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This Article is From Jan 05, 2024

हिमाचल प्रदेश के हाटी समुदाय को जनजाति का दर्जा देने पर हाईकोर्ट ने लगाई रोक

केन्द्र सरकार के बिल पारित करने के बाद प्रदेश सरकार ने एक जनवरी को जारी की थी अधिसूचना, हिमाचल प्रदेश में हाटी समुदाय की करीब तीन लाख आबादी

हिमाचल प्रदेश के हाटी समुदाय को जनजाति का दर्जा देने पर हाईकोर्ट ने लगाई रोक
हाटी समुदाय कई दशकों से अनुसूचित जनजाति के दर्जे की मांग कर रहा है.
शिमला:

हिमाचल प्रदेश के जिला सिरमौर के ट्रांसगिरी क्षेत्र के हाटी समुदाय को जनजाति के दर्जे का मामला एक बार फिर से लटक गया है. हिमाचल प्रदेश हाईकोर्ट ने केन्द्र की मोदी सरकार व हिमाचल की  सुखविंदर सिंह सुक्खू सरकार की अधिसूचना पर 18 मार्च तक रोक लगा दी है. हिमाचल की  सुक्खू सरकार ने तीन दिन पहले यानी एक जनवरी को अधिसूचना जारी करके हाटी समुदाय को जनजाति का दर्जा प्रदान किया था.

सिरमौर जिला के ट्रांसगिरी क्षेत्र की 2011 की जनगणना के मुताबिक दो लाख से ज्यादा की आबादी वाली 154 पंचायतें, 4 विधानसभा क्षेत्रों के लोग जनजाति के दर्जे के दायरे में आए थे. यह बिल दिसम्बर 2022 में लोकसभा में और जुलाई 2023 में राज्यसभा से पास हुआ था. केंद्र सरकार व हिमाचल प्रदेश सरकार ने जनजाति के दर्जे को लेकर 1967 से जारी संघर्ष को समाप्त करते हुए इस पर मोहर लगाकर अधिसूचना जारी की थी ताकि इन लोगों को इसका लाभ मिलना शुरू हो जाए.

लेकिन हिमाचल प्रदेश के सिरमौर जिले की गिरिपार अनुसूचित जाति अधिकार संरक्षण समिति और गुर्जर समाज कल्याण परिषद जिला सिरमौर ने ट्रांसगिरि क्षेत्र के हाटी समुदाय को आरक्षण के प्रावधान को  हिमाचल प्रदेश हाईकोर्ट में चुनौती दी. इस पर गुरुवार को हाईकोर्ट ने अंतरिम आदेश जारी किया है. हालांकि केंद्र सरकार से कानून बनने के बाद हिमाचल सरकार ने भी इसको हरी झंडी दिखा दी थी और अधिसूचना जारी कर दी थी. अब मामला हाई कोर्ट में विचाराधीन है. अब हाटी समुदाय के लोगों को प्रमाण पत्र लेने के लिए कोर्ट के निर्णय का इंतजार करना पड़ेगा.

इस मामले में याचिकाकर्ताओं के वकील रजनीश मानिकटला ने बताया कि हाटी समुदाय को जनजाति का दर्जा देने के लिए केंद्र सरकार द्वारा किए गए संविधान संशोधन और प्रदेश सरकार की ओर से जारी की गई अधिसूचना पर हाईकोर्ट ने रोक लगा दी है. उन्होंने बताया कि जनजाति का दर्जा देने के लिए स्थानीय समुदाय मानदंड को आधार बनाया जाता है. इसके तहत उस इलाके के आर्थिक पिछड़ेपन और साक्षरता को कसौटी पर रखा जाता है. लेकिन हाटी समुदाय इन मानदंडों को पूरा करने में असफल रहा. 

उन्होंने कहा कि हाईकोर्ट ने पाया कि ट्रांसगिरि क्षेत्र में रहने वाला हाटी समुदाय निर्धारित शैक्षणिक और आर्थिक प्रावधानों को पूरा नहीं कर पाया है. इस इलाके में एक गांव एशिया का सबसे अमीर गांव माना जाता है. इसके साथ इस इलाके में 80 फीसदी साक्षरता दर है. उन्होंने कहा कि मामले की अगली सुनवाई 18 मार्च को होगी.  

गौरतलब है कि हिमाचल प्रदेश के सिरमौर जिले के ट्रांसगिरी क्षेत्र में हाटी समुदाय के लोग 1967, यानी 55 सालों से उत्तराखंड के जौनसार बाबर को जनजाति दर्जा मिलने के बाद से संघर्षरत हैं. केंद्रीय कैबिनेट ने हाटी समुदाय की मांग को 14 सितंबर 2022 को अपनी मंजूरी दी थी. उसके बाद केंद्र सरकार ने 16 दिसंबर 2022 को इस बिल को लोकसभा से पारित करवाया. उसके बाद यह बिल जुलाई 2023 में  राज्यसभा से भी पारित हो गया. बाद में इसे राष्ट्रपति के लिए भेजा गया था. नौ दिनों में ही राष्ट्रपति ने विधेयक पर मुहर लगा दी थी. 

सिरमौर जिले के हाटी समुदाय में करीब तीन लाख लोग 4 विधानसभा क्षेत्र शिलाई, श्रीरेणुकाजी, पच्छाद तथा पांवटा साहिब में रहते हैं. जिला सिरमौर की कुल 269 पंचायतों में से ट्रांसगिरी में 154 पंचायतें आती हैं. इन 154 पंचायतों की 14 जातियों तथा उप जातियों को एसटी संशोधित विधेयक में शामिल किया गया है.

(वीडी शर्मा की रिपोर्ट)

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