देश के गृहमंत्री राजनाथ सिंह ने गुवाहाटी में तमाम राज्यों के डीजी और खुफिया प्रमुखों की बैठक को संबोधित करते हुए कहा कि पुलिस और खुफिया तंत्र का देश के लोगों को सुरक्षा देने में अहम योगदान है। सिंह ने यह भी कहा कि पुलिस, इंटेलिजेंस, अर्द्धसैनिक बलों को पूरा श्रेय दिया जाना चाहिए।
गृहमंत्री ने कहा कि पुलिस वालों को वर्दी में देखकर सुरक्षा का भाव आता है। मैं उन तमामल पुलिस वालों को अपनी श्रद्धांजलि देता हूं जिन्होंने ड्यूटी पर अपनी जान गंवाई है।
पूर्वोत्तर के राज्यों में सूरक्षा के मुद्दे पर गृहमंत्री का कहना है कि यहां पर भी सुरक्षा और विकास वैसा ही होना चाहिए जैसा की देश के अन्य राज्यों का है। उन्होंने बताया कि एनडीए की सरकार ने दिल्ली में शहीद पुलिस वालों के लिए स्मारकर बनाने के लिए 50 करोड़ रुपये मंजूर किए हैं।
बंगाल में आतंकी संगठनों के पैर फैलाने की खबर पर अपनी बात रखते हुए कहा कि एनआईए और पुलिस मामले की जांच में जुटी है। साथ ही उन्होंने चिंता जाहिर की कि देश के कुछ युवा आईएस की ओर आकर्षित हो रहे हैं। उन्होंने कहा कि अलकायदा द्वारा भारत को इस्लामिक राज्य बनाने की धमकी को हमल हल्के में नहीं ले सकते और हमें इसे एक चुनौती के रूप में लेना चाहिए।
उन्होंने कहा कि दुनिया में तमाम आतंकी संगठन हैं, लेकिन हम भारत में ऐसे किसी संगठन को पैर जमाने नहीं देंगे। साथ ही राजनाथ सिंह ने उत्तरपूर्वी राज्य में जाति, समाजिक और आर्थिक आधार पर हो रही हिंसक घटनाओं पर चिंता जाहिर की। उन्होंने कहा कि वर्तमान सरकार उत्तर पूर्व राज्यों के विकास के लिए दृढ़ संकल्पित है।
सिंह ने कहा कि माओवाद प्रभावित राज्यों में हिंसा की घटनाओं में कमी आई है।
जम्मू-कश्मीर के अरनिया में हुए आतंकी हमलों पर उन्होंने कहा कि पाकिस्तान का कहना है कि इस घटना से सरकार का कोई लेना-देना नहीं है। लेकिन, यह सही नहीं है।
गृहमंत्री ने पुलिस अधिकारियों के इस सम्मेलन में ऐलान किया कि 2019 तक देश के तमाम राष्ट्रीय राजमार्ग सीसीटीवी की निगरानी में आ जाएंगे।
उन्होंने साथ ही देश के तमाम छोटे बंदरगाहों पर सुरक्षा की व्यवस्था पर चिंता जताई और कहा कि वह मौजूदा व्यवस्था से संतुष्ट नहीं हैं।
उन्होंने दिन-ब-दिन सोशल मीडिया पर राष्ट्रविरोधी और समाज विरोधी लोगों के सक्रिय होने की बात कहते हुए जोर दिया कि इस मीडिया पर नजर रखने के लिए तंत्र की आवश्यकता है।
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