समाजवादी पार्टी नेता नरेश अग्रवाल ने कहा कि सोनिया गांधी को दो और चिट्ठी लिखनी चाहिए। एक हरियाणा सरकार को जहां उनके दामाद रॉबर्ट वाड्रा के खिलाफ कार्रवाई करने पर आईएएस अशोक खेमका के राज्य सरकार ने कार्रवाई की।
                                            
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                                                                                नई दिल्ली: 
                                        एसडीएम दुर्गाशक्ति नागपाल के निलंबन के मामले में सोनिया गांधी ने पीएम मनमोहन सिंह को चिट्ठी लिखी है। सोनिया गांधी ने निलंबन के तरीके पर चिन्ता जताते हुए पीएम से अपील की है कि सरकार को सुनिश्चित करना चाहिए कि किसी अधिकारी के साथ नाइंसाफी न हो।  
अखबारों में आ रही रिपोर्ट के मुताबिक अपनी डूटी पर तैनात एक अफसर के जरिये कुछ लोगों ने अपना स्वार्थ साधने की कोशिश की है जिसे लेकर चिंता जताई जा रही है। हमें इस बात का भरोसा दिलाना होगा कि उस अफसर के साथ कोई अन्याय नहीं हो और अधिकारी बगैर किसी डर या पक्षपात के अपना काम कर सकें।
ये चिट्ठी सोनिया गांधी ने प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह को ग्रेटर नोएडा की सस्पेंड हुई एसडीएम दुर्गा नागपाल को लेकर उठे बवाल को देखते हुए लिखा है, ताकि सियासी साजिश की शिकार हुई एक ईमानदार अफसर को राहत मिल सके।
लेकिन, इसके जवाब में यूपी की सत्ताधारी समाजवादी पार्टी ने कोई कदम उठाने की बजाय उल्टे सोनिया पर ही हमला बोल दिया। समाजवादी पार्टी नेता नरेश अग्रवाल ने कहा कि सोनिया गांधी को दो और चिट्ठी लिखनी चाहिए। एक हरियाणा सरकार को जहां उनके दामाद रॉबर्ट वाड्रा के खिलाफ कार्रवाई करने पर आईएएस अशोक खेमका के राज्य सरकार ने कार्रवाई की। और दूसरी चिट्ठी राजस्थान सरकार को जिसने दो आईएएस अफसरों को भू-माफिया के खिलाफ कार्रवाई करने पर निलंबित किया।
इतना ही नहीं अभी तक दुर्गाशक्ति से सहानुभूति दिखा रही बीजेपी भी सोनिया की चिट्ठी को महज एक कागजी कार्रवाई मानती है और समाजवादी पार्टी से उसके रिश्तों पर सवाल उठा रही है। पार्टी प्रमुख राजनाथ सिंह ने कहा कि सोनिया गांधी को चिट्ठी लिखने के बजाय मौखिक रूप से यह कहना चाहिए था।
ऐसे में सवाल है कि क्या इन सियासी बयानबाजियों के बीच एक अफसर को वक्त पर इंसाफ मिल पाएगा।
                                                                        
                                    
                                अखबारों में आ रही रिपोर्ट के मुताबिक अपनी डूटी पर तैनात एक अफसर के जरिये कुछ लोगों ने अपना स्वार्थ साधने की कोशिश की है जिसे लेकर चिंता जताई जा रही है। हमें इस बात का भरोसा दिलाना होगा कि उस अफसर के साथ कोई अन्याय नहीं हो और अधिकारी बगैर किसी डर या पक्षपात के अपना काम कर सकें।
ये चिट्ठी सोनिया गांधी ने प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह को ग्रेटर नोएडा की सस्पेंड हुई एसडीएम दुर्गा नागपाल को लेकर उठे बवाल को देखते हुए लिखा है, ताकि सियासी साजिश की शिकार हुई एक ईमानदार अफसर को राहत मिल सके।
लेकिन, इसके जवाब में यूपी की सत्ताधारी समाजवादी पार्टी ने कोई कदम उठाने की बजाय उल्टे सोनिया पर ही हमला बोल दिया। समाजवादी पार्टी नेता नरेश अग्रवाल ने कहा कि सोनिया गांधी को दो और चिट्ठी लिखनी चाहिए। एक हरियाणा सरकार को जहां उनके दामाद रॉबर्ट वाड्रा के खिलाफ कार्रवाई करने पर आईएएस अशोक खेमका के राज्य सरकार ने कार्रवाई की। और दूसरी चिट्ठी राजस्थान सरकार को जिसने दो आईएएस अफसरों को भू-माफिया के खिलाफ कार्रवाई करने पर निलंबित किया।
इतना ही नहीं अभी तक दुर्गाशक्ति से सहानुभूति दिखा रही बीजेपी भी सोनिया की चिट्ठी को महज एक कागजी कार्रवाई मानती है और समाजवादी पार्टी से उसके रिश्तों पर सवाल उठा रही है। पार्टी प्रमुख राजनाथ सिंह ने कहा कि सोनिया गांधी को चिट्ठी लिखने के बजाय मौखिक रूप से यह कहना चाहिए था।
ऐसे में सवाल है कि क्या इन सियासी बयानबाजियों के बीच एक अफसर को वक्त पर इंसाफ मिल पाएगा।
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                                        दुर्गा शक्ति नागपाल, सोनिया गांधी, अखिलेश यादव सरकार, उत्तर प्रदेश सरकार, रेत माफिया, नरेश अग्रवाल, सपा, IAS Officer Durga Shakti Nagpal, Anti-sand Mafia Campaign In UP, Sonia Gandhi, Naresh Agrawal, Samajwadi Party
                            
                        