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मुस्लिम प्रभाव वाली 38 सीटें भी क्यों हारे उद्धव ठाकरे, शरद पवार और कांग्रेस? वजह चौंका देगी

Maharashtra Election Result: महाराष्ट्र में उद्धव ठाकरे ये मानकर चल रहे थे कि उनकी पार्टी सत्ता में आ रहे हैं. कांग्रेस का भी लगभग यही हाल था. हालांकि, महाराष्ट्र मुस्लिम सीटों तक पर इन्हें हार का मुंह देखना पड़ा...

मुस्लिम प्रभाव वाली 38 सीटें भी क्यों हारे उद्धव ठाकरे, शरद पवार और कांग्रेस? वजह चौंका देगी
Maharashtra Election Result: महाराष्ट्र चुनाव के रिजल्ट कांग्रेस, उद्धव ठाकरे और शरद पवार के लिए बड़ा झटका साबित हुए हैं. (फाइल फोटो)

Maharashtra Election Result: लोकसभा चुनावों में महाविकास आघाडी पर मुस्लिम समाज ने जो भरोसा जताया, उस भरोसे का विधानसभा चुनावों में क्या हो गया?  कई माइनॉरिटी वोट महायुति की ओर कैसे खिसक गए? कुछ ऐसी भी सीटें हैं, जहां पर मुस्लिम समाज के वोट का बंटवारा हुआ, जिसका लाभ महायुति को मिला. मुस्लिम समुदाय के बढ़े वोट शेयर को देखते हुए अब “एक हैं तो सेफ़ हैं” नारे की परिभाषा भी महाराष्ट्र में बदलती दिख रही है. 

फ़तवे धरे रह गए

मुस्लिम वोटरों को एक साथ लाने की तकरीबन 200 एनजीओ की ज़मीनी कसरत भी काम नहीं आई! महाराष्ट्र की 38 सीटों पर, मुस्लिम आबादी 20% से अधिक है! लेकिन, इनमें बीजेपी ने इस बार अपनी सीटों की संख्या 11 से बढ़ाकर 14 कर ली. कांग्रेस 5 साल पहले की 11 सीटों से घटकर इस बार केवल पांच पर सिमट गई. महायुति के शिंदे शिवसेना को 6, अजित पवार की एनसीपी को 2,जबकि एमवीए की ओर से शिवसेना के उद्धव गुट को छह और एनसीपी शरद पवार को दो सीटें मिलीं. बाकी तीन सीटों में से समाजवादी पार्टी ने 2 जबकि एआईएमआईएम ने सिर्फ़ एक सीट हासिल की.इन 38 सीटों में महायुति के 22 विधायक शामिल हैं, जो महा विकास अघाड़ी के 13 विधायकों से कहीं आगे हैं! 

38 सीटों में किसे कितनी मिली 

  • बीजेपी 14
  • कांग्रेस 5
  • शिंदे शिवसेना 6
  • शिवसेना उद्धव 6
  • एनसीपी अजीत पवार 2 
  • एनसीपी शरद पवार 2
  • समाजवादी पार्टी 2
  • एआईएमआईएम 1

मौलवियों की अपील BJP को दे गई फायदा

बीजेपी के बड़े नेता और पूर्व राज्यसभा सांसद विनय सहस्रबुद्धे कहते हैं कि एक हैं सेफ़ हैं के नारे में सभी समुदाय आते हैं. एमवीए में वोट तुष्टिकरण और ध्रुवीकरण के फेरे में लोग नहीं पड़े और एक साथ आकर विकास के लिए वोट किया. हमारे एक हैं सेफ़ हैं में सभी समुदाय आते हैं. मौलवियों की अपील के बाद भी ना सिर्फ़ मुस्लिम समुदाय का साझा और निर्णायक फ़ैसला नज़र नही आया, बल्कि इस कदम से बीजेपी को "वोट जिहाद" या महायुति के खिलाफ मुस्लिम वोटों के एकीकरण के अपने आरोपों को मजबूत करने में मदद मिली.

कम उत्साह और योजनाओं का असर

राजनीतिक विश्लेषक रविकिरण देशमुख ने बताया कि लोगों ने समझ लिया कि एमवीए के वादे धोखा है. साथ ही महायुति ने कई योजनाएं लाईं, जिससे अल्पसंख्यकों को फ़ायदे हुआ. मई में हुए लोकसभा चुनावों में विपक्षी गठबंधन महाविकास अघाड़ी को बड़ी जीत दिलाने में मुस्लिम समुदाय का अच्छा समर्थन रहा, वहीं विधानसभा में कम उत्साह और बंटे हुए वोटों के साथ-साथ सांप्रदायिक ध्रुवीकरण से  उन्हीं निर्वाचन क्षेत्रों में से कुछ सीटें महायुति के खाते में चली गईं. मुस्लिम वेलफेयर एसोसिएशन के अध्यक्ष सलीम सारंग बताते हैं कि तुष्टिकरण की जगह नहीं थी, यहां लोग विकास और फ़ायदे की ओर देखते हैं.

बंट गए मुस्लिम वोट

कुछ सीटों पर, कई मुस्लिम उम्मीदवारों की वजह से भी वोट बंट गए..मिसाल के लिए औरंगाबाद पूर्व से एआईएमआईएम के राज्य प्रमुख और पूर्व सांसद इम्तियाज जलील बीजेपी के अतुल सवे से 2,161 वोटों से हार गए. इस सीट पर वीबीए के अफसर खान ने 6,507 और एसपी के अब्दुल गफ्फार सैयद ने 5,943 वोट लेकर मुस्लिम वोटों को विभाजित किया, जिससे जलील की हार टल ना सकी. एआईएमआईएम ने जो इकलौती सीट जीती, वो मुस्लिम बहुल मालेगांव सेंट्रल की है. उसके उम्मीदवार मुफ्ती इस्माइल केवल 162 वोटों से जीत पाए, जो राज्य में सबसे कम अंतर है. वहीं, भिवंडी पश्चिम में बीजेपी के महेश चौघुले ने एसपी के रियाज आज़मी को 31,293 से हराया, क्योंकि मुसलमानों के वोट एआईएमआईएम के वारिस पठान (15,800 वोट) और निर्दलीय विलास पाटिल (31,579 वोट) के बीच बंट गए.हारने वाले बड़े मुस्लिम नामों में एनसीपी के नवाब मलिक और जीशान सिद्दीकी के साथ ही कांग्रेस के आरिफ नसीम खान भी शामिल हैं. 

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