पंजाब के राजस्व मंत्री और बादल परिवार के रिश्तेदार बिक्रम मजीठिया ने ड्रग्स के काले कारोबार से जुड़े शख्स से चुनावी चंदा लिया था। प्रवर्तन निदेशालय की तरफ से पटियाला की अदालत में दायर आरोपपत्र में यह खुलासा किया गया है।
जगजीत सिंह चहल ने दावा किया है कि साल 2007 से 2012 के बीच पंजाब के ताक़तवर सियासी घराने के सदस्य को उसने सात से आठ किश्तों में 35 लाख रुपये दिए। चहल को पंजाब पुलिस ने साल 2013 में सिंथेटिक ड्रग्स कारोबार से जुड़े होने के आरोप में गिरफ्तार किया था। वह अब ज़मानत पर जेल से बाहर है, लेकिन गिरफ्तारी के दौरान प्रवर्तन निदेशालय को उसने सिलसिलेवार तरीके से मजीठिया और अपने रिश्तों का ब्यौरा दिया है।
एनडीटीवी के पास चहल के इकबालिया बयान की कॉपी है। चहल पर आरोप है कि अपनी फार्मा कंपनियों की आड़ में वह सिंथेटिक ड्रग्स रैकेट चला रहा था। उसे ड्रग माफिया जगदीश भोला की निशानदेही पर गिरफ्तार किया गया था।
इस ताज़ा खुलासे के बाद विपक्ष ने एक बार फिर मजीठिया के इस्तीफे की मांग की है। पंजाब विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष सुनील जाखड़ ने कहा, 'यह गंभीर आरोप है। बिक्रम मजीठिया को तुरंत बर्खाश्त किया जाना चाहिए और प्रवर्तन निदेशालय को इसकी जांच करनी चाहिए।'
वहीं, अकाली दल ने अपने नेता का बचाव करते हुए आरोप को ख़ारिज किया है। शिरोमणि अकाली दल के सांसद प्रेम सिंह चंदूमाजरा ने कहा कि यह सब हवाई आरोप हैं, इनमें कोई सच्चाई नहीं। बिक्रम मजीठिया के कभी भी ड्रग्स कारोबारियों से रिश्ते नहीं रहे।'
कनाडा के तीन एनआरआई ड्रग तस्करों से सांठ-गांठ के आरोपों के बाद पिछले साल दिसंबर में प्रवर्तन निदेशालय ने बिक्रम मजीठिया से पूछताछ की थी, लेकिन इसके बाद जांच अधिकारी का तबादला कर दिया गया। लिहाज़ा विपक्षी दल मामले की निष्पक्ष जांच चाहते हैं।
आम आदमी पार्टी के पंजाब से सांसद भगवंत मान ने कहा कि बिक्रम मजीठिया के खिलाफ मामला दर्ज होना चाहिए और इसकी जांच पंजाब से बाहर होनी चाहिए।
पंजाब विधानसभा का बजट सत्र 12 मार्च से शुरू हो रहा है। ड्रग्स कारोबार से जुड़े नेताओं पर कार्यवाई को लेकर अकाली-बीजेपी गठबंधन को एक बार फिर कठिन परीक्षा से गुज़ारना पड़ सकता है।
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