प्रतीकात्मक तस्वीर
नई दिल्ली:
सरदार सरोवर बांध प्रोजेक्ट के विस्थापितों को सुप्रीम कोर्ट से बड़ी राहत मिली है. सुप्रीम कोर्ट ने सरदार सरोवर बांध प्रोजेक्ट को लेकर बुधवार को अहम् सुनवाई की. कोर्ट ने 681 विस्थापित परिवारों को 60 लाख प्रति 2 हेक्टेयर के हिसाब से मुआवजा देने के आदेश दिए हैं. सरकार पहले 5.58 रुपये प्रति 2 हेक्टेयर के हिसाब से मुआवजा दे रही थी. नर्मदा घाटी विकास प्राधिकरण (NVDA) विस्थापित परिवारों के मुआवजे के पैसे ग्रीवांस रिड्रेसल अथॉरिटी को देगा. 2 महीने के भीतर ग्रीवांस रिड्रेसल अथॉरिटी ये पैसा विस्थापित परिवारों को देगी. कोर्ट के आदेश के अनुसार 31 जुलाई तक विस्थापित परिवारों को प्रोजेक्ट की जमीन को छोड़ना होगा (जो हिस्सा जलमग्न हो जायेगा).
1358 विस्थापित दूसरे परिवारों को 15 लाख रुपये के हिसाब से प्रति परिवार मुआवजा मिलेगा. उन 1358 विस्थापित परिवारों को जो पहले मुआवजा मिल चुका है वो 15 लाख रुपये में से घटा दिया जाएगा. इस तरह कोर्ट ने सभी लंबित मामलों का निस्तारण कर दिया. पिछली सुनवाई में कोर्ट ने कहा था कि कानूनी मसले से कोई हल नहीं निकलेगा. इससे ना तो उन लोगों का फायदा होगा जिनकी जमीन चली गई है और ना ही सरकार को. यहां तक कि सरदार सरोवर बांध की ऊंचाई का काम पूरा हो चुका है लेकिन उसका असर नहीं दिख रहा. बेहतर ये होगा कि राज्य सरकार और नर्मदा बचाओ आंदोलन कोई योजना और प्रैक्टिकल समाधान लेकर कोर्ट आएं.
कोर्ट ने कहा था कि एक कमेटी के लिए नाम सुझाएं जो वर्तमान दर से मुआवजा तय करे. दरअसल सुप्रीम कोर्ट नर्मदा बचाओ आंदोलन की याचिका की सुनवाई कर रहा है जिसमें बांध के लिए जमीने खो देने वाले लोगों के लिए राहत और पुनर्वास के आदेश देने की मांग की गई है. मुख्य न्यायाधीश जेएस खेहर ने कहा कि इस तरह मुकदमेबाजी से कुछ नहीं होगा. इसके लिए प्रैक्टिकल समाधान खोजने की जरुरत है.
हालांकि राज्य सरकार की ओर से कहा गया कि काफी लोग जमीन लेने को तैयार नहीं हैं. लेकिन कोर्ट ने कहा कि सरकार लोगों को बंजर जमीन नहीं दे सकती. या तो सरकार लोगों को दुगना मुआवजा देने की व्यवस्था करे. दरअसल सरदार सरोवर बांध की ऊंचाई बढ़ाने के काम में गुजरात, महाराष्ट्र और मध्यप्रदेश के करीब 45 हजार लोगों की जमीन ली गई है. इसी को लेकर सुप्रीम कोर्ट में पुनर्वास को लेकर सुनवाई चल रही है.
1358 विस्थापित दूसरे परिवारों को 15 लाख रुपये के हिसाब से प्रति परिवार मुआवजा मिलेगा. उन 1358 विस्थापित परिवारों को जो पहले मुआवजा मिल चुका है वो 15 लाख रुपये में से घटा दिया जाएगा. इस तरह कोर्ट ने सभी लंबित मामलों का निस्तारण कर दिया. पिछली सुनवाई में कोर्ट ने कहा था कि कानूनी मसले से कोई हल नहीं निकलेगा. इससे ना तो उन लोगों का फायदा होगा जिनकी जमीन चली गई है और ना ही सरकार को. यहां तक कि सरदार सरोवर बांध की ऊंचाई का काम पूरा हो चुका है लेकिन उसका असर नहीं दिख रहा. बेहतर ये होगा कि राज्य सरकार और नर्मदा बचाओ आंदोलन कोई योजना और प्रैक्टिकल समाधान लेकर कोर्ट आएं.
कोर्ट ने कहा था कि एक कमेटी के लिए नाम सुझाएं जो वर्तमान दर से मुआवजा तय करे. दरअसल सुप्रीम कोर्ट नर्मदा बचाओ आंदोलन की याचिका की सुनवाई कर रहा है जिसमें बांध के लिए जमीने खो देने वाले लोगों के लिए राहत और पुनर्वास के आदेश देने की मांग की गई है. मुख्य न्यायाधीश जेएस खेहर ने कहा कि इस तरह मुकदमेबाजी से कुछ नहीं होगा. इसके लिए प्रैक्टिकल समाधान खोजने की जरुरत है.
हालांकि राज्य सरकार की ओर से कहा गया कि काफी लोग जमीन लेने को तैयार नहीं हैं. लेकिन कोर्ट ने कहा कि सरकार लोगों को बंजर जमीन नहीं दे सकती. या तो सरकार लोगों को दुगना मुआवजा देने की व्यवस्था करे. दरअसल सरदार सरोवर बांध की ऊंचाई बढ़ाने के काम में गुजरात, महाराष्ट्र और मध्यप्रदेश के करीब 45 हजार लोगों की जमीन ली गई है. इसी को लेकर सुप्रीम कोर्ट में पुनर्वास को लेकर सुनवाई चल रही है.
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