
Himachal Pradesh Top Bureaucrat's Lavish Party: हिमाचल प्रदेश के मुख्यमंत्री सुखवीर सिंह सुक्खू अक्सर राज्य की माली हालत खराब होने का रोना रोते हैं, लेकिन उनके सेवा विस्तार पाए मुख्य सचिव प्रबोध सक्सेना ने लगभग सवा लाख रुपये की होली पार्टी कर ली. यहां तक भी रहता तो गनीमत थी, लेकिन बिल सामान्य प्रशासन विभाग को भुगतान के लिए भेज दिया गया है. अब बाबू डकार गए हैं और बिल जनता चुकाएगी, क्योंकि सरकारी खजाने का पैसा तो जनता का ही तो है.
जान लीजिए पार्टी की खास बातें
- पहली खासियत ये है कि पार्टी हिमाचल प्रदेश के चीफ सेक्रेटरी साहेब ने दी है.
- दूसरी खासियत इससे भी बड़ी है कि ये पार्टी उन्होंने अपने मातहत 75 आईएएस अफसरों को दी है.
- तीसरी खासियत ये है कि अफसर तो अफसर, उनके बीवी-बच्चे भी पार्टी में आए.
- चौथी खासियत है कि इस पार्टी पर 1 लाख 22 हजार बीस रुपये का खर्चा बैठा.
- पांचवीं खासियत ये है कि बिल हिमाचल सरकार के पास भेज दिया गया कि इसका भुगतान करो.

यानी पार्टी करें अफसर, होली के नाम पर मौज उड़ाएं बाबू लोग और उसका खर्चा भुगते हिमाचल के गरीब लोग. गरीब इसलिए कि हिमाचल प्रदेश के मुख्यमंत्री सुखवीर सुक्खू ही आर्थिक तंगी का रोना रोते रहते हैं. अब बताइए कि मुख्यमंत्री कहेंगे कि पैसा नहीं है और मुख्य सचिव प्रबोध सक्सेना सरकारी पैसे पर अपने मातहत आईएएस अधिकारियों के साथ मौज करेंगे तो इस पाखंड और बेईमानी पर दुनिया क्या कहेगी.
1.22 लाख रुपये की पार्टी में क्या-क्या था
एक-एक हजार रुपये प्लेट का खाना अधिकारी डकार गए. स्नैक्स अलग से. ड्राइवर के लिए खाना अलग से और आने-जाने के लिए टैक्सी का किराया अलग से. यानी अधिकारियों का होटल से होम तक आना फ्री, जाना फ्री और खाना फ्री. सीएम सुक्खू खामख्वाह सोचते हैं कि फ्री में तो वो आम लोगों के लिए रेवड़ी बांटते हैं. रेवड़ी का असली मजा तो उनके बाबू उठा रहे हैं. वो मुख्य सचिव प्रबोध सक्सेना उठा रहे हैं, जिन्होंने सरकारी खर्चे पर अपने सेवा विस्तार के लिए होली पार्टी दी थी. अब विपक्ष कह रहा है कि इस मामले की मुकम्मल जांच हो.
बीजेपी ने जमकर सुनाया
बीजेपी के मुख्य प्रवक्ता व विधायक रणधीर शर्मा ने कहा कि हिमाचल प्रदेश हिमालय की गोद में खिले एक खूबसूरत फूल की तरह है, लेकिन इस राज्य का दुर्भाग्य देखिए कि इस पर 90 हजार करोड़ रुपये का कर्ज है. पिछले साल सितंबर में खबर आई कि तीन महीनों से कर्मचारियों को तनख्वाह नहीं मिली. उस समय तक सरकार पर कर्मचारियों और पेंशनरों की 10 हजार करोड़ रुपये की देनदारी थी, लेकिन मुख्य सचिव प्रबोध सक्सेना होली के रंग में ऐसे डूबे कि उन्हें राज्य की माली हालत का बोध ही नहीं रहा और अगर रहा तो उनके अंदर दिल और संवेदना नाम की चीज नहीं रही. तभी तो सरकारी खजाने पर सवा लाख रुपये की लंच पार्टी के बिल भेजने की बेशर्मी कोई बड़ा अधिकारी इस तरह दिखा सकता है. मामला तूल पकड़ा तो मुख्य सचिव और मुख्यमंत्री दोनों ने चुप्पी साध ली है.
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