विज्ञापन
This Article is From Nov 03, 2017

मध्यप्रदेश में भावांतर के भंवर में किसान! बीजेपी के समर्थक किसान ने कहा- सरकार दे रही 'लॉलीपॉप'

किसानों को फसलों की सही कीमत दिलाने के दावे के साथ शुरू की गई भावांतर भुगतान योजना में पेंच, सरकरी योजना से किसान गुस्से में

मध्यप्रदेश में भावांतर के भंवर में किसान! बीजेपी के समर्थक किसान ने कहा- सरकार दे रही 'लॉलीपॉप'
मध्यप्रदेश की अनाज मंडियों में किसान सोयाबीन लेकर पहुंच रहे हैं.
भोपाल: मध्यप्रदेश में मंदसौर के आंदोलन के वक्त अन्नदाता का गुस्सा उबाल पर दिखा. सरकार ने इसे कम करने की कोशिश के तहत योजनाओं के ताबड़तोड़ ऐलान किए लेकिन किसान इससे और नाराज़ है. किसानों को सही कीमत के दावे के साथ सरकार ने भावांतर भुगतान योजना शुरू की लेकिन इसके पेंच से किसान और गुस्से में है. सरकार ने ये भी ऐलान किया कि व्यापारी उसे 50,000 नकद दे जिससे व्यापारी की पेशानी पर परेशानी के बल पड़े हुए हैं.
         
कुछ दिन पहले मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने ऐलान किया था कि किसानों को 50000 रुपये तक की राशि नकद मिल जाए, 50000 तक की फसल बेचते हैं तो पूरी रकम नकद मिले, ज्यादा है तो 50,000 नकद बाकी आरटीजीएस. भावांतर भुगतान योजना के तहत किसान को नकद, बाजार और न्यूनतम भाव में अंतर का भुगतान करने का भी ऐलान किया लेकिन नतीजा भोपाल की करौंद मंडी में खामखेड़ा से आए किसान विक्रम सिंह यादव ने कहा "मुख्यमंत्री झूठी घोषणा कर रहे हैं मैं भी पार्टी का सक्रिय कार्यकर्ता हूं,  चंदा देता हूं लेकिन अभी नुकसान हो रहा है इसलिए विरोध कर रहे हैं, किसानों का अहित कर रहे हैं."

यह भी पढ़ें :  समर्थन मूल्य बढ़ाए जाने की मांग पर किसानों ने गन्ने की जलाई होली   

भोपाल में किसान जुबान से सरकार के खिलाफ दिखे तो आगर मालवा में सोमवार को उन्होंने प्रशासन के खिलाफ पत्थर उठा लिए. कृषि उपज मंडी में सोयाबीन के कम भाव और नगदी की समस्या से परेशान किसानों ने मंडी में पत्थर बरसाए, हमले में तहसीलदार को चोट आई, पुलिस ने आंसू गैस के गोले छोड़कर हालात को काबू में किया. आगर मंडी में किसानों का गुस्सा फूटने से पहले उन्होंने कई बार अपनी परेशानी बताई, ना भावांतर में भाव मिले और ना नकदी. फसल बेचे कई दिन हो गए आरटीजीएस से पैसा भी ट्रांसफर नहीं हुआ.
     
गुना मंडी में सोयाबीन बेचने आया किसान भी पसोपेश में हैं. भरत किरार बमौरी तहसील से सोयाबीन बेचने आए. आरोप है कि भावांतर में व्यापारियों ने मिलकर भाव गिरा दिया. भरत ने कहा व्यापारियों ने 200-500 कम कर दिए. आज सोयाबन के भाव 2200-2300 प्रति क्विंटल कर दिए. नकद भी नहीं दे रहे. पेमेंट पर नकद ले रहे हैं तब पैसे दे रहे हैं. हमारी मजबूरी है खाद चाहिए, डीजल खरीदना है. मंडी में आए दूसरे किसान भी नकदी की कमी से परेशान हैं. नावखेड़ी से आए रमेश ने कहा "नकद नहीं मिल रहा है, सोयाबीन लेकर गए नकद नहीं दे रहे हैं. जो दे भी रहा है तो कमीशन काटकर. वहीं हेमंत बैरागी ने कहा डेढ़ क्विंटल माल था, उसका चेक बनाकर दिया. पांच हजार मिला लेकिन चेक से. "

यह भी पढ़ें :  अब महाराष्ट्र में उर्वरक पर सब्सिडी लेने के लिए भी आधार कार्ड जरूरी    

उधर व्यापारी कहते हैं कि ज्यादा नकदी देने पर उन्हें इनकम टैक्स का डर है. धनिया और गेंहू के थोक कारोबारी पवन कुमार साहू ने कहा "हमें कोई तकलीफ नहीं है, लेकिन बैंक पैसा नहीं दे रहा हम कहां से देंगे. डर तो हमको भी है इनकम टैक्स का."
       
सागर मंडी में किसान मसूर, उड़द, सोयाबीन लेकर पहुंच रहे हैं. यहां भी आरोप वही, व्यापारी भाव गिरा रहे हैं. माल बिक रहा तो नकद नहीं मिल रहा, परेशान हो रहे हैं. किसान कहते हैं कि मंडी में फसल लाने तक का खर्च नहीं निकल रहा. राजधानी भोपाल की करौंद मंडी में सोयाबीन लेकर आए किसान तो एक-एक खर्च गिनवा रहे हैं. विक्रम सिंह यादव ने 16 एकड़ में सोयाबीन बोया था. वे बताते हैं कि "फसल की लागत आधी भी नहीं मिल रही. एक एकड़ में 5000 खर्चा आया, 700 रुपये प्रति लीटर इल्ली की दवा, 3000 के करीब दूसरी दवा, बीज अलग है, मजदूरों का अलग है. बीज 4000 रुपये क्विंटल खरीदा. 16 एकड़ में 50-60 क्विंटल निकला. फसल 2300 में नीलाम हुई. डेढ़-दो लाख का नुकसान हुआ है. ये योजना किसानों के लिए लॉलीपॉप है." घाटखेड़ी के सूरज सिंह ने भी सोयाबीन बेचा. वे कहते हैं किसी ऐलान का कोई मतलब नहीं है. कोई फायदा नहीं मिल रहा, व्यापारी नकद नहीं दे रहे हैं.

यह भी पढ़ें :  क्या ट्रैक्टर के लिए कार जैसा लोन मिल सकता है ?   

प्रमुख सचिव कृषि डॉ राजेश राजौरा ने बताया कि योजना लागू होने के बाद भाव गिरने की बात बिल्कुल गलत है. उड़द और मूंग में औसत भाव बढ़े हैं. सोयाबीन में कुछ कमी आई है पर ये भी राजस्थान और महाराष्ट्र की तुलना में बेहतर है.

कुछ फसलों के पिछले 15 दिनों के औसत भाव
उड़द      3,410
सोयाबीन  2,580
मूंगफली  3,760
तिल        5,400

जरा उड़द पर भी नजर डालिए. हरिप्रसाद पटेल दीवानगंज से आए हैं 40 एकड़ में उड़द लगाई, उपज आई सिर्फ साढ़े 3 क्विंटल. वे कहते हैं भावांतर में भाव मिलने की उम्मीद नहीं है. "भाव 1000,1100 मिले रहे हैं. गांव के व्यापारी 850 क्विंटल बोल रहे थे खर्चा एक लाख 72000 हुआ है. लगता नहीं है भावांतर में भाव मिलेगा क्योंकि व्यापारी बिल देगा नहीं हम बिल कहां से लगाएंगे."

यह भी पढ़ें :  यशवंत सिन्हा ने किया सवाल- क्या कारें, मोटरसाइकिलें अधिक बिक जाने का मतलब प्रगति है?
       
भावांतर भुगतान को सीएम शिवराज सिंह चौहान ने गेम चेंजर बताया है. सरकार इसके तहत बाजार मूल्य और एमएसपी के भाव में अंतर की रकम खुद किसानों को देगी लेकिन पेंच था भुगतान खरीदी बंद होने के दो महीने बाद होगा वो भी तीन राज्यों के मॉडल रेट पर. कांग्रेस नेता अविनाश भार्गव ने आरोप लगाया "मूल्य और समर्थन का अंतर खाते में जाना चाहिए जैसे 2300 में सोयाबीन बिका, रेट 3050 है तो 750 खाते में जाना चाहिए, लेकिन सरकार मॉडल वैल्यू बीच में ले आई है जिसकी तारीख दिसंबर है. मुझे लगता है ये समर्थन मूल्य के करीब रहेगी और किसानों को कुछ नहीं मिलेगा."
     
हालांकि सरकार कहती है उसने सोच समझकर फैसला लिया है. कृषि मंत्री गौरीशंकर बिसेन ने कहा  "क्या कभी किसी सरकार ने चाहे हमारी सरकार ही क्यों ना हो इस तरह का फैसला लिया है. पूरे देश में मंदी का दौर है इसलिए मुख्यमंत्री ने सोच समझकर फैसला लिया." सरकारी आंकड़े हैं कि इस योजना में अब तक 90 हजार किसान 30 लाख क्विंटल से ज्यादा फसल बेच चुके हैं. इन्हें 15 दिन के औसत भाव के हिसाब से अंतर के करीब सवा सौ करोड़ रुपये सरकार देगी. प्रदेश में लगभग 54 लाख किसान हैं जिसमें 19 लाख ने भावांतर में रजिस्ट्रेशन करवाया है.

VIDEO : सरकारी योजना से नाराज किसान

राज्य के पूर्व मुख्यमंत्री बाबूलाल गौर और मौजूदा सांसद अनूप मिश्रा भी योजना के खिलाफ खत लिख चुके हैं. हालांकि मंडी बोर्ड कह रहा है उसे अभी तक एक भी ऐसी ठोस शिकायत नहीं मिली है, जिससे ये साबित हो कि भावांतर भुगतान योजना से भाव गिरे हैं. ऐसे में लगता है आगर मालवा में शायद किसान काम धाम छोड़ मंडी में पत्थर चलाने की प्रैक्टिस कर रहे थे.

NDTV.in पर ताज़ातरीन ख़बरों को ट्रैक करें, व देश के कोने-कोने से और दुनियाभर से न्यूज़ अपडेट पाएं

फॉलो करे:
Listen to the latest songs, only on JioSaavn.com