देश में सीमांत और छोटे किसानों को लेकर चिंता व्यक्त करते हुए भारत के प्रधान न्यायाधीश (सीजेआई) एचएल दत्तू ने शनिवार को कहा कि अगर राज्य सरकारें कृषि भूमि का कम से कम अधिग्रहण करे और उसे कंपनियों को नहीं सौंपे तो यह कृषि समुदाय के लिए 'बेहद उपयोगी' होगा। इसके साथ ही उन्होंने किसानों को उचित मुआवजा दिए जाने पर भी जोर दिया।
निरमा विश्वविद्यालय में एक सम्मेलन को संबोधित करते हुए सीजेआई ने कहा 'किसान समुदाय पर जलवायु परिवर्तन के असर की चर्चा किए जाने के अलावा इस बात पर भी विचार किया जाना चाहिए कि सत्तारूढ़ पार्टी किस प्रकार किसानों के लिए मददगार हो सकती है। मेरे विचार में, राज्य सरकारें जो कृषि भूमि कंपनियों को देने के लिए अधिग्रहित करती है, अगर उसे कम से कम किया जाए तो कृषि समुदाय को बहुत हद तक मदद मिलेगी।'
उन्होंने कहा '... मैं यह सिर्फ इसलिए कह रहा हूं कि इसका एकमात्र कारण किसानों का इन भूमि पर निर्भर होना है, यह उनकी आजीविका है। हां, आप ऐसा कर सकते हैं क्योंकि आप एक संप्रभु राज्य में हैं, लेकिन जब आप ऐसा करते हैं तो आप उन्हें (किसानों) को न सिर्फ उचित मुआवजा दें बल्कि मुआवजा से कुछ ज्यादा दें।'
वह 'जलवायु न्याय पहल सुदृढीकरण : स्थानीय स्तर पर किसानों पर केन्द्रित आजीविका संबंधी चुनौतियां' विषय पर संबोधित कर रहे थे।
इस मौके पर गुजरात उच्च न्यायालय के कई न्यायाधीश और राज्य में मंत्री भूपेन्द्रसिंह चुडासमा भी उपस्थित थे।
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