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This Article is From Jun 17, 2022

पूर्वोत्तर भारत के कई राज्यों में मूसलाधार बारिश और बाढ़ के चलते जनजीवन अस्त व्यस्त

पूर्वोत्तर भारत के विभिन्न हिस्सों में लगातार चार दिन से जारी मूसलाधार बारिश (Rain) के कारण शुक्रवार को भी बाढ़ की स्थिति गंभीर रही, जिसके चलते कई प्रमुख नदियां उफान पर हैं.

एएसडीएमए के अधिकारियों ने बताया कि अब तक 5,840 लोगों को सुरक्षित निकाल लिया गया है

गुवाहाटी:

पूर्वोत्तर भारत के विभिन्न हिस्सों में लगातार चार दिन से जारी मूसलाधार बारिश (Rain) के कारण शुक्रवार को भी बाढ़ की स्थिति गंभीर रही, जिसके चलते कई प्रमुख नदियां उफान पर हैं. असम (Assam) राज्य आपदा प्रबंधन प्राधिकरण (ASDMA) के अनुसार बारिश और बाढ़ के कारण राज्य के 25 जिलों में 11 लाख से अधिक लोग प्रभावित हुए हैं. मेघालय और अरुणाचल प्रदेश में भी हालात कुछ अलग नहीं है, जहां भूस्खलन के चलते सड़कें क्षतिग्रस्त हुई हैं और गावों में पानी भर गया है. भारत मौसम विज्ञान विभाग (IMD) ने शुक्रवार को कहा कि मेघालय के पूर्वी खासी हिल्स में सोहरा (पूर्व में चेरापूंजी) में शुक्रवार सुबह 8:30 बजे से पिछले 24 घंटों में 972 मि.मी. बारिश हुई, जो जून के महीने में 1995 के बाद से सबसे अधिक है.

असम के सोनितपुर जिले में जिया भोरोली नदी में चार लोगों को ले जा रही एक नौका पलट गई, जिसमें एक व्यक्ति लापता हो गया. जिले के एक अधिकारी ने बताया कि तीन लोगों को बचा लिया गया, लेकिन चौथे व्यक्ति का पता नहीं चल सका है. गुवाहाटी के कई इलाकों और दीमा-हसाओ, गोलपारा, होजई, कामरूप और कामरूप (एम) के कुछ हिस्सों में ताजा भूस्खलन की सूचना मिली है.

असम में इस साल बाढ़ और भूस्खलन के कारण मरने वालों की संख्या दो बच्चों की मौत के बाद गुरुवार को बढ़कर 46 हो गई. केंद्रीय पत्तन, पोत परिवहन एवं जलमार्ग मंत्री सर्बानंद सोनोवाल ने दिन में मुख्यमंत्री हिमंत बिस्व सरमा से बात कर राज्य में बाढ़ और भूस्खलन की स्थिति पर चर्चा की. एक अधिकारी ने यह जानकारी दी. उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री ने केंद्रीय मंत्री को मौजूदा स्थिति से अवगत कराया और बताया कि कैसे विभिन्न विभाग प्रभावित क्षेत्रों में लोगों की मदद के लिए चौबीस घंटे काम कर रहे हैं.

असम में कई नदियां खतरे के निशान से ऊपर बह रही हैं, जिनमें निमटीघाट व धुबरी में ब्रह्मपुत्र, नागांव में कोपिली, कामरूप में पुथिमारी, नलबाड़ी में पगलादिया, बारपेटा में मानस और बेकी नदी शामिल हैं. केंद्रीय जल आयोग (सीडब्ल्यूसी) द्वारा जारी एक बुलेटिन में यह जानकारी दी गई है. बोंगाईगांव, डिब्रूगढ़, गोलपारा, कामरूप, कोकराझार, मोरीगांव, नलबाड़ी, सोनितपुर और दक्षिण सलमारा जैसे जिलों से भारी अपरदन की सूचना मिली है.

बाढ़ की मौजूदा स्थिति के चलते 1,702 गांव प्रभावित हुए हैं, जिसके चलते 68 हजार से अधिक लोगों को 150 राहत शिविरों में शरण लेनी पड़ी है. इसके अलावा विभिन्न स्थानों पर भोजन और दवा वितरण के लिए 46 राहत केंद्र खोले गए हैं. एनडीआरएफ, एसडीआरएफ, अग्निशमन और आपातकालीन सेवा के जवान, पुलिस और एएसडीएमए के स्वयंसेवक युद्धस्तर पर प्रभावित क्षेत्रों में निकासी अभियान चला रहे हैं.

एएसडीएमए के अधिकारियों ने बताया कि अब तक 5,840 लोगों को सुरक्षित निकाल लिया गया है. पड़ोसी अरुणाचल प्रदेश में, सुबनसिरी नदी के पानी के चलते एक जलविद्युत परियोजना का निर्माणाधीन बांध स्थल जलमग्न हो गया. आधिकारिक सूत्रों ने बताया कि राष्ट्रीय जल विद्युत निगम (एनएचपीसी) के अधिकारियों ने बांध में काम करने वाले श्रमिकों को सुरक्षित स्थान पर जाने के लिए कहा है.

एक सरकारी अधिकारी ने बताया कि सीमांत राज्य में मूसलाधार बारिश से दो जिलों धेमाजी और लखीमपुर के कई गांव जलमग्न हो गए हैं. इस बीच, भारी वर्षा के कारण राष्ट्रीय राजमार्ग-6 पर हुए भूस्खलन के बाद गुरुवार को त्रिपुरा का देश के बाकी हिस्सों से संपर्क टूट गया. त्रिपुरा में मूसलाधार बारिश के कारण पिछले एक महीने में कई ट्रेन सेवाएं भी प्रभावित हुई हैं.

(इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)

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