विशाखापट्टनम:
भारतीय नौसेना के अब तक के सबसे बड़े अभ्यास के लिए 50 देशों के जहाज आंध्र प्रदेश के पास तट पर खड़े हैं जिनका निरीक्षण खुद राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी करेंगे। इस निरीक्षण समारोह में भारतीय नौसेना के ही 75 युद्धपोत शामिल होंगे जबकि 24 अंतरराष्ट्रीय युद्धपोत भी इसका हिस्सा होंगे।
लेकिन भारतीय नौसेना की ताकत और शौर्य के प्रदर्शन के लिए डिजाइन किया गया यह कार्यक्रम गंभीर सुरक्षा चिंताओं से भी घिरा है, खासकर पिछले महीने पंजाब के पठानकोट एयरबेस पर हुए आतंकी हमले के बाद से। इस हमले में 7 सैन्यकर्मी शहीद हुए थे। विशाखापट्टनम बंदरगाह पर खड़े इन युद्धपोतों की समीक्षा के लिए शनिवार को खुद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी मौजूद रहेंगे।
नौसेना के सूत्रों के अनुसार, मुख्य चिंता इस बात को लेकर है कि कहीं आतंकी हमला विस्फोटकों से लदी किसी छोटी और तेज नौका के जरिए ना हो।
नौसेना ने जबरदस्त सुरक्षा घेरा तैयार किया है जिसमें बंदरगाह के बाहरी सीमा की निगरानी और रक्षा पनडुब्बियों से की जाएगी। उसके आगे समुद्री टोही विमान बंदरगाह की दिशा में बढ़ने वाले जहाजों और नावों पर नजर रखेंगे। बंदरगाह की आतंरिक सीमा की सुरक्षा तेज चलने वाली अवरोधक नौकाओं के जरिए की जाएगी जिनपर भारी मशीनगन की तैनाती रहेगी। और साथ ही हर युद्धपोत को संभावित सुरक्षा उल्लंघन और अनाधिकार प्रवेश करने वालों को लेकर अलर्ट रहने को कहा गया है।
यह अब तक भारत द्वारा आयोजित दूसरा इंटरनेशनल फ्लीट रिव्यू है जिसका मकसद भारत की नौसैन्य नेतृत्व क्षमता को साबित करना है, ऐसे वक्त में जब चीन हिंद महासागर में अपना प्रभाव बढ़ाता जा रहा है।
विदेशी नौसेनाओं के प्रमुखों की मौजूदगी में भारत को न केवल खुद को बेहतर साबित करना है बल्कि उस अंतरराष्ट्रीय नौसैन्य जमावड़े की सुरक्षा भी सुनिश्चित करनी है जो उसके बुलावे पर यहां पहुंचे हैं।
लेकिन भारतीय नौसेना की ताकत और शौर्य के प्रदर्शन के लिए डिजाइन किया गया यह कार्यक्रम गंभीर सुरक्षा चिंताओं से भी घिरा है, खासकर पिछले महीने पंजाब के पठानकोट एयरबेस पर हुए आतंकी हमले के बाद से। इस हमले में 7 सैन्यकर्मी शहीद हुए थे। विशाखापट्टनम बंदरगाह पर खड़े इन युद्धपोतों की समीक्षा के लिए शनिवार को खुद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी मौजूद रहेंगे।
नौसेना के सूत्रों के अनुसार, मुख्य चिंता इस बात को लेकर है कि कहीं आतंकी हमला विस्फोटकों से लदी किसी छोटी और तेज नौका के जरिए ना हो।
नौसेना ने जबरदस्त सुरक्षा घेरा तैयार किया है जिसमें बंदरगाह के बाहरी सीमा की निगरानी और रक्षा पनडुब्बियों से की जाएगी। उसके आगे समुद्री टोही विमान बंदरगाह की दिशा में बढ़ने वाले जहाजों और नावों पर नजर रखेंगे। बंदरगाह की आतंरिक सीमा की सुरक्षा तेज चलने वाली अवरोधक नौकाओं के जरिए की जाएगी जिनपर भारी मशीनगन की तैनाती रहेगी। और साथ ही हर युद्धपोत को संभावित सुरक्षा उल्लंघन और अनाधिकार प्रवेश करने वालों को लेकर अलर्ट रहने को कहा गया है।
यह अब तक भारत द्वारा आयोजित दूसरा इंटरनेशनल फ्लीट रिव्यू है जिसका मकसद भारत की नौसैन्य नेतृत्व क्षमता को साबित करना है, ऐसे वक्त में जब चीन हिंद महासागर में अपना प्रभाव बढ़ाता जा रहा है।
विदेशी नौसेनाओं के प्रमुखों की मौजूदगी में भारत को न केवल खुद को बेहतर साबित करना है बल्कि उस अंतरराष्ट्रीय नौसैन्य जमावड़े की सुरक्षा भी सुनिश्चित करनी है जो उसके बुलावे पर यहां पहुंचे हैं।
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