बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की पार्टी जनता दल (यूनाइटेड) ने बृहस्पतिवार को दावा किया कि केंद्रीय मंत्री अमित शाह ने लखीसराय जिले में एक रैली के दौरान राहुल गांधी को विपक्ष के नेता के रूप में स्वीकार किया. पटना में 23 जून को 16 विपक्षी दलों की बैठक के बाद पहली बार बिहार के दौरे पर आए शाह ने रैली में कहा कि 2024 के लोकसभा चुनाव में लोग प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और कांग्रेस नेता राहुल गांधी के बीच किन्हीं एक को चुनेंगे. हालांकि, उन्होंने राहुल पर तंज कसते हुए कहा कि कांग्रेस द्वारा उन्हें (राहुल को) “जन नेता” के तौर पर स्थापित करने की पिछले 20 सालों से कोशिश हो रही है, लेकिन वह नाकाम रही.
रैली के तुरंत बाद संवाददाता सम्मेलन में जदयू के राष्ट्रीय महासचिव और प्रवक्ता राजीव रंजन ने कहा, ‘‘शाह ने आखिरकार राहुल गांधी को संयुक्त विपक्ष के नेता के रूप में स्वीकार किया, जिसने नीतीश कुमार की मेजबानी में यहां पिछले सप्ताह हुई बैठक में आकार लिया। अभी तक, भाजपा राहुल को नेता स्वीकार करने से इनकार करती रही है.''
राष्ट्रीय जनता दल (राजद) के प्रवक्ता मृत्युंजय तिवारी ने कहा, ‘‘विपक्षी एकता ने भाजपा को डरा दिया है. अमित शाह ने लोगों से मोदी को फिर से वोट देने की बार-बार अपील की. लेकिन रैली में मौजूद भीड़ उनकी अपील के प्रति उदासीन रही.''
कांग्रेस की बिहार इकाई के अध्यक्ष अखिलेश प्रसाद सिंह ने शाह पर ‘‘एक ऐसे दिन साम्प्रदायिक सौहार्द बिगाड़ने का प्रयास करने का आरोप लगाया, जब बकरीद का त्योहार मनाया जा रहा.''
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