नई दिल्ली:
नेपाल जैसा भूकंप दिल्ली में आने पर शहर के 90 फीसदी लोगों के मारे जाने की आशंका जताने वाली एक रिपोर्ट को गंभीरता से लेते हुए दिल्ली हाईकोर्ट ने केंद्र, दिल्ली सरकार और नगर निगमों की जमकर खिंचाई की और कहा कि वे आपदा का इंतजार कर रहे हैं क्योंकि राजधानी में महज 10-15 फीसदी इमारतें ही निर्माण के नियमों के मुताबिक बनाई गई हैं।
न्यायमूर्ति बदर अहमद और न्यायमूर्ति संजीव सचदेव की पीठ ने कहा, ‘‘एक हलफनामे के जरिए खतरनाक हालात का खुलासा हुआ कि दिल्ली नगर निगमों के इलाकों में 25 फीसदी इमारतें नियोजित या स्वीकृत इलाकों में आती हैं जबकि 75 फीसदी इलाका अनियोजित एवं अनधिकृत है।’’
पीठ ने कहा, ‘‘इस 25 फीसदी में लोग बाद में और निर्माण करते हैं जो कानून के मुताबिक स्वीकार्य नहीं है। इसका मतलब है कि महज 10 से 15 फीसदी निर्माण के नियमों का पालन करते हैं।’’
अदालत ने कहा, ‘‘यह खतरनाक स्थिति है और संबंधित संस्थाएं (केंद्र, दिल्ली सरकार और नगर निगम) आपदा होने का इंतजार कर रही हैं।’’
न्यायमूर्ति बदर अहमद और न्यायमूर्ति संजीव सचदेव की पीठ ने कहा, ‘‘एक हलफनामे के जरिए खतरनाक हालात का खुलासा हुआ कि दिल्ली नगर निगमों के इलाकों में 25 फीसदी इमारतें नियोजित या स्वीकृत इलाकों में आती हैं जबकि 75 फीसदी इलाका अनियोजित एवं अनधिकृत है।’’
पीठ ने कहा, ‘‘इस 25 फीसदी में लोग बाद में और निर्माण करते हैं जो कानून के मुताबिक स्वीकार्य नहीं है। इसका मतलब है कि महज 10 से 15 फीसदी निर्माण के नियमों का पालन करते हैं।’’
अदालत ने कहा, ‘‘यह खतरनाक स्थिति है और संबंधित संस्थाएं (केंद्र, दिल्ली सरकार और नगर निगम) आपदा होने का इंतजार कर रही हैं।’’
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