जयंत सिन्हा का फाइल फोटो
नई दिल्ली:
मोदी मंत्रिमंडल में फेरबदल के एक दिन बाद अब तस्वीर उभर रही है कि क्यों उन्होंने स्मृति ईरानी और जयंत सिन्हा जैसे प्रमुख चेहरों के मंत्रालयों को बदल दिया? शीर्ष सूत्रों ने बताया कि स्मृति ईरानी के मंत्रालय में फेरबदल की सबसे बड़ी वजह उनके कार्यकाल में होने वाले लगातार विवाद और उनसे निपटने के तौर-तरीकों की वजह से हुआ।
राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के एक सूत्र ने बताया, 'वह सख्त थीं और विवादों को उत्पन्न कर देती थीं...और जब भी वह मुश्किल में पड़ती थीं तो पार्टी की लाइन का सहारा लेती थीं या विचारधारा का राग अलापने लगती थीं, इससे पार्टी और सरकार को उनके बचाव में उतरना पड़ता था।' उनसे केवल आरएसएस ही नाखुश नहीं था बल्कि पार्टी अध्यक्ष अमित शाह भी 'लंबे समय से बेहद नाराज थे।'
सूत्रों के मुताबिक ईरानी की जगह पीएम मोदी ने प्रकाश जावड़ेकर को इसलिए मानव संसाधन मंत्री बनाया क्योंकि उनके बारे में माना जाता है कि वह विवादों से दूर रहते हैं। छात्र नेता के रूप में उनका अतीत का अनुभव भी उनके पक्ष में रहा क्योंकि प्रधानमंत्री युवाओं के समर्थन को फिर से हासिल करना चाहते हैं, जिनसे हालिया दौर में सरकार से टकराव की स्थिति रही।
लेकिन उनके डिमोशन के बावजूद सूत्रों के मुताबिक स्मृति ईरानी को अभी भी टैलेंट माना जा रहा है। सूत्र के मुताबिक, ''इस बात की संभावना है कि इस मौजूदा झटके से वह सीखेंगी।''
इसी तरह वित्त राज्यमंत्री जयंत सिन्हा को नागरिक उड्डयन में भेजा जाना भी सुर्खियों में रहा। सूत्र इसके पीछे तीन कारण बता रहे हैं। पहला, नागरिक उड्डयन क्षेत्र की दशा-दिशा सुधारने में वह कैबिनेट मंत्री अशोक गजपति राजू की मदद कर सकेंगे। हालांकि सूत्रों के मुताबिक उनके मंत्रालय के बदलाव के पीछे भी नाराजगी की झलक दिखती है। उनके बारे में माना जाता है कि वह ''आउट ऑफ टर्न'' बोलते थे और आर्थिक मुद्दों पर उनके कुछ विचार ऐसे थे जो सरकार की सोच से मेल नहीं खाते थे।
बैंक और सरकारी अधिकारियों के साथ उनके घर पर आयोजित एक चाय पार्टी में कुछ बाहरी लोग भी उपस्थित थे, यह बात भी उनके खिलाफ गई। इसी तरह इनके पिता यशवंत सिन्हा की मोदी सरकार पर तल्ख टिप्पणियां भी खिलाफ गईं।
राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के एक सूत्र ने बताया, 'वह सख्त थीं और विवादों को उत्पन्न कर देती थीं...और जब भी वह मुश्किल में पड़ती थीं तो पार्टी की लाइन का सहारा लेती थीं या विचारधारा का राग अलापने लगती थीं, इससे पार्टी और सरकार को उनके बचाव में उतरना पड़ता था।' उनसे केवल आरएसएस ही नाखुश नहीं था बल्कि पार्टी अध्यक्ष अमित शाह भी 'लंबे समय से बेहद नाराज थे।'
सूत्रों के मुताबिक ईरानी की जगह पीएम मोदी ने प्रकाश जावड़ेकर को इसलिए मानव संसाधन मंत्री बनाया क्योंकि उनके बारे में माना जाता है कि वह विवादों से दूर रहते हैं। छात्र नेता के रूप में उनका अतीत का अनुभव भी उनके पक्ष में रहा क्योंकि प्रधानमंत्री युवाओं के समर्थन को फिर से हासिल करना चाहते हैं, जिनसे हालिया दौर में सरकार से टकराव की स्थिति रही।
लेकिन उनके डिमोशन के बावजूद सूत्रों के मुताबिक स्मृति ईरानी को अभी भी टैलेंट माना जा रहा है। सूत्र के मुताबिक, ''इस बात की संभावना है कि इस मौजूदा झटके से वह सीखेंगी।''
इसी तरह वित्त राज्यमंत्री जयंत सिन्हा को नागरिक उड्डयन में भेजा जाना भी सुर्खियों में रहा। सूत्र इसके पीछे तीन कारण बता रहे हैं। पहला, नागरिक उड्डयन क्षेत्र की दशा-दिशा सुधारने में वह कैबिनेट मंत्री अशोक गजपति राजू की मदद कर सकेंगे। हालांकि सूत्रों के मुताबिक उनके मंत्रालय के बदलाव के पीछे भी नाराजगी की झलक दिखती है। उनके बारे में माना जाता है कि वह ''आउट ऑफ टर्न'' बोलते थे और आर्थिक मुद्दों पर उनके कुछ विचार ऐसे थे जो सरकार की सोच से मेल नहीं खाते थे।
बैंक और सरकारी अधिकारियों के साथ उनके घर पर आयोजित एक चाय पार्टी में कुछ बाहरी लोग भी उपस्थित थे, यह बात भी उनके खिलाफ गई। इसी तरह इनके पिता यशवंत सिन्हा की मोदी सरकार पर तल्ख टिप्पणियां भी खिलाफ गईं।
NDTV.in पर ताज़ातरीन ख़बरों को ट्रैक करें, व देश के कोने-कोने से और दुनियाभर से न्यूज़ अपडेट पाएं
स्मृति ईरानी, जयंत सिन्हा, मोदी मंत्रिमंडल में फेरबदल, नरेंद्र मोदी, अमित शाह, आरएसएस, Smriti Irani, Jayant Sinha, Modi Cabinet Reshuffle, Narendra Modi, Amit Shah, RSS