एस जयशंकर का फाइल फोटो...
नई दिल्ली:
परमाणु आपूर्तिकर्ता समूह (एनएसजी) में भारत की सदस्यता के विरुद्ध चीन के अपने रुख से नहीं हटने के बीच विदेश सचिव एस जयशंकर ने दोनों पक्षों में इस बात को लेकर 'तर्कसंगत और व्यावहारिक' वार्ता की वकालत की कि एक दूसरे की आकांक्षाओं को जगह नहीं देना किस तरह संपूर्ण संबंधों के लिए नुकसानदेह है.
विदेश सचिव ने यह भी कहा कि भारत को चीन में अपनी छवि सुधारने के लिए अपनी सॉफ्ट पॉवर का इस्तेमाल करना चाहिए तथा और भी बहुत कुछ करना चाहिए, क्योंकि वहां के लोगों को इस देश के बारे में उचित तरीके से नहीं पता.
भारत की सॉफ्ट पॉवर पर विदेश मंत्रालय की स्थाई समिति की एक रिपोर्ट में विदेश सचिव की ये टिप्पणियां आई हैं, जिसे कल लोकसभा में पेश किया गया.
रिपोर्ट में जयशंकर के हवाले से कहा गया है, 'मेरा मानना है कि हमें फिलहाल चीन के साथ जो दिक्कतें हैं उन्हें मानने से इनकार नहीं करना चाहिए'. विदेश सचिव के मुताबिक, 'इसलिए इस समय चीन के साथ इस बारे में तर्कसंगत व्यावहारिक बातचीत जरूरी है कि किस तरह से एक दूसरे की आकांक्षाओं को जगह नहीं देना संबंधों के लिए लाभकारी नहीं है. हमें बातचीत करनी चाहिए और हम करेंगे'. वह इस संबंध में एक प्रश्न का उत्तर दे रहे थे कि क्या चीन के साथ भारत की बातचीत में सॉफ्ट पॉवर का इस्तेमाल किया जा सकता है.
एनएसजी के मुद्दे पर जयशंकर ने कहा कि सॉफ्ट पॉवर का एक महत्व है, लेकिन यह कुछ गंभीर कठोर प्रभावशाली दलीलों की जगह नहीं ले सकती.
कांग्रेस सांसद शशि थरूर की अध्यक्षता वाली समिति ने यह भी कहा कि बॉलीवुड और भारतीय लोक संस्कृति के अलावा देश की सॉफ्ट पॉवर को प्रोत्साहित करने में भारतवंशियों की अहम भूमिका है.
समिति को लगता है कि सरकार भारत की सॉफ्ट पॉवर का लाभ खंडित रूप में ही उठा सकी है, जिसमें किसी जोड़ने वाली नीति या सहगामी वित्तीय संसाधनों का समर्थन नहीं है.
(इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)
विदेश सचिव ने यह भी कहा कि भारत को चीन में अपनी छवि सुधारने के लिए अपनी सॉफ्ट पॉवर का इस्तेमाल करना चाहिए तथा और भी बहुत कुछ करना चाहिए, क्योंकि वहां के लोगों को इस देश के बारे में उचित तरीके से नहीं पता.
भारत की सॉफ्ट पॉवर पर विदेश मंत्रालय की स्थाई समिति की एक रिपोर्ट में विदेश सचिव की ये टिप्पणियां आई हैं, जिसे कल लोकसभा में पेश किया गया.
रिपोर्ट में जयशंकर के हवाले से कहा गया है, 'मेरा मानना है कि हमें फिलहाल चीन के साथ जो दिक्कतें हैं उन्हें मानने से इनकार नहीं करना चाहिए'. विदेश सचिव के मुताबिक, 'इसलिए इस समय चीन के साथ इस बारे में तर्कसंगत व्यावहारिक बातचीत जरूरी है कि किस तरह से एक दूसरे की आकांक्षाओं को जगह नहीं देना संबंधों के लिए लाभकारी नहीं है. हमें बातचीत करनी चाहिए और हम करेंगे'. वह इस संबंध में एक प्रश्न का उत्तर दे रहे थे कि क्या चीन के साथ भारत की बातचीत में सॉफ्ट पॉवर का इस्तेमाल किया जा सकता है.
एनएसजी के मुद्दे पर जयशंकर ने कहा कि सॉफ्ट पॉवर का एक महत्व है, लेकिन यह कुछ गंभीर कठोर प्रभावशाली दलीलों की जगह नहीं ले सकती.
कांग्रेस सांसद शशि थरूर की अध्यक्षता वाली समिति ने यह भी कहा कि बॉलीवुड और भारतीय लोक संस्कृति के अलावा देश की सॉफ्ट पॉवर को प्रोत्साहित करने में भारतवंशियों की अहम भूमिका है.
समिति को लगता है कि सरकार भारत की सॉफ्ट पॉवर का लाभ खंडित रूप में ही उठा सकी है, जिसमें किसी जोड़ने वाली नीति या सहगामी वित्तीय संसाधनों का समर्थन नहीं है.
(इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)
NDTV.in पर ताज़ातरीन ख़बरों को ट्रैक करें, व देश के कोने-कोने से और दुनियाभर से न्यूज़ अपडेट पाएं
परमाणु आपूर्तिकर्ता समूह (एनएसजी), भारत, चीन, एस जयशंकर, Nuclear Suppliers Group (NSG), India, China, S Jaishankar