
ईरान की तरफ से होर्मुज जलडमरूमध्य (Strait of Hormuz) बंद करने से उबरने के लिए भारत पूरी तरह से तैयार है. भारत कच्चे तेल के आयात के लिए केवल एक स्रोत या मार्ग पर निर्भर नहीं है. पेट्रोलियम मंत्री हरदीप सिंह पुरी के अनुसार, भारत ने पिछले कुछ वर्षों में कच्चे तेल के आयात को डायवर्सीफाई किया है. पुरी ने एक्स प्लेटफॉर्म पर पोस्ट में कहा कि भारतीय तेल कंपनियों के पास कई सप्ताह की तेल आपूर्ति है और भारतीय नागरिकों को तेल आपूर्ति की स्थिरता के लिए सभी कदम उठाए जा रहे हैं.
- भारत पहले 27 देशों से तेल मंगाता था, अब 40 देशों से आयात होता है. भारत प्रतिदिन 5.6 मिलियन बैरल कच्चा तेल आयात करता है. इसमें से करीब 1.5-2 मिलियन बैरल होर्मुज जलडमरूमध्य के रास्ते से आता है. पिछले कुछ वर्षों में पश्चिम एशिया में जबर्दस्त तनाव के बावजूद होर्मुज जलडमरूमध्य का रास्ता बंद नहीं किया गया.
- भारत अब रूस, अमेरिका और ब्राजील से भी कच्चा तेल मंगा रहा है. रूस अपना तेल स्वेज नहर, केप ऑफ गुड होप या प्रशांत महासागर से भेजता है. भारत का 38 प्रतिशत कच्चा तेल रूस से आ रहा है. भारत लिक्विफाइड नेचुरल गैस एलएनजी कतर से आयात करता है और कतर गैस भेजने के लिए होर्मुज जलडमरूमध्य का प्रयोग नहीं करता.
- इसके अलावा भारत के पास एलएनजी आयात के लिए ऑस्ट्रेलिया, अमेरिका और ब्राजील भी विकल्प हैं. भारत ने तेल भंडारण पर जोर दिया है और उसके पास 74 दिनों के लिए पर्याप्त मात्रा में कच्चा तेल है. इसके अलावा स्ट्रेटेजिक पेट्रोलियम रिजर्व 9.5 दिनों का है. पेट्रोलियम मंत्रालय में हर दिन शाम को तेल आपूर्ति और उपलब्धता को लेकर समीक्षा की जा रही है
- एलपीजी की पचास प्रतिशत आपूर्ति घरेलू स्रोतों से है और इसका पर्याप्त भंडार मौजूद है. भारत तेल निर्यात भी करता है और अगर घरेलू मोर्चे पर जरूरत हुई तो निर्यात रोका जा सकता है. अगर होर्मुज जलडमरूमध्य बंद की जाती है तो भारत पश्चिम अफ्रीका और अन्य क्षेत्रों से भी तेल मंगा सकता है. होर्मुज जलडमरूमध्य बंद होने से अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भाड़े और बीमे की लागत बढ़ सकती है लेकिन अंतरराष्ट्रीय तेल बाजार ने इन फैक्टर्स को पहले ही ध्यान में रख लिया है.
- भारत में ओएनजीसी ने 500 कुएं खोदे हैं और भारत के पास अभी 42 बिलियन बैरल का रिजर्व है. अगर अंतरराष्ट्रीय बाजार में कच्चे तेल की कीमत बढ़ती भी है तो भी भारत में पेट्रोल और डीजल के दाम बढ़ने की संभावना नहीं है. बल्कि पिछले तीन साल में तीन बार पेट्रोल के दामों में कटौती की गई है.
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