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This Article is From Nov 21, 2018

सूचना आयोग में पद खाली होना गंभीर, लटके रहेंगे आरटीआई के आवेदन : आचार्युलु

केंद्रीय सूचना आयोग में मुख्य सूचना आयुक्त समेत 11 आयुक्त होने चाहिए लेकिन अब तीन रह जाएंगे

सूचना आयोग में पद खाली होना गंभीर, लटके रहेंगे आरटीआई के आवेदन : आचार्युलु
प्रतीकात्मक फोटो.
नई दिल्ली: मंगलवार को सूचना आयुक्त श्रीधर आचार्युलू रिटायर हो गए. उनकी जगह कौन लेगा, इस पर फैसला नहीं हुआ है.
महीने के अंत तक कुल चार सूचना आयुक्त रिटायर हो रहे हैं. एनडीटीवी से खास बातचीत में श्रीधर आचार्युलू ने कहा, "केंद्रीय सूचना आयोग में वैकेंसी एक गंभीर बात है. इन वैकेंसी की वजह से आरटीई आवेदनों की पेंडेंसी बढ़ जाएगी और आम लोगों को इनफार्मेशन जस्टिस समय पर नहीं मिलेगा.''

उन्होंने कहा कि अगर एक सूचना आयुक्त एक दिन में 20 केसों की सुनवाई नहीं करता है तो सीआईसी 2250 केसों की सुनवाई एक दिन में कर सकता है जो वैकेंसियों की वजह से संभव नहीं हो रही हैं.

केंद्रीय सूचना आयोग में मुख्य सूचना आयुक्त समेत 11 सूचना आयुक्त होने चाहिए लेकिन इसके बाद बस तीन रह जाएंगे. लेकिन सरकार ने समय रहते इनके विकल्प नहीं खोजे. श्रीधर आचार्युलू कहते हैं, "सरकार को जल्दी से जल्दी इन वैकेंसियों को भरना होगा. सबको पता है कि सीआईसी में कौन कौन कब रिटायर हो रहा है.''

एक्टिविस्ट अंजली भारद्वाज ने इसी महीने 12 नवंबर को RTI के ज़रिए सरकार से जानकारी मांगी तो सरकार ने जवाब देने से इनकार कर दिया. अंजली भारद्वाज ने RTI के ज़रिए पूछा कि जुलाई 2018 में केंद्रीय सूचना आयोग में सूचना आयुक्तों की नियुक्ति के लिए आवेदन मांगे गए थे, सरकार आवेदन करने वालों के नाम बताए और ये भी जानकारी दे कि कितने लोगों ने आवेदन किया? सरकार ने जवाब देने से मना कर दिया.

इससे पहले अंजली भारद्वाज सुप्रीम कोर्ट में केंद्रीय सूचना आयोग में वेकेंसी के मसले पर PIL फाइल कर चुकी हैं. और अब जल्दी ही इस बारे में कोर्ट से जल्दी सुनवाई की गुज़ारिश करने वाली हैं. दरअसल इन रिक्तियों का सीधा असर केंद्रीय सूचना आयोग में लंबित पड़े मामलों पर पड़ेगा.

सूचना आयोगों के कामकाज पर मार्च 2018 में सेन्टर फार इक्विटी स्टडीज़ और सतर्क नागरिक संगठन ने एक रिपोर्ट जारी की. रिपोर्ट में न सिर्फ केंद्रीय सूचना आयोग बल्कि पूरे देश में 23 राज्यों के सूचना आयोगों में रिक्त पड़े पदों पर सवाल उठाए गए हैं.

RTI कानून को सही तरीके से लागू करने के रास्ते में सबसे बड़ी अड़चन सूचना आयोग ही हैं. 31 अक्टूबर, 2017 तक देश के 23 सूचना आयोगों में 1,99,186 अपील और शिकायतें लंबित थीं. आंध प्रदेश, बिहार, झारखंड, मध्यप्रदेश, राजस्थान और तमिलनाडु ने लंबित पड़े मामलों पर कोई जानकारी नहीं दी.

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