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डेरों के बिना अधूरी है हरियाणा की राजनीति, सरकार बनाने-बिगाड़ने का भी करते हैं काम

हरियाणा की राजनीति में धार्मिक डेरे महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं. चुनाव प्रचार खत्म होने के बाद डेरे अपने अनुयायिकों को मैसेज भेजकर यह बताते हैं कि उन्हें किस पार्टी या किस उम्मीदवार को वोट देना है.

डेरों के बिना अधूरी है हरियाणा की राजनीति, सरकार बनाने-बिगाड़ने का भी करते हैं काम
नई दिल्ली:

धर्म और राजनीति का चोली-दामन का साथ है. बात जब हरियाणा-पंजाब की राजनीति की आती है तो यहां डेरे प्रमुख भूमिका निभाते हुए नजर आते हैं. एक बार फिर जब हरियाणा में विधानसभा चुनाव चल रहे हैं तो नेताओं ने डेरों के चक्कर लगाने शुरू कर दिए हैं. इसकी वजह से डेरों के अनुयायियों की बड़ी आबादी.ये अनुयायी डेरा प्रमुख के आदेश और निर्देश पर मतदान करते हैं.यहां तक की डेरे के लोग भी चुनाव में शामिल होते रहे हैं.

हरियाणा की राजनीति में ये डेरे प्रभावशाली भूमिका निभाते हैं. इनका काम चुनाव प्रचार खत्म होने के बाद शुरू होता है. डेरों की ओर से अनुयायिकों को मैसेज भेजे जातें हैं. इसमें उन्हें यह बताया जाता है कि इस बार के चुनाव में वोट किसे देना है. 

डेरा सच्चा सौदा का प्रभाव

हरियाणा के सबसे बड़े और प्रभावशाली डेरों में सिरसा स्थित डेरा सच्चा सौदा का नाम आता है. इसके प्रमुख गुरुमीत राम रहीन बलात्कार के आरोप में 2017 से उम्रकैद की सजा काट रहे हैं. यह बात अलग है कि अब तक वो कुल 10 बार फरलो औ र पैरोल पर जेल से बाहर आ चुके हैं. अब अगस्त में वो दसवीं बार जेल से बाहर आए हैं. राम रहीम के जेल से बाहर आते ही उनके डेरे में नेताओं का जमावड़ा लगने लगता है. इनमें हर छोटी-बड़ी पार्टी के नेता शामिल होते हैं.

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एक समय इस डेरे की एक राजनीतिक शाखा होती थी, जो यह तय करती थी कि किस राजनीतिक दल को समर्थन करना है. इस शाखा ने 2002 में पंजाब विधानसभा के चुनाव में कैप्टन अमरिंदर सिंह का समर्थन किया था. उस साल कांग्रेस ने पंजाब में सरकार बनाई थी. ऐसा नहीं है कि हर बार डेरे के समर्थन का अच्छा परिणाम ही निकलता हो. डेरे ने 2007 के पंजाब विधानसभा चुनाव में कांग्रेस का समर्थन किया, लेकिन कांग्रेस सरकार बनाने से चूक गई. 

इसी तरह से डेरा राधा स्वामी ब्यास सत्संग भी काफी प्रभावशाली डेरा माना जाता है.इसकी स्थापना 1891 में हुई थी.डेरे के मुताबिक उसके अनुयायी दुनिया के 90 देशों में फैले हुए हैं. हालांकि यह डेरा किसी राजनीतिक दल का समर्थन नहीं करता है.इसके अनुयायी हरियाणा-पंजाब के साथ-साथ देश के दूसरे राज्यों में भी फैले हुए हैं.इस डेरे को मानने वालों में दलितों की आबादी बहुत अधिक है.डेरे के प्रमुख गुरविंदर सिंह ढिल्लों का आशीर्वाद लेने हरियाणा-पंजाब के मुख्यमंत्री पहुंचते रहते हैं. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और कांग्रेस नेता राहुल गांधी भी इस डेरे में आ चुके हैं.ॉ

आशीर्वाद लेने आते हैं बड़े से बड़ा नेता

इसी तरह रोहतक का लक्ष्मणपुरी डेरा (गोकर्ण) भी काफी बड़ा है. डेरा के गद्दीनशीन जूना अखाड़ा के बाबा कपिल पुरी महाराज के लाखों अनुयायी पूरे प्रदेश में फैले हुए हैं.माना जाता है कि प्रदेश की दर्जनों सीटों पर इस डेरे का प्रभाव है. कपिल पुरी से आशीर्वाद लेने वालों में मुख्यमंत्री नायब सैनी कपिल और पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा भी शामिल हैं.

बाबा बालकनाथ राजस्थान के तिजारा सीट से बीजेपी के विधायक हैं.

बाबा बालकनाथ राजस्थान के तिजारा सीट से बीजेपी के विधायक हैं.

नाथ संप्रदाय का बाबा मस्तनाथ मठ भी रोहतक में ही है. नाथ संप्रदाय के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष बाबा बालकनाथ इस समय गद्दी पर विराजमान हैं.उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ भी नाथ संप्रदाय के ही संत हैं. बाबा बालकनाथ राजस्थान की राजनीति में सक्रिय हैं. यादव समाज से आने वाले बालकानाथ का हरियाणा के अहरीवाल बेल्ट में काफी प्रभाव माना जाता है. 

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