किसी देश-प्रदेश की स्थिति का अंदाजा उसकी महिलाओं की स्थिति देखकर लगाया जा सकता है. आर्थिक रूप से निर्भर महिलाएं ही अपने घर, समाज और प्रदेश को उन्नति के रास्ते पर ले जा सकती हैं. झारखंड के गांवों में रहने वाली आदिवासी महिलाएं बहुत पहले से ही आर्थिक गतिविधियों में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती रही हैं.हेमंत सोरेन सरकार राज्य की महिलाओं को और सशक्त और आर्थिक रूप से आत्मनिर्भर बनाने के लिए कई तरह की योजनाएं चला रही है.इसी दिशा में एक और कदम उठाते हुए सोरेन सरकार ने रक्षाबंधन से ठीक एक दिन पहले 18 अगस्त को 'झारखण्ड मुख्यमंत्री मइंया सम्मान योजना'शुरू की. इसे राज्य की महिलाओं को रक्षाबंधन का उपहार बताया जा रहा है.
'झारखण्ड मुख्यमंत्री मइंया सम्मान योजना'को 21 से 50 साल की महिलाओं के लिए शुरू किया गया है. इस योजना के तहत पात्र महिला के बैंक खाते में सरकार हर महीने की 15 तारीख को एक हजार रुपये जमा कराएगी. सरकार ने करीब 50 लाख महिलाओं को इस योजना से जोड़ने का लक्ष्य रखा है.सरकार की ओर से मिलने वाले पैसे से महिलाएं अपनी रोजमर्रा की जरूरतों को पूरा कर सकेंगी.
कैसे और कौन ले सकता है योजना का लाभ
सरकार ने इस योजना के लिए आवेदन लेने की शुरुआत 3 अगस्त से ही कर दी थी. इसके लिए पूरे प्रदेश में शिविर लगाए जा रहे हैं. योजना के आवेदन की पूरी प्रक्रिया और फार्म मुफ्त है. योजना का लाभ उठाने के लिए जरूरी है कि आवेदक महिला झारखंड की निवासी हो.उसकी आयु 21 से 50 साल के बीच हो. योजना का लाभ उठाने के लिए जरूरी है कि आवेदक का अपने नाम से एक बैंक खाता हो.उसका बैंक खाता आधार से जुड़ा होना चाहिए, जिनका खाता आधार से नहीं जुड़ा हो, वे इस योजना का लाभ दिसंबर 2024 तक ही उठा सकती हैं. इसके बाद उन्हें अपना खाता आधार से जुड़वाना होगा.
इस योजना का फार्म भरने के लिए जरूरी है कि आवेदक के पास मतदाता पहचान पत्र (वोटर कार्ड) और आधार कार्ड हो. इस योजना का लाभ उठाने के लिए आवेदक के पास पीले रंग का अंत्योदय अन्न योजना का राशन कार्ड,गुलाबी रंग का गृहस्थ राशन कार्ड, हरे रंग का राशन कार्ड और सफेद रंग का राशन कार्ड में से किसी एक का होना जरूरी है.
किसके लिए है सावित्रीबाई फुले किशोरी समृद्धि योजना
झारखंड की बेटियों की पढाई पैसे के आभाव में न रुके इस दिशा में भी हेमंत सोरेन सरकार ने ठोस पहल की है.इसके लिए सरकार ने 'सावित्रीबाई फुले किशोरी समृद्धि योजना' शुरू की थी.सरकार ने चालू वित्त वर्ष में नौ लाख लड़कियों को इस योजना से जोड़ने का लक्ष्य रखा है.अभी करीब आठ लाख छात्राएं इसका लाभ उठा रही हैं.
इस योजना के तहत सरकार कक्षा आठ से 12वीं तक की पढ़ाई के दौरान छात्राओं को आर्थिक मदद देती है.योजना के तहत सरकारी स्कूलों में कक्षा आठ में पढ़ने वाली छात्राओं को ढाई हजार रुपये, नौवीं की छात्राओं को ढाई हजार रुपये, 10वीं की छात्राओं को पांच हजार रुपये,11वीं की छात्राओं को पांच हजार रुपये और 12वीं की छात्राओं को पांच हजार रुपये की मदद दी जाती.यह रकम छात्राओं के बैंक खाते में जमा कराई जाती है.
वहीं जब लाभार्थी छात्रा की आयु 18 साल हो जाती है और जब उसका मतदाता पहचान पत्र बन जाता है तो उसके बैंक खाते में सरकार एकमुश्त 20 हजार रुपये जमा करवाती है. इस पैसे की मदद से वो अपनी आगे की पढ़ाई जारी रख सकती या कोई प्रशिक्षण लेकर आत्मनिर्भर बन सकती है. इस तरह सरकार हर छात्रा को 40 हजार रुपये की आर्थिक मदद देती है.
ग्रामीण महिलाओं को उद्यमी बना रहा है 'पलाश'
ग्रामीण महिलाओं में उद्यमिता को बढ़ावा देने और ग्रामीण अर्थव्यवस्था में तेजी लाने के लिए भी झारखंड सरकार सक्रिय है. इसके लिए गांव-गांव में फैले स्वयं सहायता समूहों को पलाश ब्रांड से जोड़ा जा रहा है.इन समूहों के उत्पादों की'पलाश'के नाम से मार्केटिंग और ब्रांडिंग की जा रही है.इसके तहत अलग-अलग तरह के 29 उत्पाद खुले बाजार में बिक्री के लिए उपलब्ध हैं.
इस योजना के तहत तीन साल से भी कम समय में 3982.00 लाख रुपये की बिक्री हुई है.पलाश ब्रांड में अपने कृषि उत्पादों की सप्लाई, प्रोसेसिंग, पैकेजिंग और सेल्स के काम से इन स्वयं सहायता समूहों की एक लाख से अधिक ग्रामीण महिलाएं जुड़ी हुई हैं.मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन के निर्देश पर इसे पूरी तरह से व्यावसायिक गतिविधि बनाने के लिए 'पलाश इंटरप्राइजेज कंपनी' का गठन किया जा रहा है.
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