (उन्नत लैंडिंग ग्राउंड) को जल्द ही लड़ाकू विमानों के संचालन के लिए अपग्रेड किया जाएगा, क्योंकि इसके लिए ज्यादातर मंजूरियां पहले ही मिल चुकी हैं. योजना के मुताबिक नए एयरफील्ड और मिलिट्री इन्फ्रास्ट्रक्चर का निर्माण सीमा सड़क संगठन (बीआरओ) के द्वारा किया जाएगा.'
अधिकारियों के मुताबिक, इससे लड़ाकू विमानों की संचालन क्षमता मजबूत होगी और वायु सेना को दुश्मनों के दुस्साहस से तेजी से निपटने में मदद मिलेगी. उन्होंने कहा, केंद्र द्वारा मंजूरी मिलने के बाद पूर्वी लद्दाख सेक्टर में निर्माण कार्य का उद्घाटन जल्द शुरू होने की उम्मीद है.
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व वाली सरकार द्वारा मंजूरी मिलने के बाद जल्द ही निर्माण कार्य शुरू हो जाएगा. बता दें कि भारत एलएसी से कुछ ही मिनटों की दूरी पर दौलत बेग ओल्डी (डीबीओ), फुकचे और न्योमा सहित पूर्वी लद्दाख में हवाई क्षेत्र विकसित करने के लिए कई विकल्पों पर विचार कर रहा है.
न्योमा एडवांस्ड लैंडिंग ग्राउंड (एएलजी) ने एमआई-17 हेलीकॉप्टरों से अपाचे अटैक हेलीकॉप्टर, चिनूक हेवी-लिफ्ट हेलीकॉप्टर और गरुड़ विशेष बलों के संचालन को देखा है.
भारतीय वायु सेना के ग्रुप कैप्टन अजय राठी ने न्योमा जैसे उन्नत लैंडिंग ग्राउंड के महत्व को समझाया है. कैप्टन राठी ने कहा, "न्योमा एएलजी का वास्तविक नियंत्रण रेखा के करीब होने के कारण रणनीतिक महत्व है. यह लेह हवाई क्षेत्र और एलएसी के बीच महत्वपूर्ण अंतर को पाटता है, जिससे पूर्वी लद्दाख में जवानों और सामग्री की त्वरित आवाजाही आसान हो जाएगी."
न्योमा एयरबेस के मुख्य संचालन अधिकारी ने कहा कि एएलजी इसके बाद ऊंचाइयों तक त्वरित पहुंच और संचालन में मदद करेगा. क्योंकि न्योमा में हवाई संचालन बुनियादी ढांचा बलों की संचालन क्षमता को बढ़ाता है."
बता दें कि भारतीय वायु सेना ने किसी भी हवाई घुसपैठ से निपटने के लिए इग्ला मैन-पोर्टेबल वायु रक्षा मिसाइलों को तैनात किया है. वायु सेना नियमित रूप से पूर्वी लद्दाख में अभियान चलाने के लिए राफेल और मिग-29 सहित लड़ाकू विमानों की तैनाती करती रही है. इस क्षेत्र में कई स्थानों पर भारतीय और चीनी सैनिकों को हटा दिया गया है.
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