अमरावती से निर्दलीय सांसद नवनीत राणा ने दिल्ली पहुंचने के बाद आज एनडीटीवी से खास बातचीत में कहा कि, ''महाराष्ट्र की लड़ाई से ज्यादा यह मेरे भगवान की लड़ाई है आज मैं जनता से जरूर कहना चाहूंगी कि हनुमान चालीसा पढ़ना यदि देशद्रोह है तो मुझे बेल ही नहीं मिलनी चाहिए. अगर यह देशद्रोह है तो मेरी लाश ही जेल से आनी चाहिए. मुझे लगता है कि इनको (महाराष्ट्र सरकार) लगा कि एक महिला को 14 दिन जेल में रखने से महिला शांत हो जाएगी. मैं भारत देश की नागरिक हूं, देश की महिला हूं, मैं झुकने वालों में से नहीं हूं.'' नवनीत राणा और उनके पति विधायक रवि राणा को मुंबई में सीएम उद्धव ठाकरे के निवास के सामने हनुमान चालीसा का पाठ करने का ऐलान करने के बाद गिरफ्तार किया गया था. राणा दंपति को कोर्ट ने जमानत दे दी है.
नवनीत राणा ने कहा कि ''मुझे लगता है कि जो अधिकार हमें मिले हैं, मेरे लोगों ने जो मुझे दिए हैं, अगर कोई व्यक्ति काम नहीं करता है तो उसकी आलोचना करना मेरा कर्तव्य है. यह अधिकार मुझे बाबासाहेब ने दिया है. मैंने अधिकार का इस्तेमाल किया है और आगे भी करूंगी. यह मेरा अधिकार है. मेरे बोलने पर कोई बंदिश नही लगा सकता.''
निर्दलीय सांसद नवनीत राणा ने कहा कि ''मुझे लगता है कि अब उन्हें यह जरूर दिखाना पड़ रहा है कि बीजेपी के बहुत सारे मेंबर हैं, उन्हें नवनीत राणा के सहारे की जरूरत नहीं है. मोदी जी पूरी दुनिया में फेमस हैं. मेरे कहने ना कहने से ज्यादा फर्क नहीं पड़ेगा. मैं भगवान के नारे पर आकर लड़ाई लड़ रही हूं. मुझे किसी के इशारे या सहारे की जरूरत नहीं है.''
उन्होंने कहा कि ''मैंने कोर्ट की शर्तों का कोई उल्लंघन नहीं किया है. मैंने उस मुद्दे पर कोई बात नहीं की है जिस पर कोर्ट ने बात नहीं करने को कहा है. हम कोर्ट का पूरा सम्मान करते हैं, इसमें कोई संदेह नहीं है. उसके बाद जो मेरे पास अधिकार हैं उनका मैं इस्तेमाल कर रही हूं.''
नवनीत राणा ने कहा कि ''मैं आज लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला जी से 5:30 बजे मिलूंगी. मेरे साथ जो अन्याय हुआ है, जो पीड़ा मिली है, उन्हें सारी बात बताऊंगी, उनको पूरी जानकारी दूंगी. पुलिस कमिश्नर संजय पांडे के पर जो कार्रवाई होनी चाहिए उस बारे में बात करूंगी. सेंट्रल एजेंसी के जरिए इस मामले की जांच होनी चाहिए. मैं गृह मंत्री से समय मांगूंगी. पीएम और गृह मंत्री हमारे मुख्यमंत्री की तरह नहीं हैं जो दो साल तक मुख्यमंत्री कार्यालय में नहीं जाते हैं, वह देश की भलाई के लिए काम करते हैं. समय मिलेगा तो मैं जरूर उन तक अपनी पीड़ा पहुंचाऊंगी.''
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