
- जीएसटी काउंसिल की बैठक में 12 और 28 पर्सेंट के स्लैब को खत्म करने पर विचार किया जा रहा है.
- 12% टैक्स स्लैब को खत्म करके उसकी 99 पर्सेंट चीजें 5 पर्सेंट के स्लैब में रखी जा सकती हैं.
- 28% का स्लैब खत्म करके उसके 90% आइटम 18 पर्सेंट के स्लैब में शिफ्ट किए जा सकते हैं.
इस बार दीवाली की खुशियां दोगुनी हो सकती हैं. दीवाली की खरीदारी जेब पर भारी नहीं पड़ेगी. मोदी सरकार ने इसकी लगभग तैयारी कर ली है. सरकार ने जीएसटी यानी वस्तु एवं सेवा कर के ढांचे में बड़ा बदलाव करने का फैसला किया है. जीएसटी काउंसिल की बैठक में 12 और 28 प्रतिशत का स्लैब खत्म करने पर फैसला किया गया है. इसे 22 सितंबर यानी नवरात्रि से पहले ही लागू कर दिया जाए. आइए बताते हैं कि जीएसटी में ये बदलाव किस तरह बल्ले-बल्ले करने वाले हैं.
अभी मुख्य रूप से चार जीएसटी स्लैब हैं- 5%, 12%, 18% और 28%. सरकार इनमें से 12 और 28 पर्सेंट के स्लैब को खत्म करने का फैसला किया है.
स्लैब घटने से क्या और कितना फायदा
फैसला- 12 पर्सेंट टैक्स स्लैब खत्म करके उसकी 99 पर्सेंट चीजें 5 पर्सेंट के स्लैब में आ सकती हैं.
फायदा- रोजमर्रा की तमाम चीजों पर अभी 12% जीएसटी है. 5 पर्सेंट टैक्स ब्रैकेट में जाने से घी, मक्खन, सरसों तेल, नमक, मेवे, नमकीन आदि, शैंपू, तेल, साबुन, टूथपाउडर, पीने का पानी (20 लीटर), वगैरा सस्ते हो जाएंगे. कुछ जूते व परिधान, दवाएं, मेडिकल उपकरणों के साथ ही स्कूली नोटबुक, मैप, चार्ट और साइकिल, छाते से लेकर हेयर पिन के दाम भी घट सकते हैं. सोलर कुकर जैसे कई पैकेज्ड सामान में भी छूट मिलेगी. होटल में 7500 रुपये तक के कमरों पर भी जीएसटी 12% से घटकर 5% की जा सकती है.
फैसला- 28% का स्लैब खत्म करके उसके 90% आइटम 18 पर्सेंट के स्लैब में शिफ्ट किए जा सकते हैं.
फायदा- हाल के दिनों में महंगे हुए वाइट गुड्स यानी बड़े आकार के घरेलू उपकरण सस्ते हो सकते हैं. एसी, फ्रिज, वॉशिंग मशीन जैसी कई चीजों के दम घट जाएंगे.
फैसला- छोटी कार खरीदने वालों को भी दीवाली गिफ्ट मिल सकता है. कारों पर अभी 28% जीएसटी है. यह स्लैब खत्म हो सकता है.
फायदा- टैक्स घटा तो छोटी कारें सस्ती हो सकती हैं. 1000 सीसी से कम क्षमता वाली, चार मीटर से कम साइज वाली छोटी कारों पर 35 से 40 हजार रुपये तक सस्ती होने की उम्मीद है. कार डीलरों को उम्मीद है कि टैक्स घटने से 15-20 पर्सेंट सेल बढ़ जाएगी,
फैसला- एक नया 40 पर्सेंट का जीएसटी स्लैब बनाया जा सकता है.
असर- छोटी कारों को टैक्स में छूट मिल सकती है, वहीं एसयूवी और लक्जरी कारों को नए 40 पर्सेंट के स्लैब में डाला जा सकता है. इनके अलावा तंबाकू, पान मसाला और सिगरेट जैसी हानिकारक वस्तुओं को भी इस कैटिगरी में रखा जा सकता है. इस श्रेणी के उत्पादों पर एक अतिरिक्त कर भी लगाया जा सकता है.
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किस-किसको होगा फायदा?
- स्लैब घटाने से आम आदमी के साथ-साथ मिडिल क्लास, किसान, महिलाओं, कारोबारियों और उद्योग जगत सभी को फायदा मिलेगा.
- टैक्स का बोझ घटने से अर्थव्यवस्था में नया निवेश और कंजप्शन बढ़ेगा, डिमांड में सुधार होगा. इससे अर्थव्यवस्था और मबूत होगी.
- टैक्स रेट घटने और जीएसटी सिस्टम को सरल बनाने का फायदा ये भी होगा कि जीएसटी टैक्स बेस बढ़ेगा.
किस स्लैब से कितनी कमाई
- पिछले 8 साल में GST के कुल कलेक्शन का सबसे ज़्यादा 67% रेवेन्यू 18% स्लैब से आया है
- सबसे ऊंचे 28% जीएसटी स्लैब का योगदान कुल कलेक्शन में 11 फीसदी रहा है.
- वित्त मंत्रालय के आंकड़ों के मुताबिक, 5% GST स्लैब ने कुल कलेक्शन में 7% कंट्रीब्यूट किया.
- सबसे कम योगदान 12% स्लैब का रहा, जिसकी हिस्सेदारी कुल कलेक्शन में सबसे कम 5% रही है.
जीएसटी में ये बदलाव क्यों?
वित्त मंत्रालय के सूत्रों के मुताबिक, GST व्यवस्था को लागू हुए 8 साल हो चुके हैं. अब भारत सरकार के पास मौजूदा GST व्यवस्था को और कारगर बनाने के लिए जरूरी आंकड़े उपलब्ध हैं.
वित्त मंत्रालय की तरफ से 1 सितम्बर 2025 को GST के आंकड़े जारी किए गए थे. ये दिखाते हैं कि अगस्त 2025 में कुल जीएसटी रेवेन्यू 1,86,315 करोड़ रहा, जो पिछले साल अगस्त के 1,74,962 करोड़ रेवेन्यू से 6.5% अधिक है.
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सरकारी आंकड़ों के मुताबिक, 2020-21 में जीएसटी रेवेन्यू कलेक्शन 11.37 लाख करोड़ रुपये था, जो 2024-25 में बढ़कर 22.08 लाख करोड़ रुपये तक पहुंच चुका है.
पिछले 8 वर्षों में जीएसटी टैक्स बेस भी दोगुना से ज़्यादा बढ़ा है. 2017-18 में जीएसटी भरने वाले 66 लाख थे, जो 2024-25 में बढ़कर 151 लाख तक हो गए हैं.
वित्त मंत्रालय का मानना है कि जीएसटी कलेक्शन में तेजी से सुधार हो रहा है, ऐसे में मौजूदा जीएसटी स्लैब्स कम करने और अन्य सुधारों की प्रक्रिया को आगे बढ़ाना ज़रूरी हो गया है.
जीएसटी सुधारों के 3 स्तंभ
वित्त मंत्रालय के मुताबिक, जीएसटी सुधारों के तीन प्रमुख स्तंभ हैं- स्ट्रक्चरल सुधार, GST दरों को तर्कसंगत बनाना और रहन-सहन आसान बनाना. इन सुधारों का मकसद वर्गीकरण संबंधी विवादों को कम करना, विशिष्ट क्षेत्रों में शुल्क (इनवर्टेड ड्यूटी ) ढांचों को ठीक करना, दरों में अधिक स्थिरता लाना और व्यापार सुगमता को बढ़ाना है. इनसे प्रमुख आर्थिक क्षेत्रों में मज़बूती आएगी, आर्थिक गतिविधियां बढ़ेंगी और क्षेत्रीय विस्तार को बढ़ावा मिलेगा.
एसबीआई ने पिछले हफ्ते एक रिपोर्ट जारी की थी. इसमें शॉर्ट टर्म में जीएसटी लॉस 5 हजार करोड़ महीने का आकलन है. एसबीआई का कहना है लॉन्ग टर्म में अर्थव्यवस्था को फायदा होगा. बिक्री बढ़ेगी. वहीं कुछ विपक्ष शासित राज्यों के वित्त मंत्रियों ने मांग की थी हमें भरवाई की जानी चाहिए.
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