केंद्रीय मंत्री अर्जुन राम मेघवाल से मिलते आईसीएआई के प्रमुख देवराजा रेड्डी
नई दिल्ली:
देश में नोटबंदी पर जहां विपक्षी राजनीतिक दल नरेंद्र मोदी सरकार को संसद से लेकर सड़क तक घेरने की कोशिश में लगे हैं, वहीं देश में चार्टर्ड अकाउंटेट्स की सर्वोच्च संस्था ने कालेधन को सफेद बनाने में कुछ सीए के नाम सामने आने पर अपना मंतव्य साफ कर दिया है यानि सीए की सर्वोच्च संस्था आईसीएआई भी नोटबंदी के बाद बयानबाजी के दलदल में कूद पड़ी है.
शनिवार को जारी एक सलाह में संस्था ने साफ कर दिया है कि वह नोटबंदी पर सरकार के कदम के साथ है और कहा है कि सरकार का यह कदम साहसिक है और देश की अर्थव्यवस्था की मजबूती के लिए काफी सहायक होगा. इतना ही संस्थान ने अपने बयान में कहा है कि संस्था यह मानती है कि इससे भ्रष्टाचार के साथ-साथ कालाधन को समाप्त करने में मदद मिलेगी.
चार्टर्ड अकाउंटेंट्स के संस्था ने कहा है कि इससे देशद्रोहियों की गतिविधियों पर भी रोक लगेगी और सरहद पर से हो रहे जाली नोटों के कारोबार पर भी रोक लगेगी.
संस्था की ओर जारी सलाहकारी बयान में कहा गया है कि अभी तक छह सीए के खिलाफ शिकायत आईं हैं जिनमें से चार के खिलाफ नोटिस जारी कर सफाई देने को कहा गया है. संस्था ने सभी सदस्यों से कहा कि आईसीएआई के कोड ऑफ कंडक्ट के नियमों का पालन करें. संस्था ने बताया है कि एक मामले में आयकर आयुक्त पुणे और दूसरे मामले में आयकर आयुक्त अहमदाबाद से जानकारी मांगी गई है.
द इंस्टीट्यूट ऑफ चार्टर्ड अकाउंटेंट्स ऑफ इंडिया (आईसीएआई) ने अपने सदस्यों को एडवायजरी जारी कर कहा कि नोटबंदी के फैसले की आलोचना करने से बचें. संस्था की ओर से जारी सलाह में कहा गया है, 'सभी सदस्यों को सलाह दी जाती है कि नोटबंदी को लेकर अपने क्लाइंट को राय देने और किसी अन्य प्लेटफॉर्म पर विचार व्यक्त करने को लेकर सावधान रहें.' सलाह के अनुसार, 'सदस्यों को कड़ाई से सूचित किया जाता है कि वे गलत कामों में शामिल न हो और न ही नोटबंदी को लेकर लेख या साक्षात्कार के जरिए नकारात्मक बयान न दें.”
बता दें कि कुछ जगह पर यह भी रिपोर्ट आई है कि कुछ सीए ने संस्था की इस एडवाइजरी का विरोध किया है और कहा है कि यह उनके संविधान प्रदत्त अधिकारों का हनन है. कहा तो यह भी गया कि विरोध के बाद संस्थान ने अपनी एडवाइजरी वापस ले ली. लेकिन सोमवार दोपहर 12 बजे तक संस्थान की साइट पर यह नोटिस बाकायदा दिया गया है और इससे जुड़ा कोई अपडेट जारी नहीं किया गया है.
शनिवार को जारी एक सलाह में संस्था ने साफ कर दिया है कि वह नोटबंदी पर सरकार के कदम के साथ है और कहा है कि सरकार का यह कदम साहसिक है और देश की अर्थव्यवस्था की मजबूती के लिए काफी सहायक होगा. इतना ही संस्थान ने अपने बयान में कहा है कि संस्था यह मानती है कि इससे भ्रष्टाचार के साथ-साथ कालाधन को समाप्त करने में मदद मिलेगी.
चार्टर्ड अकाउंटेंट्स के संस्था ने कहा है कि इससे देशद्रोहियों की गतिविधियों पर भी रोक लगेगी और सरहद पर से हो रहे जाली नोटों के कारोबार पर भी रोक लगेगी.
संस्था की ओर जारी सलाहकारी बयान में कहा गया है कि अभी तक छह सीए के खिलाफ शिकायत आईं हैं जिनमें से चार के खिलाफ नोटिस जारी कर सफाई देने को कहा गया है. संस्था ने सभी सदस्यों से कहा कि आईसीएआई के कोड ऑफ कंडक्ट के नियमों का पालन करें. संस्था ने बताया है कि एक मामले में आयकर आयुक्त पुणे और दूसरे मामले में आयकर आयुक्त अहमदाबाद से जानकारी मांगी गई है.
द इंस्टीट्यूट ऑफ चार्टर्ड अकाउंटेंट्स ऑफ इंडिया (आईसीएआई) ने अपने सदस्यों को एडवायजरी जारी कर कहा कि नोटबंदी के फैसले की आलोचना करने से बचें. संस्था की ओर से जारी सलाह में कहा गया है, 'सभी सदस्यों को सलाह दी जाती है कि नोटबंदी को लेकर अपने क्लाइंट को राय देने और किसी अन्य प्लेटफॉर्म पर विचार व्यक्त करने को लेकर सावधान रहें.' सलाह के अनुसार, 'सदस्यों को कड़ाई से सूचित किया जाता है कि वे गलत कामों में शामिल न हो और न ही नोटबंदी को लेकर लेख या साक्षात्कार के जरिए नकारात्मक बयान न दें.”
बता दें कि कुछ जगह पर यह भी रिपोर्ट आई है कि कुछ सीए ने संस्था की इस एडवाइजरी का विरोध किया है और कहा है कि यह उनके संविधान प्रदत्त अधिकारों का हनन है. कहा तो यह भी गया कि विरोध के बाद संस्थान ने अपनी एडवाइजरी वापस ले ली. लेकिन सोमवार दोपहर 12 बजे तक संस्थान की साइट पर यह नोटिस बाकायदा दिया गया है और इससे जुड़ा कोई अपडेट जारी नहीं किया गया है.
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