महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे ने बुधवार को कहा कि वह ‘‘सेवक'' हैं और उनकी सरकार महाराष्ट्र के सर्वांगीण विकास के साथ-साथ उसके प्रत्येक नागरिक के कल्याण के लिए प्रतिबद्ध है. शिंदे ने कहा कि अब लोगों के कल्याण के लिए निर्णय लिए जा रहे हैं, जिन्हें ढाई साल पहले लिया जाना चाहिए था, लेकिन ऐसा नहीं हुआ.उन्होंने कहा कि 50 विधायकों (उनके समर्थन में बगावत करने वाले) को एकजुट होकर एक रुख अपनाना पड़ा. मुख्यमंत्री ने यह टिप्पणी शिवसेना प्रमुख उद्धव ठाकरे की मंगलवार को की गई घोषणा के संदर्भ में की जिसमें उन्होंने पार्टी की ओर से भाजपा नीत राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (राजग) की राष्ट्रपति उम्मीदवार द्रौपदी मुर्मू को समर्थन देने की बात की थी.
गुरु पूर्णिमा के मौके पर दिवंगत शिवसेना संस्थापक बाल ठाकरे और अपने राजनीतिक गुरु आनंद दीघे को श्रद्धांजलि अर्पित करने के बाद ठाणे स्थित आनंद आश्रम में संवाददाताओं से बातचीत करते हुए शिंदे ने यह बात कही. राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (राकांपा) अध्यक्ष शरद पवार ने हाल में कहा था कि उनकी इच्छा है कि आगामी चुनाव शिवसेना, राकांपा और कांग्रेस महा विकास आघाड़ी (एमवीए) के तौर पर साथ लड़े. इस बारे में पूछे जाने पर मुख्यमंत्री शिंदे ने कहा, ‘‘ पवार बड़े नेता हैं. मेरे पाले में 50 विधायक हैं, जो मौजूदा समय में (भाजपा के साथ) गठबंधन में हैं. हम सभी राज्य के विकास के लक्ष्य को लेकर बढ़ रहे हैं और हम राजनीति में नहीं पड़ना चाहते हैं.''
उन्होंने कहा, ‘‘मेरी सरकार सुनिश्चित करना चाहती है कि राज्य के लोगों के जीवन में सुधार हो. नागरिकों को एहसास होना चाहिए कि यह उनकी सरकार है. मैं ‘सेवक' हूं और मरते दम तक रहूंगा. मैं दिवंगत शिवसेना सुप्रीमो बाल ठाकरे और आनंद दीघे के दिखाए रास्तों पर उनके सिद्धांतों का अनुपालन करते हुए चलूंगा.'' उद्धव ठाकरे ने राष्ट्रपति पद चुनाव में मुर्मू को समर्थन देने की घोषणा की है और इस बारे में पूछने पर शिंदे ने कहा कि शिवसेना के सांसद ऐसा चाहते थे.
उन्होंने कहा, ‘‘यहां तक हम, 50 (बागी) विधायकों ने मुर्मू का पूरा समर्थन करने का फैसला किया है और इसका सभी स्तर पर सभी द्वारा स्वागत किया गया है. यहां तक उद्धव ठाकरे द्वारा किए गए समर्थन का सभी धड़ों द्वारा स्वागत किया जा रहा है.'' शिंदे ने कहा, ‘‘ लोगों के कल्याण के लिए जिन फैसलों को लिया जाना था, वे अब लिए जा रहे हैं. इन्हें ढाई साल पहले ले लेना चाहिए था. लेकिन, उन्होंने ऐसा नहीं किया. 50 (बागी) विधायकों को एकजुट होकर रुख लेना पड़ा. हमने यह फैसला ले लिया है.''
शिंदे ने यह बात पिछले महीने शिवसेना से बगावत करने वाले विधायकों का संदर्भ देते हुए की. शिवसेना के अधिकतर विधायकों ने पार्टी नेतृत्व से बगावत में उनका साथ दिया था, जिससे राज्य की महा विकास आघाड़ी सरकार गिर गई थी और उद्धव ठाकरे ने 29 जून को मुख्यमंत्री पद से त्यागपत्र दे दिया था. शिंदे ने कहा, ‘‘50 विधायकों द्वारा अपनाए गए रुख का पूरे राज्य से समर्थन मिला. यहां तक कि हाल में पंढरपुर की यात्रा के दौरान अषाढ़ी एकादशी होने की वजह से करीब 10 लाख लोग जमा थे और उन्होंने भव्य स्वागत किया. मैं स्वतंत्र होकर लोगों से मिला और उन्होंने मुझे अपना प्यार दिया.''
शिंदे ने दावा किया गया कि बागियों द्वारा अपनाए गए रुख का पार्टी के पदाधिकारियों, पार्षदों और अन्य सभी ने स्वागत किया है.उन्होंने कहा, ‘‘यहां तक कि आज ही, उल्हासनगर के शिवसेना पार्षदों ने हमारा समर्थन किया और यही स्थिति नासिक और अहमदनगर आदि में है.''मंत्रिमंडल विस्तार के बारे में पूछे जाने पर उन्होंने कहा कि यह 18 जुलाई के बाद हो सकता है, लेकिन विस्तृत जानकारी नहीं दी.
शिंदे शिवसेना सांसद संजय राउत के बयान पर भी कोई सीधा जवाब देने से बचे, जिसमें कहा गया था कि मुर्मू के समर्थन का अभिप्राय भाजपा का समर्थन नहीं है. उन्होंने कहा कि उनके गुट के प्रवक्ता दीपक कासेरकर राजग द्वारा राष्ट्रपति चुनाव को लेकर बुलाई गई बैठक में हिस्सा लेने के लिए दिल्ली गए हैं.
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