शिमाला:
हिमाचल प्रदेश के कांगड़ा जिले में सोमवार रात राज्य परिवहन की एक बस के सड़क पर फिसलकर 1000 फीट गहरी खाई में गिर जाने से 34 लोगों की मौत हो गई और छह अन्य घायल हो गए। राज्य सरकार ने मुआवजे की घोषणा करते हुए घटना की जांच के आदेश दे दिए हैं।
उपायुक्त केआर भारती ने मंगलवार को बताया कि बस के मलबे से सभी 34 शव निकाल लिए गए हैं और कंडक्टर समीर कुमार सहित छह घायलों को अस्पताल में भर्ती कराया गया है।
हादसे में जीवित बचे एक व्यक्ति ने पुलिस को बताया कि 42 सीटों वाली बस यात्रियों को लेकर पालमपुर से आशापुरी जा रही थी। बस में क्षमता से अधिक लोग सवार थे। आशापुरी गांव पहाड़ों पर बने एक मंदिर के लिए प्रसिद्ध है।
जीवित बचे यात्रियों ने बताया कि ज्यादातर यात्री दुर्घटना स्थल से कुछ किलोमीटर पहले माकोल गांव पर बस से उतर गए थे।
अधिकारियों को बचाव कार्य के लिए यहां से 250 किलोमीटर दूर स्थित पालमपुर से भारतीय सेना को बुलाना पड़ा। दरअसल जिस जगह यह दुर्घटना हुई वह दुर्गम व घने जंगल वाला इलाका है।
भारती ने बताया कि जब दुर्घटना हुई, तब ड्राइवर अपनी सीट व्यवस्थित कर रहा था और सम्भावना है कि इस दौरान उसने बस से नियंत्रण खो दिया।
मारे गए ज्यादातर लोग स्थानीय व नजदीकी रिश्तेदार हैं। बचाव कार्य अब भी जारी है।
राज्यपाल उर्मिला सिंह एवं मुख्यमंत्री प्रेम कुमार धूमल ने दुर्घटना पर दुख व्यक्त किया है। सरकार ने दुर्घटना की मजिस्ट्रेट जांच कराने के आदेश दिए हैं। इसके साथ ही प्रत्येक मृतक के आश्रितों को 20-20 हजार रुपये और घायलों को पांच-पांच हजार रुपये की आर्थिक सहायता देने की घोषणा की गई है।
एक महीने से भी कम समय में यह राज्य में दूसरी बड़ी दुर्घटना है। इससे पहले 11 अगस्त को चम्बा जिले में एक खचाखच भरी निजी बस के फिसलकर 300 फीट गहरी खाई में गिर जाने से हुई दुर्घटना में 53 लोग मारे गए थे और 46 घायल हुए थे।
उपायुक्त केआर भारती ने मंगलवार को बताया कि बस के मलबे से सभी 34 शव निकाल लिए गए हैं और कंडक्टर समीर कुमार सहित छह घायलों को अस्पताल में भर्ती कराया गया है।
हादसे में जीवित बचे एक व्यक्ति ने पुलिस को बताया कि 42 सीटों वाली बस यात्रियों को लेकर पालमपुर से आशापुरी जा रही थी। बस में क्षमता से अधिक लोग सवार थे। आशापुरी गांव पहाड़ों पर बने एक मंदिर के लिए प्रसिद्ध है।
जीवित बचे यात्रियों ने बताया कि ज्यादातर यात्री दुर्घटना स्थल से कुछ किलोमीटर पहले माकोल गांव पर बस से उतर गए थे।
अधिकारियों को बचाव कार्य के लिए यहां से 250 किलोमीटर दूर स्थित पालमपुर से भारतीय सेना को बुलाना पड़ा। दरअसल जिस जगह यह दुर्घटना हुई वह दुर्गम व घने जंगल वाला इलाका है।
भारती ने बताया कि जब दुर्घटना हुई, तब ड्राइवर अपनी सीट व्यवस्थित कर रहा था और सम्भावना है कि इस दौरान उसने बस से नियंत्रण खो दिया।
मारे गए ज्यादातर लोग स्थानीय व नजदीकी रिश्तेदार हैं। बचाव कार्य अब भी जारी है।
राज्यपाल उर्मिला सिंह एवं मुख्यमंत्री प्रेम कुमार धूमल ने दुर्घटना पर दुख व्यक्त किया है। सरकार ने दुर्घटना की मजिस्ट्रेट जांच कराने के आदेश दिए हैं। इसके साथ ही प्रत्येक मृतक के आश्रितों को 20-20 हजार रुपये और घायलों को पांच-पांच हजार रुपये की आर्थिक सहायता देने की घोषणा की गई है।
एक महीने से भी कम समय में यह राज्य में दूसरी बड़ी दुर्घटना है। इससे पहले 11 अगस्त को चम्बा जिले में एक खचाखच भरी निजी बस के फिसलकर 300 फीट गहरी खाई में गिर जाने से हुई दुर्घटना में 53 लोग मारे गए थे और 46 घायल हुए थे।
NDTV.in पर ताज़ातरीन ख़बरों को ट्रैक करें, व देश के कोने-कोने से और दुनियाभर से न्यूज़ अपडेट पाएं