धर्मांतरण कानून को चुनौती देने वाली याचिका पर सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई हुई. केंद्र सरकार ने याचिकाकर्ता तीस्ता शीतलवाड़ के NGO सिटीजंस फॉर जस्टिस एंड पीस के लोकस यानी कानूनी स्थिति पर सवाल उठाया. केंद्रीय गृह मंत्रालय में संयुक्त सचिव श्रीप्रकाश ने सुप्रीम कोर्ट में दाखिल सरकार के हलफनामे में कहा कि याचिकाकर्ताओं में से एक NGO सिटीजंस फॉर पीस एंड जस्टिस का रिकॉर्ड सही नहीं रहा है. यह एनजीओ कुछ चुनिंदा राजनीतिक मसलों पर अपने नाम का इस्तेमाल ऐसी याचिकाएं दाखिल करने में करता रहा है. जिनका सरोकार जनता से कम और राजनीतिक फायदा उठाने से ज्यादा रहा है.
हलफनामे में कहा गया है कि ऐसे संगठनों की विश्वसनीयता गंभीर शक के दायरे में है. याचिकाकर्ता ने दंगा पीड़ितों के नाम पर बड़ी रकम वसूली है जिसमें हेराफेरी का मुकदमा इसकी कर्ताधर्ता तीस्ता सीतलवाड़ के खिलाफ चल रहा है. ये संगठन अपने इस भेदभाव और समाज में विभाजन करने वाले मकसद के लिए समाज में जातिगत और सांप्रदायिक आधार पर बंटवारा करने के लिए कोर्ट में अपनी अर्जियों का इस्तेमाल करते हैं. इस संगठन के कार्य कई राज्यों में चलते रहते हैं. फिलहाल ये असम में अपना काम कर रहे हैं.
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