
- IMF ने वित्त वर्ष 2025-26 में भारत की जीडीपी वृद्धि दर का अनुमान 6.4 प्रतिशत से बढ़ाकर 6.6 प्रतिशत किया है.
- भारत की पहली तिमाही में जीडीपी वृद्धि दर 7.8 प्रतिशत रही, जो मजबूत निजी खपत के कारण संभव हुई है.
- भारत ने सितंबर 2025 में जीएसटी में बड़े सुधार लागू किए, जिससे घरेलू मांग में वृद्धि की उम्मीद जताई गई है.
अंतरराष्ट्रीय मुद्राकोष (आईएमएफ ) ने अपनी वर्ल्ड इकोनॉमिक आउटलुक रिपोर्ट में कहा है कि वित्त वर्ष 2025-26 के लिए भारत की जीडीपी ग्रोथ रेट का अनुमान 6.4 फीसदी से बढ़ाकर 6.6 प्रतिशत कर दिया गया है. हालांकि 2026-27 के लिए अनुमान 20 बेसिस पॉइंट घटाकर 6.2 फीसदी किया गया है. आईएमएफ ने कहा कि यह बढ़ोतरी मुख्य तौर पर पहली तिमाही के मजबूत प्रदर्शन के कारण हुई है. इसने जुलाई से भारत से इंपोर्ट पर लगाए गए अमेरिकी प्रभावी टैरिफ रेट में बढ़ोतरी के असर को संतुलित कर दिया है.
सबसे तेज आर्थिक वृद्धि
भारत का वित्तीय वर्ष अप्रैल से मार्च तक चलता है. यह एक बेसिस प्वाइंट है जो कि प्रतिशत का सौवां हिस्सा होता है. सरकारी आंकड़ों के अनुसार, अप्रैल से जून 2025 की तिमाही में भारत ने कम से कम एक साल में सबसे तेज आर्थिक वृद्धि दर्ज की और तब जीडीपी ग्रोथ रेट 7.8 प्रतिशत रहा. यह इजाफा खासतौर पर मजबूत निजी खपत के कारण हुआ है. यहां यह बात गौर करने वाली है कि भारत ने 22 सितंबर 2025 को जीएसटी (जीएसटी) में बड़े स्तर पर सुधार लागू किए हैं. इन सुधारों के बाद देश में साबुन से लेकर छोटी कारों तक की घरेलू मांग में बढ़ोतरी होने की उम्मीद है, भले ही अमेरिकी टैरिफ का असर भारतीय बाजार पर पड़ रहा हो.
वर्ल्ड बैंक ने भी कही यह बात
आईएमएफ की तरफ से भारत की जीडीपी ग्रोथ रेट का अनुमान बढ़ाए जाने से पहले वर्ल्ड बैंक की रिपोर्ट में भी इसी तरह की बात कही गई थी. एक हफ्ते पहले ही वर्ल्ड बैंक ने भी वित्त वर्ष 2025-26 के लिए भारत की वृद्धि दर का अनुमान 6.3 प्रतिशत से बढ़ाकर 6.5 फीसदी किया है. हालांकि अमेरिकी टैरिफ के प्रभाव को देखते हुए उसने 2026-27 के लिए अनुमान 20 बेसिस पॉइंट घटाकर 6.3 प्रतिशत कर दिया.
बाकी अर्थव्यवस्थाओं का क्या हाल
आईएमएफ ने उभरती हुई अर्थव्यवस्थाओं की वृद्धि दर 2024 में 4.3 प्रतिशत से घटाकर 2025 में 4.2 फीसदी और 2026 में 4 प्रतिशत रहने का अनुमान जताया है. आईएमएफ ने कहा, 'चीन के अलावा, उभरते बाजारों और विकासशील अर्थव्यवस्थाओं ने भी मजबूती दिखाई है और कई कारण घरेलू हैं. हालांकि हाल के संकेत बताते हैं कि इन अर्थव्यवस्थाओं का भविष्य भी कुछ हद तक अनिश्चित और नाजुक बना हुआ है.' रिपोर्ट में आगे कहा गया कि बढ़े हुए अमेरिकी टैरिफ बाहरी मांग को सीमित कर रहे हैं और व्यापार नीति में बढ़ती अनिश्चितता, निर्यात आधारित अर्थव्यवस्थाओं में निवेश को प्रभावित कर रही है.
NDTV.in पर ताज़ातरीन ख़बरों को ट्रैक करें, व देश के कोने-कोने से और दुनियाभर से न्यूज़ अपडेट पाएं