
नेशनल रजिस्टर ऑफ सिटीजनशिप (NRC) और नागरिकता संशोधन बिल (CAB) की वजह से जो माहौल बना है उसमें कर्नाटक की मस्जिदों और दूसरी संस्थाओं में पहचान के लिए सरकारी दस्तावेज बनाने से जुड़ी बारीकियां बताई जा रही हैं. इस सिलसिले में हालांकि पिछले महीने अल्पसंख्यक विभाग की तरफ से सर्कुलर जारी किया गया लेकिन मौजूदा हालात में अब इस पर तेजी से काम हो रहा है.
कर्नाटक की सभी करीब 11 हजार मस्जिदों के साथ-साथ एनजीओ और अन्य संस्थाएं मुसलमानों को बता रही हैं कि आधार या इस जैसे दूसरे सरकारी दस्तावेजों की क्या अहमियत है. बताया जा रहा है कि यह दस्तावेज कैसे बनवाएं. सरकार की अल्पसंख्यकों से जुड़ी छोटी-बड़ी संस्थाएं इसमें मदद कर रही हैं.
कर्नाटक में तकरीबन 82 लाख मुसलमान रहते हैं. यह संख्या देश के दूसरे हिस्सों की तुलना में भले ही काफी कम है लेकिन यहां बांग्लादेश के लोग भी हैं. पुलिस को इनपुट मिले हैं कि कूड़े की सफाई से बांग्लादेश के नागरिक जुड़े हुए हैं. हाल ही में बांग्लादेश और अफ्रीका के 75 नागरिकों के यहां से प्रत्यर्पण की कार्रवाई की गई है. अब कर्नाटक सरकार के अल्पसंख्यक विभाग की तरफ से सभी मुस्लिम संस्थाओं को सर्कुलर जारी करके सरकारी पहचान पत्रों के साथ-साथ डेटा बेस तैयार करने को कहा गया है.
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सरकार की पहल के बाद गली-मोहल्ले में सभी छोटी-बड़ी संस्थाओं ने कानूनी तौर पर मुसलमानों के लिए वैद्य पहचान पत्र बनाने की कवायद शुरू कर दी है.
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