अपनी युवा सहकर्मी का कथित रूप से यौन उत्पीड़न करने के मामले में फंसे तहलका पत्रिका के पूर्व संपादक तरुण तेजपाल ने आज एक नया विवाद खड़ा कर दिया। गोवा की जेल में बंद तेजपाल ने कहा कि इस मामले की जांच कर रहे अधिकारी ने उन पर धमकी देने का गलत आरोप लगाया, और उससे ही प्रभावित होकर जज ने इस महीने की शुरुआत में उन्हें जमानत देने से मना कर दिया था।
तेजपाल ने पुलिस अधिकारी सुनीता सावंत को लिखी चिट्ठी में यह बात कही थी, जिसे उनके परिवार वालों ने आज मीडिया को जारी किया। इस चिट्ठी में तेजपाल ने लिखा कि अदालत ने मेरी जमानत याचिका खारिज करने की जो वजह रेखांकित की है, 'उसे देखकर मैं हैरान और परेशान हूं। इसके मुताबिक आपने शिकायत की है कि मैंने आपको धमकाया और परेशान किया। यह सत्य से कोसो परे है।' उन्होंने लिखा कि उन्होंने चिकित्सीय और मनोवैज्ञानिक जांच में पूरा सहयोग किया और 'घंटो तक सैंकड़ों सवालों का जवाब दिया।'
गौरतलब है कि तेजपाल और उनके वकीलों का दावा है कि खोजी समाचार पत्रिका तहलका बीजेपी के कुछ शीर्ष नेताओं के भ्रष्टाचार को बेनकाब कर चुकी हैं और गोवा की सत्ता पर आसीन यह पार्टी अब बदले के तौर पर उनके खिलाफ इस मामले का इस्तेमाल कर रही है।
इस बीच, अपराध शाखा के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा, तहलका मामले में आरोपपत्र 5 फरवरी तक दाखिल किया जाएगा। इस मामले की जांच लगभग पूरी हो चुकी है। तहलका पत्रिका की एक पूर्व कनिष्ठ महिला पत्रकार ने आरोप लगाया था कि तेजपाल ने पिछले साल नवंबर में गोवा में आयोजित एक समारोह में पांच सितारा होटल की लिफ्ट में उसका यौन उत्पीड़न किया था।
50 वर्षीय तेजपाल की अग्रिम जमानत की याचिका स्थानीय अदालत द्वारा खारिज कर दिए जाने पर अपराध शाखा पुलिस ने उसे 30 नवंबर को गोवा में गिरफ्तार कर लिया था। अदालत ने तेजपाल को न्यायिक हिरासत में भेज दिया था और फिलहाल वह साडा उपकारागार में बंद है।
जांचकर्ता अधिकारी ने तहलका की पूर्व प्रबंध संपादक शोमा चौधरी, तेजपाल की बेटी और पीड़िता के बयान समेत कई बयान दर्ज कर लिए हैं। अपराध शाखा के अधिकारियों को तेजपाल के खिलाफ एक ‘कड़ा‘ मामला दाखिल करने की उम्मीद है।
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