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हिमाचल में बादल फटने की मिलेगी पूर्व चेतावनी, बनने जा रहे 48 स्वचालित मौसम केंद्र

सीएम ने कहा कि राज्य में लैंडस्लाइड की घटनाओं को कम करने के लिए बायो- इंजीनियरिंग नर्सरीज तैयार करने के साथ ही भूकंपरोधी संरचनाएं बनाई जाएंगी.

हिमाचल में बादल फटने की मिलेगी पूर्व चेतावनी, बनने जा रहे 48 स्वचालित मौसम केंद्र
हिमाचल में बादल फटने की मिलेगी पूर्व चेतावनी.
नई दिल्ली:

पहाड़ी जगहों पर बादल कब फट जाएं, कोई कुछ नहीं कह सकता. जब भी इस तरह की तबाही आती है, तो न जानें कितनों की जान चली जाती है और कितना नुकसान होता है. इसकी वजह यह है कि किसी को ये पता ही नहीं होता कि इस पल बादल फटने वाला है. हिमाचल प्रदेश में इसी अनिश्चितता की वजह से पिछले दिनों शिमला में आपदा आई थी, जिसमें काफी नुकसान हुआ था. लेकिन बहुत ही जल्द हिमाचल में बादल फटने (Himachal Landslide)  अलर्ट मिलना शुरू हो जाएगा, ताकि लोग सावधान रह सकें.  

जलवायु संबंधी चुनौतियों से निपटने में मिलेगी मदद

प्रदेश में मौसम संबंधी आंकड़ों की सटीकता और जलवायु संबंधी चुनौतियों से तुरंत निपटने के लिए हिमाचल सरकार ने खास कदम उठाए हैं. मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू ने शुक्रवार को भारत मौसम विज्ञान विभाग (आईएमडी) के साथ एक समझौते पर हस्ताक्षरित किए. इसके तहत शुरुआती चरण में प्रदेश में 48 स्वचालित मौसम केंद्र स्थापित किए जाएंगे. जिनके जरिए मौसम संबंधी पूर्वानुमान और तैयारियों के लिए वास्तविक समय के आंकड़े उपलब्ध हो सकेंगे. इससे खास तौर पर कृषि और बागवानी में मदद मिलेगी. इसके बाद इसी सुविधा को चरणबद्ध तरीके से खंड स्तर पर भी स्थापित किया जाएगा. 

हिमाचल प्रदेश में वर्तमान में आईएमडी द्वारा स्थापित 22 स्वचालित मौसम केंद्र एक्टिव हैं. सीएम सुक्खू का कहना है कि मौसम केंद्रों के इस तंत्र के स्थापित होने से  पूर्व चेतावनी प्रणाली और इमरजेंसी हालात जैसे ज्यादा बारिश, बाढ़ और बादल फटने जैसी घटनाओं से बेहतर तरीके से निपटा जा सकेगा. प्रदेश सरकार की विस्तृत आपदा और जलवायु जोखिम न्यूनीकरण परियोजना के लिए फ्रांस की एजेंसी एएफडी के साथ सहमति बनी है, जिसके तहत एएफडी परियोजना के लिए 890 करोड़ रुपये उपलब्ध करवाएगी.

फ्रांस करेगा हिमाचल की मदद 

हिमाचल के सीएम का कहना है कि इस परियोजना से राज्य में बेहतर आपदा प्रबंधन तंत्र स्थापित करने में मदद मिलेगी. परियोजना के तहत राज्य में बुनियादी संरचना, प्रशासन और संस्थागत क्षमता के सुदृढ़ीकरण पर खास बल दिया जाएगा.  उन्होंने कहा कि इस पैसे का इस्तेमाल हिमाचल प्रदेश राज्य आपदा प्रबंधन प्राधिकरण (HPSDM) जिला आपदा प्रबंधन प्राधिकरण (डीडीएमए), राज्य और जिला आपातकालीन संचालित केंद्रों को मजबूत करने में किया जाएगा.

 ग्रामीण इलाकों में प्राकृतिक आपदाओं के पूर्व चेतावनी तंत्र के तहत जलवायु परिवर्तन की संवेदनशीलता के आकलन के लिए प्रारंभिक चेतावनी प्रणाली को विकसित किया जाएगा. सीएम सुक्खू ने कहा कि इस पहल के तहत नए अग्निशमन केंद्र स्थापित किए जाएंगे और आग संबंधी इमरजेंसी हालात से निपटने के लिए मौजूदा केंद्रों का उन्नयन किया जाएगा.

कम होंगी लैंडस्लाइड की घटनाएं

सीएम ने कहा कि राज्य में लैंडस्लाइड की घटनाओं को कम करने के लिए बायो- इंजीनियरिंग नर्सरीज तैयार करने के साथ ही भूकंपरोधी संरचनाएं बनाई जाएंगी.  उन्नत और समर्पित सॉफ्टवेयर प्लेटफॉर्म के जरिए लगातार निगरानी सुनिश्चित की जाएगी. उन्होंने कहा कि द्विपक्षीय समझौते के तहत फ्रांस से तकनीकी सहायता अनुदान से मदद मिलेगी. आपदा के कुशल प्रबंधन के लिए हेलीपैड बनाने के साथ ही आपदा प्रबंधन के लिए राज्य संस्थान की स्थापना की जाएगी. नई राज्य आपदा प्रतिक्रिया बल कंपनी का गठन भी किया जाएगा.
 

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