सांप्रदायिक रूप से संवेदनशील हरियाणा के नूंह जिले में कड़ी सुरक्षा के बीच हिंदू समूहों के कुछ सदस्यों ने सोमवार को प्रमुख मंदिरों में पूजा-अर्चना की, लेकिन प्रशासन ने उन्हें धार्मिक यात्रा आयोजित करने की अनुमति नहीं दी. विश्व हिंदू परिषद (विहिप) के नेतृत्व वाले संगठनों ने 31 जुलाई को रोकी गई धार्मिक यात्रा को 'फिर से शुरू' करने का आह्वान किया था.उस दिन भीड़ द्वारा हमला किए जाने के बाद नूंह और उसके आसपास के इलाकों में हुई सांप्रदायिक झड़पों में दो होमगार्ड और एक इमाम सहित छह लोग मारे गए थे.
पुलिस ने स्पष्ट किया कि श्रावण माह के आखिरी सोमवार को यात्रा 'पूरी' करने की अनुमति नहीं दी गयी है. वहीं आयोजकों ने भी संकेत दिया कि वे अपनी योजनाओं में कटौती करेंगे.
राज्य सरकार ने स्पष्ट कर दिया था कि स्थानीय लोग इस अवसर पर मंदिरों में 'जलाभिषेक' कर सकते हैं, लेकिन किसी भी यात्रा के लिए अनुमति नहीं दी जाएगी. नूंह जिले की सीमा पर बैरिकेड लगा दिए गए और बाहरी लोगों को आने की अनुमति नहीं दी गई. इस दौरान शहर में सन्नाटा पसरा हुआ था.
इससे पहले दिन में ऐसी खबरें थीं कि गुरुग्राम से सटे इलाके में हिंदूवादी संगठनों के कुछ नेताओं को हिरासत में लिया गया है. पुलिस ने उनकी संख्या नहीं बताई, लेकिन कहा कि शांति बनाए रखने के लिए कार्रवाई की गई है.
प्रशासन ने केवल करीब 15 संतों और हिंदू संगठनों के नेताओं को नूंह जिले में प्रवेश की अनुमति दी. उन्हें नूंह पुलिस लाइन से मूल यात्रा मार्ग पर नल्हड़, झिर और सिंगार में तीन मंदिर ले जाया गया और उन्हें चार वाहनों में वापस लाया गया.
नल्हड़ में पहले मंदिर और सिंगार में तीसरे मंदिर के बीच की दूरी करीब 90 किलोमीटर है.एक धार्मिक नेता ने कहा कि करीब 100 स्थानीय लोग उनके साथ थे.
नूंह या आसपास के जिलों में शाम तक हिंसा की कोई खबर नहीं थी. हालांकि, एक वीडियो ऑनलाइन सामने आया, जिसमें लोगों के एक समूह को प्रतिबंधों के खिलाफ हरियाणा के मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर का पुतला जलाते हुए देखा जा सकता है.
खट्टर ने रविवार को भक्तों से कोई यात्रा आयोजित करने के बजाय अपने आसपास के मंदिरों में पूजा करने को कहा था. उन्होंने यह भी कहा था कि यात्रा के लिए अनुमति नहीं दी गई है.
नूंह के उपायुक्त धीरेंद्र खड़गटा ने बताया कि लगभग 15 साधु- संतों और कुछ हिंदूवादी संगठनों के नेताओं को नल्हड़ स्थित शिव मंदिर जाने की अनुमति दी गई. उन्होंने एक बयान में कहा कि जलाभिषेक कार्यक्रम शांतिपूर्ण तरीके से संपन्न हुआ.
अतिरिक्त पुलिस महानिदेशक (कानून एवं व्यवस्था) ममता सिंह ने कहा कि नल्हड़, झिर और सिंगार में तीन मंदिरों में करीब 15 लोगों को जलाभिषेक की अनुमति दी गई थी.
जलाभिषेक में विहिप के कार्यकारी अध्यक्ष आलोक कुमार, स्वामी धर्म देव, स्वामी परमानंद समेत अन्य लोग शामिल हुए. उन्होंने कहा कि यह शांतिपूर्ण ढंग से आयोजित हुआ.
भाजपा अल्पसंख्यक मोर्चा के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष चौधरी जाकिर हुसैन और उनकी पत्नी नसीमा हुसैन नल्हड़ मंदिर गए. बाद में उन्होंने अपनी एक तस्वीर मीडिया को जारी की.
दिल्ली-गुरुग्राम सीमा से नूंह तक पांच प्रमुख चौकियां स्थापित की गई थीं और मीडिया के वाहनों को तीसरी चौकी से आगे जाने की अनुमति नहीं थी.
अधिकारियों के अनुसार, अयोध्या के संत जगद्गुरु परमहंस आचार्य के वाहन को सोहना के पास गमरोज टोल प्लाजा पर रोक दिया गया.
आचार्य ने संवाददाताओं से कहा कि वह और उनके अनुयायी नल्हड़ मंदिर में जलाभिषेक के लिए सरयू नदी का जल और अयोध्या की मिट्टी ले जा रहे थे, लेकिन पुलिस ने उन्हें रोक दिया.
इस बीच, हिंदू नेता कुलभूषण भारद्वाज ने दावा किया कि हरियाणा सरकार ने हिंदू नेताओं को नजरबंद कर दिया है.
उन्होंने कहा, ‘‘यह हिंदुओं की आस्था पर हमला है. हिंदू नेताओं को नजरबंद करके हरियाणा सरकार ने उन्हें मुगलों के शासनकाल की याद दिला दी है.''
भारद्वाज के आवास के बाहर भी पुलिसकर्मी तैनात किए गए.
नूंह में रहने वाले 30-वर्षीय एक व्यक्ति ने अपना नाम नहीं बताने की शर्त पर कहा, ‘‘यहां कोई समस्या नहीं है. लोग यहां शांति से रहते हैं और हमने एहतियात के तौर पर अपनी दुकानें बंद कर दी हैं. हमने देखा कि पिछली बार क्या हुआ था. यहां बिना वजह डर का माहौल बनाया जा रहा है.''
नूंह जिला प्रशासन ने एहतियात के तौर पर सोमवार को शैक्षणिक संस्थान और बैंक बंद रखने का आदेश दिया था. मोबाइल इंटरनेट और ‘बल्क एसएमएस' सेवाओं को निलंबित कर दिया गया था.
किसी भी बाहरी व्यक्ति को नूंह में प्रवेश की अनुमति नहीं थी और जिले के सभी प्रवेश बिंदुओं पर सुरक्षा बलों को तैनात किया गया थी. अर्धसैनिक बलों की 24 कंपनी के अलावा हरियाणा पुलिस के 1,900 कर्मी तैनात किए गए थे.
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