इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ मैनेजमेंट-अहमदाबाद (IIM-A) की एक कन्स्ट्रक्शन साइट पर काम करने वाले कुछ प्रवासी मजदूरों ने टॉप के इस बिजनेस-स्कूल के मैनेजमेंट को लीगल नोटिस भेजा है. मजदूरों का आरोप है कि मैनेजमेंट ने कोविड-19 महामारी के चलते लागू लॉकडाउन के दौरान उन्हें दो महीनों का वेतन नहीं दिया है. स्कूल के मैनेजमेंट ने इन आरोपों को खारिज किया है. सोमवार को इस मुद्दे को लेकर संस्थान के पास इकट्ठा हुए मजदूरों की पुलिस के साथ झड़प भी हुई थी. इस दौरान मजदूरों ने पुलिस और रास्ते में गुजर रही गाड़ियों पर पथराव किया था.
न्यूज एजेंसी PTI ने अधिकारियों के हवाले से बताया कि घटना के दौरान लगभग 100 मजदूर IIM-अहमदाबाद के पास एक व्यस्त रोड पर इकट्ठा हो गए थे और मांग कर रहे थे कि उन्हें तुरंत उनके घर भेजा जाए. इस दौरान उन्होंने पुलिस पर और पास गुजर रही गाड़ियों पर पत्थर भी फेंके. पुलिस ने भीड़ को तितर-बितर करने के लिए उनपर आंसूगैस के गोले छोड़े और लगभग 100 लोगों को गिरफ्तार कर लिया. इसके अलावा घटना को कंट्रोल में लेने के लिए वरिष्ठ अफसरों सहित बड़ी पुलिस फोर्स भी बुलाई गई.
पास की लेबर कॉलोनी में रह रहे स्थानीय लोगों ने दावा किया कि ये प्रवासी मजदूर अचानक से रोड पर आ गए और मांग करने लगे कि उन्हें उनके घर जाने की अनुमति दी जाए. एक वरिष्ठ पुलिस अधिकारी अमित विश्वकर्मा ने कहा कि ये प्रवासी मजदूर पिछले कई दिनों से लोकल अथॉरिटी से अपने-अपने गृह राज्य जल्द से जल्द भेजे जाने की मांग कर रहे हैं.
इसके एक दिन बाद ही मजदूरों की ओर से IIM-अहमदाबाद के डायरेक्टर, गुजरात के मुख्य सचिव, अतिरिक्त मुख्य सचिव और डिप्टी लेबर कमिश्नर को लीगल नोटिस भेजा गया है, जिसमें मजदूरों के वकील की तरफ से दावा किया गया है कि पुलिस ने कई मजदूरों को हिरासत में लिया है और कुछ को बुरी तरह पीटा है. यह भी कहा गया है कि हिरासत में लिए गए दो मजदूरों में कोरोनावायरस का इंफेक्शन मिला है.
वकील आनंदवर्धन जे याज्ञनिक ने अपने नोटिस में कहा है, ‘ये आपके ध्यान में लाने के लिए है कि..... IIM-अहमदाबाद जो कि मामले में प्रमुख नियोक्ता (Principal Employer) है, ने मजदूरों को दो महीनों से उनका वेतन नहीं दिया है, जबकि केंद्र सरकार की ओर से निर्देश हैं कि लॉकडाउन के बावजूद लोगों को उनकी वेतन दी जानी है.
याज्ञनिक ने बताया कि संस्थान के कैंपस में बन रही बिल्डिंग के कन्स्ट्रक्शन साइट पर कुछ 20 बच्चे और 30 महिला मजदूर रह रहे हैं और उनका आरोप है कि श्रम कानून के तहत उनको किसी तरह की सुविधा उपलब्ध नहीं कराई गई है.
Times of India से बातचीत करते हुए IIM- अहमदाबाद की डायरेक्टर एरल डी'सूज़ा ने कहा, ‘सभी मजदूरों को उनका बकाया चुका दिया गया है. सोमवार को हुई घटना के पीछे मुख्य वजह राज्य सरकार की ओर से उनके ट्रैवल परमिट और ट्रांसपोर्टेशन की व्यवस्था को लेकर हो रही देरी है.'
बता दें कि केंद्र सरकार ने कहा है कि लॉकडाउन के दौरान सभी मजदूरों को उनका पूरा वेतन देना होगा. हालांकि, लॉकडाउन के बीच बड़े शहरों में तंगहाली में रहने वाले प्रवासी मजदूर अपने घर लौटने की ज़द्दोजहद में लगे हुए हैं. हजारों की संख्या में बड़े शहरों से मज़दूर जैसे-तैसे करके अपने घरों की ओर पैदल ही निकल रहे हैं.
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