
प्रधानमंत्री मोदी ने बिहार के काराकाट में नक्सलवाद पर जोरदार प्रहार किया. उन्होंने कहा कि वो दिन दूर नहीं जब माओवादी हिंसा का पूरी तरह से खात्मा हो जाएगा. दरअसल, मोदी सरकार का लक्ष्य है मार्च 2026 तक पूरी तरह से नक्सलमुक्त भारत बनाना. 21 मई को छत्तीसगढ़ के नारायणपुर में सुरक्षा बलों ने डेढ़ करोड़ रुपये के ईनामी नंबाला केशव राव उर्फ बासवराजू समेत 27 नक्सलियों को मार गिराया. बासवराजू सीपीआई माओवादी का महासचिव था. गृह मंत्री अमित शाह ने बताया कि पिछले तीन दशक में पहली बार किसी महासचिव स्तर के नक्सली को ऑपरेशन में मारा गया है. मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, इस साल अब तक लगभग 300 नक्सली मारे जा चुके हैं. साल 1967 से शुरू हुआ नक्सली आंदोलन अब धीरे-धीरे अपने खात्मे की ओर बढ़ रहा है. आइये इसे आंकड़ों के जरिए से समझने की कोशिश करते हैं.
नक्सली हिंसा की घटना में कमी
- 2010 में नक्सली हिंसा की 1936 घटना हुई थी, जबकि 2024 में ये आंकड़ा घटकर महज 374 रह गया यानि कि नक्सली हिंसा की घटना में 2010 की तुलना में 81 फीसदी की गिरावट दर्ज की गई.
- 2013 में नक्सल प्रभावित जिलों की संख्या 126 थी , 2025 में घटकर हुई 18.
- 2013 में 126 जिले नक्सल प्रभावित थे, जो 2021 में घटकर 70 जिले रह गए.
- पिछले साल तक 38 जिले नक्सल प्रभावित थे. इस साल अप्रैल में इनकी संख्या घटकर महज 18 रह गई.

नक्सली हिंसा में मारे गए नागरिकों की संख्या में आई कमी
नक्सली हिंसा में 2010 में 720 नागरिक मारे गए. 2024 में मरने वालों की संख्या घटकर 131 हो गई. नक्सली हिंसा में 2010 में 1005 नागरिक और सुरक्षा बल मारे गए. 2024 में 150 नागरिक और सुरक्षा बल मारे गए यानि कि मरने वालों की संख्या में 85% की गिरावट दर्ज की गई.

आर्थिक ढ़ांचे पर नक्सली हमलों में गिरावट
नक्सली आर्थिक ढ़ांचे जैसे कि रेलवे प्रॉपर्टी, पब्लिक और प्राइवेट सेक्टर की इकाइयों, टेलीफोन एक्सचेंज, मोबाईल टॉवर, सड़क, स्कूल को निशाना बनाते रहे हैं. पर पिछले कुछ साल से इन घटनाओं मे कमी आई है. साल 2010 में हमले की ऐसे 365 मामले थे, जो 2024 में घटकर 25 रह गए.

नक्सलमुक्त भारत बनाने की दिशा में नक्सलियों का सफाया
मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, इस साल अब तक लगभग 300 नक्सली मारे जा चुके हैं. साल 2017 में 136 नक्सली मारे गए, जबकि 2023 में ये आंकड़ा बढ़कर 380 हो गया. 2024 में भी 290 नक्सली मारे गए.

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