भारतीय अनुसंधान परिषद (ICMR) के वरिष्ठ वैज्ञानिक रमन आर गंगाखेडकर ने कहा है कि लॉकडाउन का फैसला और उसका जो समर्थन मिला है, उसने बीमारी फैलने से रोका है. NDTV से बातचीत में उन्होंने कहा कि अगर सही से लड़ना है तो सामान्य बीमारी सर्दी खांसी, बुखार में घर से निकलने से बचे हैं, अस्पताल और दवाई की दुकान तक भी न जाएं. सोशल डिस्टैसिंग (लोगों और भीड़ से दूरी) एक कारगर तरीका है. इसको करना ही चाहिए. उन्होंने कहा कि दवा को लेकर लेकर अभी रिसर्च जारी है लेकिन अभी कुछ भी बोलना ठीक नहीं है. सरकार काम कर रही है और रिसर्च जारी है. उन्होंने अपील करते हुए कहा कि ज़िम्मेदार बनिये लोगों से अपील है. उन्होंने उम्मीद जताई कि रैपिड टेस्टिंग एक हफ्ते में शुरू हो जाना चाहिये. लेकिन सभी लोग घर में भी रहें तो परिवार के सदस्यों के बीच भी दूरी बनाकर रखें. उन्होंने कहा कि सोशल डिस्टैंसिंग के लिए सिर्फ तीन हफ्ते का समय मांग रहे हैं. इसीलिए तीन हफ्ते के लिए सीमाएं सील कर दी गई हैं. बाहर से लोग अब नहीं आ रहे हैं. उन्होंने कहा, 'तीन हफ्ता इसलिए कि पहला हफ्ते लॉक डाउन लोगों में इस बीमारी के रजिस्टेंट का डर रहता है. दूसरे हफ्ता इनक्यूबेश का रहता है. जिसमें मरीज आइसोलेट करते हैं. हालांकि ज़रूरी नहीं की तीन हफ्ता लगना ही लगना है. 2 हफ्ता आप अपना ख्याल रखो. आम तौर पर तीन हफ्ते में सब ठीक हो जाएगा.
उधर केंद्र ने राज्य सरकारों से कहा है कि वे कोरोना वायरस के प्रसार को रोकने के लिये बंद (लॉकडाउन) का सख्ती से पालन सुनिश्चित करें और इसका उल्लंघन करने वालों के खिलाफ कानूनी कार्रवाई करें. एक आधिकारिक बयान में सोमवार को यह जानकारी दी गई. केंद्र और राज्य सरकारों ने रविवार को देश भर के ऐसे 80 जिलों को 31 मार्च तक पूर्ण बंद करने का फैसला किया था जहां कोरोना वायरस से संक्रमण के मामले सामने आए हैं.
खतरनाक कोविड-19 के प्रसार को रोकने के मद्देनजर यह सहमति बनी थी कि गैर जरूरी यात्री परिवहन को तत्काल प्रतिबंधित करने की आवश्यकता है. दिल्ली में 23 मार्च सुबह छह बजे से 31 मार्च की मध्यरात्रि तक बंदी रहेगी. कुछ अन्य प्रदेशों ने भी बंद को लागू किया है.
बंद के दौरान दिल्ली की सीमाएं सील रहेंगी, हालांकि स्वास्थ्य, खाद्य सामग्री, पानी और बिजली आपूर्ति जैसी आवश्यक सेवाएं जारी रहेंगी। बंद के दौरान आवश्यक सेवाओं से जुड़े लोगों की आवाजाही सुनिश्चित करने के लिये डीटीसी की 25 प्रतिशत बसें भी सड़कों पर रहेंगी.
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सोमवार को इससे पहले राज्य सरकारों से अनुरोध किया कि वे यह सुनिश्चित करें कि कोरोना वायरस के बंद से जुड़े नियम-कायदों का सख्ती से पालन हो, क्योंकि उन्होंने यह नोट किया कि बहुत से लोग इन उपायों को गंभीरता से नहीं ले रहे हैं.
उन्होंने एक ट्वीट में कहा, “लॉकडाउन को कई लोग अब भी गंभीरता से नहीं ले रहे हैं। कृपया करके अपने आप को बचायें, अपने परिवार को बचायें, निर्देशों का गंभीरता से पालन करें। राज्य सरकारों से मेरा अनुरोध है कि वे नियम और कानूनों का पालन करवाएं.” (इनपुट भाषा से भी)
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